रायपुर — जब से यह निंदाजनक और वीभत्स नरसंहार हुआ है तब से ही प्रभावित व पीड़ित लोगों के रिश्तेदार फोन से लगातार मेरे संपर्क हैं। कुछ पीड़ितों में जिनमें 75 वर्षीय रामलाल गोंड तथा रामनाथ गोंड जिसके परिवार से तीन लोगों की मौत हुई है और तीन लोग घायल हैं, उन्होंने फोन से घटना की जानकारी दी है वे लोग अत्यन्त भयग्रस्त हैं। उनके अनुसार कुछ तथ्य चैंकाने वाले हैं-
1. इस नरसंहार में मरने वालों की संख्या केवल 10 नहीं है। एक ही परिवार के नौ लोग मारे गये हैं इसलिए कुल 10 लोगों की मारे जाने की खबर पीड़ित के अनुसार गलत है। उनके अनुमान के अनुसार 18 से 20 लोग गोलियों और लाठियों से मारे गये हैं।
2. इस नरसंहार का नेतृत्व ग्राम प्रधान अभिदत्त अहिर द्वारा किया गया जिसमें उसके साथ कोमल अहिर, बबूल नाम के लोग प्रमुखता से अकारण गोली बारी करके नरसंहार करनेे के लिये जवाबदार हैं। पहली गोली बबूल नाम के व्यक्ति ने चलायी थी और उसके बाद दूसरों ने अंधाधुंध गोली बरसायी।
3. 30-35 ट्रेक्टरों में भरकर लगभग 150 लोग हथियार से लैस आये थे जिनमें से 7 के साथ बारह बोर एवं भरमार बंदूक थी।
4. समझौता वार्ता के लिये धोखा देकर ग्राम प्रधान अभिदत्त अहिर ने सभा के नाम पर एक जगह स्थान पर बुला लिया था जिसमें महिलायें भी शामिल थी। सभी थोड़ी देर चर्चा के बाद बबूल ने पहली गोली चलायी और उसके बाद गोली की बरसात हो गई। 20 लोग गंभीर रूप से घायल है जिन्हें पहले उपचार के लिये बनारस भेजा गया था वहां उनकी ठीक से कोई चिकित्सा का प्रबंध नहीं हो पया इसलिये वापस राबर्टगंज अस्पताल में आ गये है। उनकी देखभाल अपेक्षतया ठीक से हो रही है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी घायलों से मिले भी हैं।
5. वर्ष 1955 के लगभग ठाकुर महेश्वर सिंह ने मौखिक रूप से आदिवासियों को इस गांव में खेती की अनुमति दी थी तब से लगातार दो-तीन पीढ़ी से गांव की लगभग 700 बीघा जमीन में खेती करते आ रहे हैं। इसी बीच 12 लोगों ने सोसायटी बनाकर इस जमीन को सोसायटी के नाम चोरी से अपने नाम करा लिया। इन 12 लोगों में कोई भी उत्तर प्रदेश के निवासी नहीं है। सभी लगभग बिहार के रहने वाले हैं। इनमें से एक श्रीमती आशा मिश्रा ने 150-200 बीघा जमीन 20 लाख रूपये में अभिदत्त अहिर को बेचा था। पहले जमीन पर कब्जा करने के लिये अभिदत्त का बेटा आया था लेकिन गांव वालों ने उसे वापस लौटा दिया था। बाद में 15 ट्रेक्टरों में भरकर अभिदत्त के नेतृत्च में उपरोक्त नरसंहार किया गया।
6. घटना की तत्काल जानकारी संबंधित थाने को ग्रामवासियों ने दी थी पर थाने वालों की मिली-जुली साजिश थी इसलिये कोई नहीं आया। 100 नम्बर डायल करने पर कुछ पुलिस वाले आये और बाहर से देखकर लौट गये। ग्रामवालों का मत है कि पुलिस कांड में मिली -जुली थी और कोई कार्यवाही नहीं की।
7. मृतक लोगों का दाह संस्कार भी विधि विधान से नहीं किया गया और हाईवा से एक बड़ा गढ्ढा खोदकर सभी को सामूहिक रूप से दफना दिया गया है।
हमारी पार्टी की टीम जिसमंे सरगुजा और बलरामपुर लोग सम्मिलित हैं। जनता युवा कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में इलाके में पहुंच गई है पर गांव को छावनी में तब्दील क दिया गया है इसलिये प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं पर गांव वाले फोन पर मुझसे संपर्क बना रहे हैं। उनका आग्रह है कि मैं भी वहां पर पहुंचू। आवश्यक हुआ तो मैं अवश्य ही वहां जाऊंगा।