छत्तीसगढ़ आदिवासी समाज विश्व आदिवासी दिवस में करेगा भव्य आयोजन
रायपुर — आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को रायपुर स्थित इंडोर स्टेडियम बूढ़ा तालाब में शासकीय स्तर पर मनाया जाएगा आपको बता दें कि आदिवासियों द्वारा यह कार्यक्रम विगत 10 वर्षों से सामाजिक तौर पर मनाया जाता है , किंतु पिछली सरकार ने राजधानी में इसे शासकीय तौर पर मनाना प्रारंभ कर दिया इसलिए समाज द्वारा इसे प्रत्येक जिले में मनाया जाने लगा । राज्यस्तरीय कार्यक्रम सुबह 11:00 से शाम 5:00 बजे तक मनाया जाएगा और इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ शासन होंगे अध्यक्षता करेंगे शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम अन्य मंत्री गण विशिष्ट अतिथि रहेंगे।
चूंकि 9 अगस्त को शासकीय अवकाश घोषित किया गया है इसलिए माना जा रहा है कि भारी संख्या में आदिवासियों की आने की संभावना है यह कार्यक्रम मूल निवासियों के अधिकारियों के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा दिनांक 20 दिसंबर 2006 के परिपेक्ष में किया जाता है अवगत करा दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार परिषद के परामर्श पर 193 राष्ट्राध्यक्ष से संपन्न संयुक्त राष्ट्र संघ के साधारण सभा के विभिन्न राष्ट्रों में निवासरत मूल निवासियों के आर्थिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक विरासत को मनाने रखते हुए उक्त समुदायों के समस्याओं से परिमार्जित अथवा संशोधित कर उसे विश्व के मानव विकास के मापदंड के बराबर लाना है।
आदिवासी समाज के वरिष्ठ जनों ने कहा कि आदिवासी समाज और दलित के प्रति लोगों की सोच बदल नहीं पा रही है उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा है हत्यारों को कानून का डर नहीं है। यह सरकार की नाकामी को दर्शाता है ।
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में 17 जुलाई 2019 को 10 आदिवासियों के निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी गई और लगभग 35 लोग घायल होकर अस्पताल में भर्ती हैं । आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ द्वारा इस घटना की निंदा की गई है और मृतकों को श्रद्धांजलि दी गई है ।
इसके अलावा आदिवासी समाज के लोग जंगल में बसे हुए है , वनवासियों के पास पट्टा नहीं है । सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जिनके पास पट्टा नही है अवैध रूप से बसे हैं उन्हें बेदखल करने का निर्णय दिया गया है । हालांकि राज्य सरकारों के निर्देश पर स्थगन दिया गया किंतु 24 जुलाई की सुनवाई में राज्य सरकारों द्वारा अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश नहीं हुई है ।
आदिवासी समाज चाहता है कि फॉरेस्ट कानून में संशोधन किया जाय । नही तो आदिवासी समाज सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा ।