तीन दिवसीय पुरातत्त्वीय संगोष्ठी भ्रमण का समापन
पुरास्थलों रीवां, जमराव और तरीघाट के
उत्खनन की उपलब्धियों पर परिचर्चा
रायपुर — संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्त्व द्वारा आयोजित तीन दिवसीय पुरातत्त्व संगोष्ठी एवं शोध भ्रमण कार्यक्रम का आज रायपुर के महंत घासीदास स्मारण संग्राहालय के सभागार में समापन हुआ। संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ के नव उत्खनित पुरास्थलों रीवां, जमराव और तरीघाट के उत्खनन की उपलब्धियों पर विस्तृत परिचर्चा हुई। इस अवसर पर आमंत्रित विद्वानों डॉ. के.के. चक्रवर्ती, डॉ. सुस्मिता बसु मजूमदार और डॉ. शिवकांत बाजपेयी ने इन पुरास्थलों के शोध भ्रमण अवलोकन कर अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये।
रीवां उत्खनन के निदेशक श्री अरुण शर्मा और सह निदेशक डॉ. वृषोत्तम साहू, जमराव उत्खनन के निदेशक श्री राहुल सिंह और सह निदेशक डॉ. प्रताप चंद पारख तथा तरीघाट उत्खनन के निदेशक श्री जे. आर. भगत ने स्थलों से सम्बंधित विस्तृत जानकारी से उपस्थित लोगों को परिचित कराया। डॉ. के.के. चक्रवर्ती ने छत्तीसगढ़ के नव उत्खनित स्थलों से प्राप्त पुरावस्तुओं का सांस्कृतिक अध्ययन व्यापक परिप्रेक्ष्य में किये जाने की आवश्यकता बतलाते हुए वन और नदियों की सभ्यता, परम्पराओं को भी शामिल किए जाने की बात कही। डॉ. मजूमदार ने तीनों उत्खनन स्थलों से प्राप्त सिक्कों और अभिलेखों पर चर्चा करते हुए उनके आधार पर सांस्कृतिक मानचित्र को परिवर्धित किये जाने और उक्त स्थलों को भी शामिल करने की बात कही। उन्होंने इन उपलब्धियों को इस प्रदेश के प्रारंभिक इतिहास लेखन का महत्वपूर्ण स्रोत बतलाया। डॉ. शिवकांत बाजपाई ने डमरू उत्खनन के साथ ही तरीघाट के पुरावशेषों के महत्व के बारे में बतलाया।
इस अवसर पर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल के अधिकारी, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के डॉ. दिनेश नंदिनी परिहार, डॉ. नितेश मिश्र, डॉ. अरुण कुमार, डिग्री गल्र्स कॉलेज की डॉ. शम्पा चैबे, श्री जी. एल. रायकवार, श्री अशोक तिवारी, श्री असीम चंदेल सहित विद्यार्थी, शोधार्थी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। संस्कृति विभाग के संचालक श्री अनिल कुमार साहू ने आमंत्रित अध्येताओं से प्रदेश के इतिहास और पुरातत्व पर विस्तृत चर्चा भी की।
कार्यक्रम का समापन गांधी जी के भजन और पियानो वादक श्री रजी मोहम्मद के राष्ट्रभक्ति गीत और की धुनों के साथ हुआ।