तबाही के संकेत, धरती के घूमने की रफ्तार पड़ रही सुस्त, भूकंपों की संख्या बढ़ी

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धरती के अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार धीमी हो रही है जिससे चंद्रमा इससे दूर होता जा रहा है।

यह घटना बड़े भूकंपों की वजह बन सकती है। वैज्ञानिकों ने सनसनीखेज खुलासा किया है..

नई दिल्ली —- हम जिस धरती पर मौजूद हैं वह अपनी धुरी पर 1,670 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रही है। क्या कभी आपने सोचा कि यदि धरती का अपनी धुरी पर घूमना यदि रुक जाए या इसकी घुर्णन गति मंद पड़ने लगे तो अंजाम क्या होगा.? वैज्ञानिकों की मानें तो यदि उक्त अनहोनी हुई तो इसकी वजह से धरती पर जीवन संकट में पड़ जाएगा। एक अध्ययन के मुताबिक, धरती के अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार धीमी हो रही है जिससे चंद्रमा इससे धीरे धीरे दूर होता जा रहा है। नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह घटना बड़े भूकंपों की वजह बन सकती है। पढ़ें यह चौंकाने वाली रिपोर्ट…
घूर्णन गति सुस्त पड़ने से बढ़ती हैं भूकंपीय घटनाएं
धरती पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप एक ऐसी विपदा है जिसे इंसान आज तक डीकोड नहीं कर सका है। साल 2001 में गुजरात में आया भूकंप तो आपको याद ही होगा, जिसमें 20 हजार लोगों की मौत हो गई थी। यही नहीं 26 दिसंबर 2004 को 9.1 तीव्रता भूकंप के बाद आई सुनामी में लगभग 2 लाख 30 हजार लोगों की मौत हो गई थी। नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के सोलर सिस्टम के एम्बेस्डर मैथ्यू फुन्के ने कहा कि चंद्रमा का गुरु त्वाकर्षण पृथ्वी पर एक ज्वारीय उभार बनाता है। यह उभार भी धरती की घूर्णन गति से घूमने का प्रयास करता है। नतीजतन धरती की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है। वैज्ञानिकों का मत है कि धरती की घूर्णन गति या अपनी धुरी पर घूमने की गति सुस्त पड़ने से भूकंपीय घटनाएं बढ़ जाती है। हालांकि, ऐसा क्यों होता है, वैज्ञानिक अभी उन वजहों का खुलासा नहीं कर पाए हैं।
सात से अधिक की तीव्रता के भूकंपों की संख्या बढ़ी
दरअसल, यह ब्रह्मांड कोणीय संवेग के सिद्धांत पर काम करता है। ब्रह्मांड में मौजूद पिंडों की गति भले ही अलग अलग हो लेकिन उनके कोणीय संवेग का योग नहीं बदलता है। वैज्ञानिकों का मत है कि चंद्रमा की वजह से जब धरती का कोणीय संवेग मंद पड़ता है तो चंद्रमा इसे हासिल करने के लिए अपनी कक्षा में थोड़ा और आगे बढ़ जाता है। अध्ययन के मुताबिक, चंद्रमा हर साल लगभग डेढ़ इंच आगे बढ़ रहा है। इससे धरती पर भविष्य में बड़े भूकंप आ सकते हैं। कोलोराडो यूनिवर्सिटी  के वैज्ञानिक रोजर बिल्हम और मोंटाना यूनिवर्सिटी के रेबेक्का बेंडिक  ने अपने अध्ययन में पाया कि वर्ष 1900 के बाद से सात से अधिक की तीव्रता वाले भूकंपों में इजाफा हुआ है। 20वीं सदी के अंतिम पांच वर्षों में जब धरती की घूर्णन गति में थोड़ी कमी देखी गई तब सात से अधिक के तीव्रता के भूकंपों की संख्या अधिक थी। वैज्ञानिकों ने इस दौरान हर साल 25 से 30 तेज भूकंप दर्ज किए। इनमें औसतन 15 बड़े भूकंप थे।

..तो खत्म हो जाएगी धरती से इंसानों की आबादी
इससे पहले लंदन के वैज्ञानिक माइकल स्टीवंस ने अपने अध्ययन में पाया था कि धरती यदि एकाएक घूमना बंद का वातावरण गतिमान बना रहेगा। हवा 1,670 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेगी। यह तूफानी हवा रास्ते में आने वाली हर चीज को ध्वस्त करती चली जाएगी। मनुष्य किसी बंदूक की गोली की रफ्तार से एक दूसरे से टकराएंगे। इसके साथ ही पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र समाप्त हो जाएगा। उस समय का वातावरण परमाणु विस्फोट के बाद की स्थितियों जैसा होगा, जिससे नाभिकीय व अन्य प्रकार के प्राण घातक विकिरण फैल जाएंगे। नारंकी के आकार वाली पृथ्वी पूरी तरह से गोल हो जाएगी। समद्रों का पानी एकाएक उछलने से बाढ़ की स्थिति होगी। पृथ्वी पर आधे साल दिन रहेगा और आधे साल रात रहेगी। इससे धरती पर इंसानों की आबादी खत्म हो जाएगी। हालांकि, नासा वैज्ञानिकों की मानें तो कई अरब साल तक ऐसी घटना होने की कोई आशंका नहीं है।

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