2018 की गणना में बाघों की संख्या कम होना दुर्भाग्यजनक – कांग्रेस
15 वर्षो तक रमन सिंह सरकार ने वनों और वन्य प्राणी संरक्षण की उपेक्षा की
रायपुर— 2018 की गणना में बाघों की संख्या कम होने पर प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि यह लगातार 15 वर्षो तक भाजपा की रमन सिंह सरकार में वनों औ वन्य प्राणी संरक्षण की उपेक्षा का परिणाम है। छत्तीसगढ़ की समृद्ध वन संपदा और वन्य प्राणी प्रदेश की शान है लेकिन रमन सरकार की प्राथमिकता में वन और वन्य प्राणी थे ही नही। भाजपा सरकार ने गर्मी प्रारंभ होने के पहले वन्य प्राणियों के पेयजल आदि की व्यवस्था की तरफ कोई ध्यान नही दिया इसी के परिणामस्वरूप बाघों की संख्या कम होने जैसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है गरियाबंद जिले से बाघ के खाल सहित दो तस्करों को पकड़ा गया था। धमतरी वन मंडल, सीतानदी उदंती टाईगर रिजर्व और कांकेर वनमंडल क्षेत्र से ही भाजपा शासनकाल में 15 से अधिक बाघों की खाले बरामद हुई। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि रमन सरकार में बाघों का कितना अवैध शिकार हुआ और सरकारी संरक्षण में तस्करी की जाती रही। रमन सरकार के सत्ता में बने रहने के लिये कवर्धा में बाघ-बाघिन का शिकार करके तंत्र मंत्र में उनका उपयोग करने की दुर्भाग्यजनक घटनाएं चुनावों के समय में उजागर होती रही। 2011 में कवर्धा में उजागर हुये बाघिन की हत्या के मामले को दबाने के लिए पुलिस के आतंक का सहारा लिया गया। छत्तीसगढ़ में एक ओर वन्यजीव संरक्षण कानून का पालन नहीं किया जा रहा था और निरीह आदिवासियों को प्रताड़ित किया जा रहा था और इसके विरोध में आवाज उठाने पर विपक्षी दल के कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया गया।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि बाघ-बाघिन की तंत्र मंत्र के लिये हत्या के मामले को उठाने पर कवर्धा के आदिवासियों को ठंड के दिनों में घुटने के बल सिर्फ चड्डी पहना कर रात भर गिरफ्तार करके रखा गया था। एक ओर निरीह वन्य जीवों का शिकार किया जा रहा था। जंगल में रहने वालो को पुलिस प्रताड़ित कर रही थी और इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले राजनैतिक कार्यकर्ताओं पर झूठे मामले बनायें गये। छत्तीसगढ़ में रमनसिंह सरकार में लगातार बाघ के शिकार के मामलों को दबाने के लिये राजनैतिक कार्यकर्ताओं और विशेषकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न और प्रताड़ना बंद की गयी। रमन सिंह सरकार के इस सरकारी आतंकवाद के खिलाफ कांग्रेस ने लगातार आंदोलन भी किया।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि बाघों के संरक्षण को लेकर वन विभाग एवं रमन सरकार की लापरवाही के कारण ही बाघों की संख्या कम हुई है। अभ्यारण्य में बाघों और भालुओं की तस्करी एवं शिकार के प्रमाण मिलना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण रहा। वन विभाग ने भी रमन सरकार में स्वीकार किया था कि शिकारियों और तस्करों की सक्रियता देखी गयी। जंगल में बाघ एवं भालू के अवशेष मिलने से बाघो एवं अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा दांव पर लगी रही। हालांकि राष्ट्रीय बाघ नियंत्रण बोर्ड इसकी जांच की गयी, लेकिन जंगलों में वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर रमन सिंह की भाजपा सरकार की उदासीनता सर्वविदित रही।