किसानों का कर्जा माफ, धान का मूल्य 2500 रू., बिजली बिल हाफ भाजपा को फिजूलखर्ची लग रहा है – शैलेश नितिन

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पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन, कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के कारण ही राज्य के खजाने पर हजारों करोड़ का कर्जा : कांग्रेस 

रायपुर —  भारतीय जनता पार्टी द्वारा कांग्रेस सरकार के ऊपर राज्य को कर्ज में डूबा देने के आरोपो का कांग्रेस ने कड़ा प्रतिवाद करते हुये कहा है कि कांग्रेस की सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो निर्णय लिया है कि राज्य में फिजूलखर्ची को रोक कर सादगी के साथ जनसेवा की जायेगी। कांग्रेस सरकार द्वारा उन्हीं योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही जिनसें सब लोगो का भला हो। कांग्रेस की सरकार किसानों का कर्ज माफ कर रही, धान 2500 रू. प्रति क्विंटल में खरीद रही, सिंचाई कर माफ कर रही है, बिजली बिल आधा कर रही तब भाजपा को यह फिजूलखर्ची और राज्य के खजाने पर बोझ लग रहा। रमन सिंह की छवि चमकाने, विरोधी दल के नेताओं की छवि खराब करने जनसंपर्क के द्वारा करोड़ो रू. खर्च करने वाली भाजपा किस मुंह से किसानों और गरीबो को राहत देने पर हाय तौबा मचा रही है? भाजपा की सरकार और सरकार में बैठे हुये लोगो ने तो राज्य के खजाने को विदेशी लूटेरों की तरह लूटा है। यही कारण है कि प्रचुर खनिज संपदा, जल, जंगल, जमीन वाला छत्तीसगढ़ राज्य के खजाने पर आज 45000 करोड़ से अधिक का कर्ज है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि सत्ता हाथ से निकलने के बाद भाजपाईयों की सोचने समझने की शक्ति भी समाप्त हो गयी है। भाजपा के नेताओं को अब राज्य की जमीनी हकीकत भी नहीं दिख पा रही है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के कारण राज्य के कोष पर 45000 करोड़ से अधिक का कर्जा भाजपा की पूर्व सरकार कांग्रेस की सरकार को विरासत में देकर गयी है। भाजपा सरकार ने राज्य की वित्तीय स्थिति का आंकलन किये बिना ऐसे निर्माण कार्यो और विलासिता पूर्ण कार्यो का किया, जिससे राज्य के आम आदमी का कोई भला नहीं होने वाला था। सिर्फ कमीशनखोरी की नीयत से सरकारी दफ्तरों को सजाने संवारने में करोड़ो रूपये व्यय किया गया। भाजपा सरकार की कमीशनखोरी और अदूरदर्शिता का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है कि नया रायपुर के राज्योत्सव मेला ग्राउंड के मंच और उसमें लगे एक मंजिला भवन में दो-दो लिफ्ट लगवाई गयी है। इस भवन का उपयोग बमुश्किल साल में एक बार होता है। ऐसे एक नहीं ऐसे सैकड़ो उदाहरण प्रदेश भर में देखने को मिल जायेगा।

 

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