20 जिलों में संचालित है तंबाकू नशा मुक्ति केंद्र….. 2018-19 में 6269 लोगों का किया गया नशा मुक्ति।

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तंबाकू में 7000 से ज्यादा हैं हानिकारक रसायन ।

रायपुर —  छत्तीसगढ़ में लगभग 3.5 लाख विद्यार्थियों को वर्ष 2018-19 में तंबाकू के दुष्परिणाम से अवगत करवाया गया ।यह जानकारियां 2,134 विद्यालयों में तंबाकू के दुष्परिणाम पर कार्यशाला आयोजित कर दी गई ।
राज्य में तम्बाकू सेवन से होने वाले नुकसान से बचाव के लियें स्कूल एवं शासकीय संस्थाओं में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है । राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम राज्य के सभी जिलों में संचालित है। कार्यक्रम का उद्देश्य तंबाकू उत्पादों के हानि कारक प्रभाव के प्रति जागरूकता लाने तंबाकू उत्पादों की उत्पादन एवं आपूर्ति में कमी लाने और सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 (कोटपा) एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन करना है ।
स्वास्थ्य विभाग निरंतर राज्य एवं जिला स्तर के अधिकांश शासकीय कार्यालयों एवं स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी, हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर में धुम्रपान रहित क्षेत्र की पट्टिका भी लगाई जा रही है । समस्त शासकीय कार्यालयों एवं संस्थानों में भी धुम्रपान रहित क्षेत्र की पट्टिका लगाए जाने के निर्देश पहले ही जारी किये गये है ।
इसी क्रम में तंबाकू नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना 20 जिलों में की जा चुकी है । वर्ष 2018-19 में कुल 6269 लोगों को उपचार एवं परामर्श दिया गया है ।छत्तीसगढ़ राज्य में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम 2013-14 से आरंभ हुआ है ।
राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम एनटीसीपी के राज्य सलाहकार डॉ.आनंद वर्मा ने बताया तम्बाकू के सेवन का सबसे आम तरीका धूम्रपान है जिसके परिणाम स्वरूप धूम्र को सांस के जरिये अंदर लिया जाता है।फिर सक्रिय पदार्थ को फेफड़ों के माध्यम से कोशिकाओं से अवशोषित कर लिया जाता है। सक्रिय पदार्थ तंत्रिका तंत्र में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शुरू करती है जिससे हृदय गति, स्मृति और सतर्कता और प्रतिक्रिया की अवधि बढ़ जाती है। क्षणभर का आनंद धीरे-धीरे आपको मौत की तरफ लेकर जाने लगता है
डॉ.आनंद वर्मा ने बताया तम्बाकू के इस्तेमाल से अकाल मृत्यु होती है। इसे रोका जा सकता है। वैश्विक तम्बाकू निगरानी प्रणाली के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में लगभग 54 लाख लोगों की दुनिया भर में मृत्यु तम्बाकू से संबंधित बीमारियों के कारण हो जाती है।
लगभग 7000 से ज़्यादाप्रकार के रसायन तम्बाकू और तम्बाकू के धुऐं में पाये जाते हैं। आई.ए.आर.सी.(विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की कैंसर एजेंसी- इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर) द्वारा किये गये कैंसर पर अनुसंधान में इन रसायनों में से 60 को कार्सिनोजन (कैंसर पैदा करने वाले एजेंट) के रुप मे बांटागया है। तम्बाकू में पाया जाने वाला मुख्य रसायन निकोटीन है जो अत्याधिक नशीला रसायन है। इसका लम्बे समय तक प्रयोग मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से इस पर निर्भर बना देता है। जो कि घातक रोगों जन्म देता है ।
डॉ वर्मा ने बताया मुंह, गाल, जीभ, श्वास नलियों के कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू है। इतना ही नहीं तंबाकू श्वसन तंत्र को भी प्रभावित करती है। युवाओं में इसका प्रभाव ज्यादा है।तम्बाकू के इस्तेमाल से शरीर का लगभग हर प्रमुख अंग प्रभावित होता है, जिसके फलस्वरूप बिमारी व असमय मौत हो सकती हैं। तम्बाकू के इस्तेमाल से मुँह, गला, मस्तिष्क, घेंघा, फेफड़ें, पित्ताशय, गुर्दे और स्तन सहित शरीर के विभिन्न अंगों मंन कैंसर पैदा हो सकता है। तम्बाकू के कारण फेफड़े रोग, हदय संबंधि रोग, अंधापन, पक्षाघात, दांत और मसूड़े की बीमारियां भी हो सकती है।
शासकीय हायर सेकेंडरी विद्यालय भुरकोनी विकासखंड पिथौरा जिला महासमुंद के11वीं के छात्र हेमंत पटेल ने बताया उनके कार्यशाला में तंबाकू से होने वाले दुष्परिणामों के विषय में प्रशिक्षकों द्वारा जो बताया गया।उतना उन्हें मालूम नहीं था। कार्यशाला के माध्यम से पता चला कि तंबाकू हमारे शरीर के लिए एक मीठा जहर है जिससे कैंसर होता है। इस कार्यक्रम के बाद उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वह भविष्य में कभी भी तंबाकू का सेवन नहीं करेंगे ।
शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल जोरा रायपुर के प्राचार्य बिंदु त्रिहुति ने बताया राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत कार्यशाला के माध्यम से कोटपा एक्ट के विषय में जानकारी हुई साथ ही तंबाकू के दुष्परिणाम से बालकाल में ही बच्चों को जानकारी मिली। यह जानकारी बच्चों के लिए ज्यादा लाभकारी है क्योंकि जितनी जल्दी उनको पता चलेगा कि तंबाकू शरीर के लिए हानिकारक है उतनी ही जल्दी वह उससे दूर हो जाएंगे ।
ग्लोबल एडल्ट टोबाको सर्वे – 2016-17 के अनुसार,छत्तीसगढ़ में 39.1 प्रतिशत लोग किसी प्रकार के तम्बाकू का सेवन करते हैं। यह देश की औसत 28.4 % से अधिक है| इन में से 7.3% तम्बाकू का सेवन करने वालों ने 15 वर्ष की उम्र से पहले सेवन शुरू किया था,29% ने 15-17 वर्ष की उम्र से और 35.4% ने 18-19 वर्ष में सेवन शुरू किया था यानि औसतन 18.5 वर्ष की आयु में तम्बाकू का सेवन शुरू किया गया था।

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