भूपेश सरकार की किरकिरी कराने वाले अधिकारी को मिला अतिरिक्त प्राभार..
भ्रष्टाचार से लबालब हो चुका है जल संसाधन विभाग का बांध…..
रायपुर — भ्रष्टाचार के लिए चर्चित जल संसाधन विभाग नित्य नए कारनामे करके अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहता है अब एक नया कारनामा और आया है, और सारे कारनामे इस बात की ओर साफ इशारा करते हैं कि भ्रष्टाचार के लिए सारी पराकाष्ठा पार की जा सकती है । सारे नियमों को दरकिनार कर सिर्फ अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने का प्रयास साफ तौर पर देखा जा सकता है , सारे कार्य प्रणाली को प्रमाणित करने के लिए किसी अधिवक्ता की जरूरत नहीं है अगर सारे आदेशों को सिलसिलेवार ढंग से देखा जाए तो एक बात निकल कर सामने आती है और वह यह है कि अपने निजी स्वार्थों के लिए याकूब खेस किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। और अपने शातिर दिमाग का इस्तेमाल करते हुए याकूब खेस ने इस कारनामे को अंजाम दिया है ।
भ्रष्टाचार के मजबूत सीमेंट का जोड़ लगा हुआ है जल संसाधन विभाग में , यह टूटेगा नहीं……
जल संसाधन विभाग द्वारा विभाग में कार्यपालन अभियंताओं का स्थानांतरण आदेश दिनांक 9 अगस्त 2019 को जारी किए गए थे, और कुल 36 कार्यपालन अभियंताओं के स्थानांतरण हुए थे इसमें वे अभियंता शामिल थे जो पिछले 15 सालों से पिछले सरकार के शासनकाल में मलाईदार पदों पर जमे हुए थे । स्थानांतरण आदेश दिनांक 9 अगस्त को जारी होता है ठीक उसी दिन याकूब खेस अवर सचिव के द्वारा अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करते हुए जल संसाधन विभाग के मंत्री को अंधेरे में रखते हुए एक नए शब्द का इजाद करते हैं विलोपन और इस शब्द के जरिए अपने चहेते और भ्रष्ट अधिकारियों को विलोपन के माध्यम से स्थानांतरण रोकने की कोशिश की जाती है यहां पर यह बताना जरूरी है कि विलोपन शब्द का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार किया गया और स्थानांतरण की सूची जारी होने के 15 दिन के बाद एक सूची जल संसाधन विभाग के द्वारा जारी की जाती है जिसमें स्थानांतरित किए गए कुछ अधिकारियों के नाम विलोपन की सूची में आ जाते हैं ऐसे में जो अधिकारी उच्च न्यायालय की शरण में जाते हैं उसमें सरकार की भद पिटना तो तय है ,और ऐसा ही हुआ। लेकिन जल संसाधन सालों से एक ही स्थान पर जमे कई अधिकारी न्यायालय की शरण पर चले गए । लेकिन सरकार याकूब खेस के इस कारनामे को दूसरी नजर से देखते हुए उन्हें उपकृत करते हुए उनके दायित्वों का ज्यादा से ज्यादा लाभ लेना चाहती है और विभाग में बैठे याकूब खेस को उनकी कारगुजारीओं के एवज में सामान प्रशासन विभाग से एक और आदेश जारी होता है । जिसमें याकूब खेस को सामान्य प्रशासन विभाग का अतिरिक्त प्रभार देने का आदेश जारी होता है । ऐसे में सरकार की कार्यशैली पर और सरकार की कार्यक्षमता पर सवाल उठ रहे हैं । भ्रष्टाचार से मुक्त शासन का वादा कर सरकार में आयी मौजूदा सरकार के मुख्यमंत्री के साथ-साथ जल संसाधन विभाग के मंत्री के प्रतिष्ठा को भी दांव पर लगाने के अवसर नहीं चूक रहे हैं । ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्व की सरकार के एजेंटों की तरह मंत्रालय में पदस्थ अधिकारी काम कर रहे हैं ।
अपने ही आदेश की भूलभुलैया से बाहर नहीं आ पा रहा है जल संसाधन विभाग अनुभव हीनता की कमी का लाभ उठाकर भ्रष्ट अधिकारी कर रहे मनमानी……
सरकार को इतनी गफलत पर रखे हुए हैं कि सरकार उनके फैसले लेने की क्षमता का गलत आकलन न करें बिना उन्हें पुरस्कृत कर रही है या अपनी पीठ थपथपा कर अपने लिए इनाम की ख्वाहिश पाले बैठे अधिकारियों की दिल की मुराद पूरी होती दिख रही है। साफ नजर आ रहा है कि किस तरह से बंदरबांट स्थानांतरण के नाम से किया जा रहा है । यहां पर सरकार की मंशा को लेकर भी कई सवाल खड़े होते हैं अभी कुछ ही दिन पहले की बात है जब हाईकोर्ट के आदेश को धता बताते हुए कई अधिकारियों को पदोन्नति दे दी गई , सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जल संसाधन विभाग को नोटिस जारी कर सवाल पूछा जाता है और जिस अधिकारी से सवाल पूछा जाता है उसी अधिकारी को सामान्य प्रशासन विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया जाता है। सवाल कई हैं लेकिन जवाब नदारद है और उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में भी इन सवालों का जवाब अगर सब कुछ इसी तरह से चलता रहा तो नहीं मिल पाएगा । अब सोचना सरकार को है और देखना जनता को है । इस विभाग के अधिकारी जो खुद से अपने आप को छुट्टे सांड की तरह जाहिर कर रहे है उन पर कब तक नकेल कसी जाती है ।