कृषि संकट से आंख चुराने वाला बजट : 1000 रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत पर कृषि भूमि को सिंचित करने का जादू दिखाएगी भूपेश सरकार!! — किसान सभा

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रायपुर, 4 मार्च 2020 — छत्तीसगढ़ किसान सभा ने आज कांग्रेस सरकार द्वारा पेश बजट को किसानों के लिए निराशाजनक और कृषि संकट से आंख चुराने वाला बताया है। मंदी के दुष्प्रभावों के कारण प्रदेश में फिर किसान आत्महत्याएं शुरू हो चुकी हैं, लेकिन सरकार इससे बेखबर है। किसान सभा ने 20 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित करने के सरकार के दावे को हवा-हवाई बताते हुए व्यंग्य किया है कि भूपेश सरकार यह जादू मात्र 1000 रुपये प्रति हेक्टेयर की लागत पर करने जा रही है!!

आज यहां जारी बजट प्रतिक्रिया में छग किसान सभा के महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि चुनावी वादे के अनुसार धान का लाभकारी मूल्य देना स्वागतयोग्य है, लेकिन केवल इतने से ही किसानों की समस्याएं हल होने वाली नहीं है। वास्तविकता यह है कि सभी पंजीकृत किसानों का पूरा धान नहीं खरीदा गया। प्रदेश में आदिवासियों और गरीब किसानों का विस्थापन सबसे बड़ी समस्या है, लेकिन इसे रोकने के लिए वनाधिकार कानून, पेसा कानून, 5वीं अनुसूची और भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों को लागू करने के प्रति यह सरकार गंभीर नहीं है। देशव्यापी मंदी से उबरने के लिए ग्रामीणों को रोजगार की जरूरत है, लेकिन मनरेगा के बजट में ही कटौती कर दी गई है। फसल बीमा के प्रावधान और बजट आबंटन से किसानों को कोई मदद नहीं मिलने वाली है और यह केवल निजी कंपनियों और कार्पोरेटों के मुनाफे ही बढ़ाएगी।

किसान सभा नेता ने कहा कि जिस प्रदेश में कृषि विकास दर 3.3% हो, वहां एक साल में 20 लाख हेक्टेयर कृषि जमीन को सिंचित करने का दावा हवा-हवाई ही है। इसके लिए बजट आबंटन भी 2000 करोड़ रुपयों से कम ही है, जो 1000 रुपये प्रति हेक्टेयर लागत ही बैठता है। किसान सभा ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार की तरह ही कांग्रेस सरकार ने भी सिंचाई का काम कागजों पर करने का खेल शुरू कर दिया है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने प्रदेश के सभी किसान संगठनों से इस निराशाजनक बजट के खिलाफ किसान समुदाय को लामबंद करने की अपील की है, ताकि खेती-किसानी की समस्याओं पर एकजुट संघर्ष छेड़ा जा सके।

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