राज्यसभा में फिर उठा अंबिकापुर – बरवाडीह रेल लाइन का मुद्दा

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रायपुर , 13 मार्च 2020 — भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने राज्यसभा में प्रश्न के माध्यम से अंबिकापुर बरवाडीह रेल लाइन के विषय को सदन में उठाया, अपने प्रश्न में नेताम ने पूछा की छत्तीसगढ़ में ऐसी कितनी रेल परियोजनाओं के लिए सर्वेक्षण किया जा चुका है और स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है लेकिन अभी तक जिनके लिए कार्य शुरू नहीं हुआ है। क्या यह भी सच है कि चिरमिरी-बरवाहडीह रेल परियोजना का सर्वेक्षण पूरा हो जाने के पश्चात भी आज की तारीख तक कोई कार्य शुरू नहीं किया गया है। जिसके जवाब में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी दी की इस समय छत्तीदसगढ़ राज्य में  पूर्णतः आंशिक रूप से पड़ने वाली 21,046 करोड़ रु. की लागत की 1,382 किलोमीटर की कुल लंबाई वाली 08 नई लाइनों और 13,220  करोड़ रु. की लागत पर 1,394 किलोमीटर की कुल लंबाई वाली 09 दोहरीकरण परियोजनाएं योजना स्वीकृति निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें से 384 किमी की लंबाई वाली परियोजनाओं को यातायात के लिए खोल दिया गया है और मार्च, 2019 तक 6,985 करोड़ रु. का व्यय किया गया है। 2009-14 के दौरान 6 किमी प्रति वर्ष की औसत दर से राज्य में 32 किमी दोहरीकरण परियोजनाओं पर का कार्य शुरू किया गया। 2014-19 में 83 किमी प्रति वर्ष की औसत दर से राज्य में 416 किमी की परियोजनाओं (42 किमी की नई लाइन और 374 किमी की दोहरीकरण परियोजनाओं) पर कार्य शुरू किया गया, जो  2009-14 के दौरान शुरू की गई परियोजनाओं की तुलना में 1200 प्रतिशत अधिक है।
अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद श्री नेताम ने कहा कि अपेक्षित अनुमोदनों के अधीन चिरमिरी से बरवाहडीह नई लाइन परियोजना को बजट 2013-14 में शामिल किया गया था। बहरहाल, चूंकि बिश्रामपुर के रास्ते  चिरमिरी से अम्बिकापुर तक लाइन पहले से ही मौजूद है, इसलिए योजना आयोग से बरवाहडीह और अम्बिकापुर (182 किमी) के बीच नई लाइन के कार्य को ‘सैद्धांतिक रूप से’ अनुमोदन देने का अनुरोध किया गया था। परियोजना की कुल 182 किमी की लंबाई में से 77 किमी झारखंड राज्य में और शेष 105 किमी छत्तीसगढ़ राज्य में आती है। तत्कालीन योजना आयोग ने इस शर्त के साथ उपर्युक्त योजना को ‘सैद्धांतिक रूप से’ अनुमोदन दिया था कि रेलवे संबंधित राज्य सरकारों से निःशुल्क भूमि प्राप्त  करेगी और कोल इंडिया (जिसके पास भारी निवेश योग्य अधिशेष है) से संयुक्त उद्यम के रूप में इस परियोजना को संयुक्त रूप से विकास करने के लिए संपर्क करेगी।
तदनुसार, छत्तीसगढ़, झारखंड राज्यों और कोल इंडिया लिमिटेड से निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराने और इस परियोजना को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए मई, 2013 में अनुरोध किया गया था। उस समय पर, न तो छत्तीसगढ़, झारखंड राज्य, सरकारों ने और न ही कोल इंडिया ने कोई उत्तर दिया। इसलिए, परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
अब, छत्तीसगढ़ रेल निगम लिमिटेड (सीआरसीएल), छत्तीासगढ़ सरकार और रेल मंत्रालय का संयुक्त उद्यम ने प्रारंभिक अध्ययन के लिए अम्बिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन का सर्वेक्षण कार्य शुरू किया है। इस परियोजना पर आगे विचार तब किया जा सकता है, जब रिपोर्ट उपलब्ध हो जाएगी तब ठोस नतीजे प्राप्त होंगे।
उल्लेखनीय है की इससे पूर्व नेताम लगातार इस विषय को सदन में उठाते रहे है और शीतकालीन सत्र के दौरान नेताम के साथ छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के सभी सांसदों ने रेल मंत्री से भेट कर इस योजना को जल्द शुरू करने हेतु आग्रह किया।

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