छात्रावास के दोषियों को शीघ्र दंडित करें सरकार — नेता प्रतिपक्ष कौशिक
रायपुर , 13 मार्च 2020 — प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बस्तर संभाग के स्कूल आश्रम छात्रावासों में व्याप्त लापरवाही को आपराधिक मामला बताते हुए प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है। श्री कौशिक ने कहा कि सुकमा क्षेत्र के पोटाकेबिन आश्रम-छात्रावास में एक छात्र की बीमारी से मौत के कुछ ही दिनों के अंतराल में जगदलपुर के मोरठपाल बालिका आश्रम में दो छात्राओं की बीमारी से हुई मौतें प्रदेश सरकार के तमाम दावों की पोल खोल देने के लिए पर्याप्त हैं। श्री कौशिक ने इन मामलों में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने और पीड़ित परिजनों को पर्याप्त आर्थिक मदद देने की मांग की है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने इस बात पर हैरत जताई कि इन आश्रमों के अधीक्षकों ने पूरे मामले को दबाने व छिपाने का दुस्साहस तक किया। यह स्थिति साफ करती है कि मौजूदा प्रदेश सरकार में शासन करने का अब कोई माद्दा नहीं रह गया है और प्रशासनिक मशीनरी सरकार की आँखों में धूल झोंकने तक की अराजकता पर आमादा हो चली है। श्री कौशिक ने कहा कि सुकमा के पोटाकेबिन छात्रावास के अधीक्षक ने तो खुद जाँच करने पहुँचे अधिकारियों को गुमराह किया ही, मृत छात्र के परिजनों से भी झूठा बयान दिलाने का दंडनीय अपराध किया। इधर मोरठपाल बालिका आश्रम की अधीक्षक ने अपने आला अफसरों को दो छात्राओं की मौत की जानकारी तक देना मुनासिब नहीं समझा। अगर पीड़ित परिजनों ने आश्रम की अव्यवस्था पर सवाल खड़ा नहीं किया होता तो न जाने कैसा मंजर होता!
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि आदिवासी हितों के संरक्षण की दावा करने वाली प्रदेश सरकार को इन घटनाओं के आईने में अपनी संवेदनहीनता और अपने नाकारेपन का वीभत्स चेहरा देख लेना चाहिए। पूरे बस्तर संभाग में सरकारी हॉस्टल्स, आश्रमों और छात्रावासों में जानलेवा होने तक की घोर अव्यवस्था का आलम नजर आ रहा है, लेकिन शासन-प्रशासन का इस पर बिल्कुल उदासीन होना चिंतनीय व निंदनीय है। श्री कौशिक ने कहा कि हाल के ही महीनों में दंतेवाड़ा के एक छात्रावास में एक छात्रा के गर्भधारण का गंभीर प्रकरण सामने आने के बावजूद न तो शासन-प्रशासन ने संजीदा होना जरूरी समझा और न ही अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की इच्छा शक्ति दिखाई है, इसलिए तमाम दावों के बावजूद बस्तर के ये आश्रम-छात्रावास अराजकता के प्रतीक केंद्र बनते जा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने इस बात पर हैरत जताई कि इन आश्रमों के अधीक्षकों ने पूरे मामले को दबाने व छिपाने का दुस्साहस तक किया। यह स्थिति साफ करती है कि मौजूदा प्रदेश सरकार में शासन करने का अब कोई माद्दा नहीं रह गया है और प्रशासनिक मशीनरी सरकार की आँखों में धूल झोंकने तक की अराजकता पर आमादा हो चली है। श्री कौशिक ने कहा कि सुकमा के पोटाकेबिन छात्रावास के अधीक्षक ने तो खुद जाँच करने पहुँचे अधिकारियों को गुमराह किया ही, मृत छात्र के परिजनों से भी झूठा बयान दिलाने का दंडनीय अपराध किया। इधर मोरठपाल बालिका आश्रम की अधीक्षक ने अपने आला अफसरों को दो छात्राओं की मौत की जानकारी तक देना मुनासिब नहीं समझा। अगर पीड़ित परिजनों ने आश्रम की अव्यवस्था पर सवाल खड़ा नहीं किया होता तो न जाने कैसा मंजर होता!
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि आदिवासी हितों के संरक्षण की दावा करने वाली प्रदेश सरकार को इन घटनाओं के आईने में अपनी संवेदनहीनता और अपने नाकारेपन का वीभत्स चेहरा देख लेना चाहिए। पूरे बस्तर संभाग में सरकारी हॉस्टल्स, आश्रमों और छात्रावासों में जानलेवा होने तक की घोर अव्यवस्था का आलम नजर आ रहा है, लेकिन शासन-प्रशासन का इस पर बिल्कुल उदासीन होना चिंतनीय व निंदनीय है। श्री कौशिक ने कहा कि हाल के ही महीनों में दंतेवाड़ा के एक छात्रावास में एक छात्रा के गर्भधारण का गंभीर प्रकरण सामने आने के बावजूद न तो शासन-प्रशासन ने संजीदा होना जरूरी समझा और न ही अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की इच्छा शक्ति दिखाई है, इसलिए तमाम दावों के बावजूद बस्तर के ये आश्रम-छात्रावास अराजकता के प्रतीक केंद्र बनते जा रहे हैं।