तब्लीगी कांड का जिम्मेदार कौन….. थानेदार की नसीहत के बाद भी आयी तबाही…

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नई दिल्ली,1 अप्रैल 2020 —  तब्लीगी कांड के मद्देनजर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इसमें कथित तौर पर निजामुद्दीन थाना प्रभारी (एस एच ओ) मुकेश वालिया मरकज तब्लीगी जमात के प्रबंधन के साथ बैठे हुए हैं। वे चेतावनी के साथ समझा रहे हैं कि मरकज में भीड़ न लगायें। जो लोग हैं, उन्हें तुरंत यहां से बाहर कर दें। अगर आप लोग नहीं मानेंगे और हमारी बात नहीं सुनेंगे तो ठीक नहीं होगा।

इन तमाम चेतावनियों की मरकज प्रबंधकों ने अनसुनी कर दी। जिसके चलते जमात में 24 मार्च को भी हजारों की तादाद में भीड़ जमी रही। इसके बाद भी यहां लोगों का हुजूम बरकरार रहा। वीडियो में एसएचओ कथित तौर पर यह कहते हुए सुनाई और दिखाई दे रहे हैं कि मरकज में पांच से ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं होंगे। कहा जा रहा है कि ऐसा नहीं है कि वीडियो एसएचओ ने चोरी-छिपे बनाया हो। इस कथित वीडियो में इंस्पेक्टर मुकेश वालिया बार-बार और खुलेआम कह रहे हैं कि अपनी आपकी बातचीत का वीडियो बना रहा हूं। सीसीटीवी में भी सब रिकार्ड हो रहा है। आप लोग बार बार कहने के बाद भी बात नहीं मान रहे हैं। वीडियो में वे कथित तौर पर कह रहे हैं, मैं आपको कई बार आगाह कर चुका हूं। इसके बाद भी डेढ़ से दो हजार की भीड़ हमेशा मरकज में रही है। आखिर क्यों? सब धार्मिक स्थल बंद हैं। मेरे इंट्रेस्ट के लिए इसमें कुछ नहीं है। आप लोग जितना डिस्टेंस मेंटेन करेंगे उतना ही जी जायेंगे। इस सबका जब मरकज के लोगों पर कोई असर नहीं होता है, तो एसएचओ झुंझला उठते हैं। वे साफ कहते हैं कि पहले मेरी बात सुनो। बीच में मत बोलो। अगर तुम लोगों ने मेरी बात सुनी होती तो फिर रोज डेढ़ दो हजार की भीड़ मरकज में न होती। मैंने तुम्हें बार बार आगाह किया। वार्निंग दी। इस पर प्रबंधन के सदस्य कहते हैं कि भीड़ तो पहले की है। इस पर एसएचओ एक बार फिर मरकज प्रबंधन को आड़े हाथ लेते हैं। वीडियो में एक जगह एसएचओ मरकज प्रबंधन को  कथित तौर पर नोटिस देते दिखाई देते हैं। फिर वे कहते हैं कि अगर अब इस नोटिस का पालन नहीं किया गया तो मैं बहुत स्ट्रिक्टली एक्शन लूंगा। मैं मजबूर होऊंगा। इस पर सामने बैठे मरकज के लोग बताते हैं कि ढाई हजार में से एक हजार लोगों को भेज चुके हैं। एक डेढ़ हजार बचे हैं। उन्हें भी लगातार निकाल रहे हैं हम लोग। यह बचे हुए एक हजार लोग कहां कहां के हैं? एसएचओ के पूछने पर बताया जाता है कि सब के सब देश के ही हैं। कोई लखनऊ का है। कोई बनारस का है। कोई बिजनौर का है। इस पर एसएचओ कहते हैं कि आप चाहें तो एसडीएम साहब से बात कर लो। मुझसे बेवजह की बातें मत करो। इस कथित वीडियो को लेकर यह सवाल भी शहर में उठते रहे कि अगर अब तक पुलिस के हिसाब से सब कुछ सही था तो फिर यह वीडियो दिल्ली पुलिस अपराध शाखा द्वारा एफआईआर दर्ज होते ही क्यों और कैसे बाहर आ गया। आखिर कौन सी वजह रही कि एसएचओ की कथित चेतावनी के बाद भी मरकज प्रबंधन पर  कोई असर नहीं पड़ा।

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