विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा – सरकार आदिवासियों के 1000 करोड़ पर अमानत में खयानत कर रही है ।
बृजमोहन का मंत्रियों से सवाल आदिवासियों को बोनस, लाभांश व शिक्षा छात्रवृत्ति का पैसा क्यों नही मिला, इसका जवाब दे?
तेंदूपत्ता बोनस व बीमा के मामले में गुमराह कर रही ही कांग्रेस।
रायपुर/21 जुलाई 2020 — भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज राज्य सरकार पर संवेदन हीन होने का तीखा आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार व उनके मंत्रीगण पहले यह जवाब दे कि पिछले 2 साल का तेंदूपत्ता संग्राहको का बोनस 597 करोड़ व लाभांश 432 करोड़ का वितरण क्यों नही किया गया। छात्रवृत्ति क्यो नही दी गई। प्रदेश के आदिवासी परिवारो के हक के पैसे जमाकर व उसे आदिवासी, लाभार्थियों को नही बांटकर ये सीधे-सीधे उनके हको के पैसे पर अमानत में खयानत की है।
श्री अग्रवाल ने आज मंत्रीगणों के पत्रकार वार्ता को आदिवासियों के साथ छलावा, असत्य व शोषण बताते हुए कहा कि तीनो मंत्रियों ने प्रदेश की जनता के सामने यह नही बताया कि दो सीजन का तेंदूपत्ता का बोनस जो 597 करोड़ है, उसे आदिवासियों बंधुओं को वितरित क्यो नही किया गया है? उन्होंने यह क्यों नही बताया कि समितियों को लाभांश, आदिवासियों बाहुल्य समितियों को 432 करोड़ क्यो नही दिया जा रहा है। तेंदुपत्ता संग्रहक परिवारों के आदिवासियों बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति अब तक क्यों नही दिया। इन सब पर इन मंत्रियों की चुप्पी अनेक संदेहो को जन्म देती है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ये क्यों नही बता रही है कि 1 जून 2019 को बीमा नवीनीकरण के अंतिम तिथि तक नवीनीकरण क्यों नही करवा पाए। बजट में पैसे का प्रावधान करने के बाद राज्य सरकार से अपनी अंश राशि जारी क्यो नही की। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा में ही आदिवासियों के आर्थिक विकास को लेकर खोट है। अन्यथा उनके पैसे पर ब्याज खाने के बजाय उन्हें आदिवासी परिवारों को वितरित कर देते।
श्री अग्रवाल ने राज्य सरकार के लापरवाही को उजागर करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने बीमा का नवीनीकरण की अंतिम तिथि तक नवीनीकरण नही करवाया क्यो कि सरकार के पास बीमा धारियों को लेकर डाटा ही नही था। श्री अग्रवाल ने आज अपर प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ नया रायपुर का पत्र क्र./वनो/संघ/बीमा/2019/9645 दिनांक 10/10/2019 को जारी करते हुए कहा कि मंत्रीगण पहले इस पत्र का अध्ययन कर ले जिसमें उसके अधिकारी ने यह स्वीकार किया है कि 10 वे माह तक वे डाटा नही इकट्ठा नही कर पाए है और जिले-जिले से डाटा मंगा रहे है। जब डाटा ही नही और बीमा निगम को पैसा ही नही दिया तो कैसा बीमा होगा। पुरानी योजना में समय पर राशि जमा कर दी है तो बीमा योजना जारी है। राज्य सरकार ने समय पर नवीनीकरण नही कराया इसलिए बीमा योजना बंद हो गई।
श्री अग्रवाल ने कहा कि राज्य के मंत्रीगण केन्द्र सरकार के उपर मिथ्या दोषारोपण कर अपनी अक्षम्यता को छुपा रहे है। इस योजना को केन्द्र सरकार द्वारा बंद किया जाना बताया जा रहा है, वह पूर्णतः असत्य है। वर्तमान में उक्त योजना को बंद की गई है पर छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ पुरानी योजना में शामिल था, जिसका उन्होंने नवीनीकरण नही करवाया अगर समय रहते नवीनीकरण करवा लिया जाता तो योजना का लाभ कैसे नही मिलता।
तेंदुपत्ता संग्रहको एवं इनसे जूड़े लोगो के बीमा नही होने के कारण इस दौरान घटनाएं घटित होने से प्रभावित हुए सैकड़ो परिवार आज दर-दर की ठोकरे खा रहे है व उन्हे मिलने वाले बीमा के सुरक्षित सुरक्षा से वे वंचित हो गए है। आखिर अब उन परिवारों को कौन देगा सहायता सरकार इस पर चुप है। श्री अग्रवाल ने कहा कि श्रम विभाग की जो योजना का उल्लेख मंत्रीगण कर रहे है योजनाएं ‘सहायता योजना’ है जबकि ‘‘बीमा-सुरक्षा योजना’’ है। सहायता योजना शासन के परिस्थितियों पर निर्भर है जबकि बीमा योजना विधि अधिनियम अनुसार संचालित है जिसमें बीमित को संवैधानिक संरक्षण है।