भाजपा को वोट देने के लिए सोशल मीडिया यूजर्स को मुफ्त उपहारों का लालच दे रही भाजपा
दिल्ली — फेसबुक का विज्ञापन पुस्तकालय डेटा, यूजर्स को किसी खास पेज द्वारा प्रायोजित राजनैतिक विज्ञापनों की प्रकृति की जांच करने की अनुमति देता है। ताजा खबर ने पाया कि आसन्न चुनावों से तीन महीने पहले विकसित पेज ‘माई फर्स्ट वोट फॉर मोदी‘, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोट देने का वचन देने के लिए “आकर्षक उपहार” का लालच दे रहा है। इस पेज द्वारा दिए जाने वाले उपहारों की शृंखला में बैज, बैग, टी-शर्ट, फोन कवर, कैप आदि हैं। इसके विज्ञापन में लिखा है, “बेहतर भारत के लिए पीएम मोदी को अपना पहला वोट दें और रोमांचक उपहार जीतें”।वास्तव में, प्रधानमंत्री ने स्वयं अपने ट्विटर हैंडल से कुछ ऐसे ही उत्पादों का विज्ञापन किया।‘नेशन विद नमो‘ और ‘माई फर्स्ट वोट फॉर मोदी‘ एक ही ब्रांड का हिस्सा हैं। यह, पहले दिए कोलाज और ऊपर के विज्ञापन से स्पष्ट है, जिसमें ‘नेशन विद नमो‘ के पेज पर प्रसारित विज्ञापन में ‘माई फर्स्ट वोट फॉर मोदी‘ का लोगो लगा है।
चुनाव नियमों का उल्लंघन?
हमारी पहले की रिपोर्ट में इस तथ्य को प्रकाश में लाया गया था कि विज्ञापनदाता के विवरण के हिस्से के रूप में ‘नेशन विद नमो’ और ‘माई फर्स्ट वोट फॉर मोदी‘ दोनों द्वारा उल्लिखित पता भाजपा के दिल्ली मुख्यालय के पते से मेल खाता है।भाजपा ने अभी तक इन पेजों के साथ सीधे संबंध घोषित नहीं किए हैं, जिससे यह सवाल खड़ा होता है कि इनके लिए धन कौन देता है? फरवरी 2019 के बाद से दोनों पेजों के विज्ञापनों पर संयुक्त निवेश लगभग 1.8 करोड़ रुपये का है।
लेकिन बड़ी चिंता की बात है, पर्दे के पीछे से मतदाताओं को रिश्वत देने की। दोनों पेज पीएम मोदी को वोट देने का वचन देने वाले व्यक्ति को नमो व्यवसाय के तहत बिक रहे माल के रूप में ‘आकर्षक पुरस्कार’ और ‘उपहार’ की पेशकश करते हैं।
चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुख टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा, “जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत, आपको मतदाताओं को किसी भी प्रस्ताव के साथ प्रभावित नहीं करना चाहिए। इस अधिनियम के तहत जांच की जानी चाहिए कि क्या मतदाताओं को अनुचित प्रभावों से प्रभावित किया जा रहा है।”
भारतीय चुनाव आयोग की जांच से ही ढेर सारे अनसुलझे सवालों का जवाब मिल सकता है।
1. क्या भाजपा या इस पार्टी से जुड़े लोग इन प्रॉक्सी फेसबुक पेजों में पैसा लगा रहे हैं जो मतदाताओं को मुफ्त के उपहारों का लालच देकर प्रभावित करते हैं?
2. क्या निर्वाचन आयोग को इस बारे में पता है?
3. क्या चुनाव आयोग ने इन पेजों के निवेश के स्रोतों पर ध्यान दिया है और क्या यह भाजपा के घोषित चुनाव व्यय का हिस्सा है?