मानसून सत्र में दैनिक वेतन भोगियों को नियमितीकरण करने हेतु निर्णय ले सरकार ।

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छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ पं. क्र.548 के प्रदेश महामंत्री श्री रामकुमार सिन्हा ने बताया कि वन विभाग में कार्यरत 5,000दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी/वाहन चालक/दैनिक श्रमिक/कम्प्युटर आपरेटरों को नियमितीकरण करने एवं लोक निर्माण विभाग,जलसंसाधन विभाग, शिक्षा विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग,तथा अन्य विभागों में कार्यरत 10,000 दैनिक वेतन भोगियों को नियमितीकरण करने हेतु माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी ,जल्द से जल्द निर्णय लें, आशा निराशा में परिवर्तन होते जा रहे है,प्रदेश महामंत्री ने कहा कि आपके पार्टी ने अपने जनघोषणा पत्र में दैनिक वेतन भोगी को नियमितीकरण करने हेतु वादा किया था, किन्तु नियमितीकरण कि कार्यवाही आज दिवस तक सुन्य कि स्थिती में है ,आपके द्वारा परिक्षण करने हेतु प्रमुख सचिव वाणिज्य, उद्धोग एवं सार्वजनिक उपक्रम विभाग के अध्यक्षता में समिती का गठन किया है, किन्तु उक्त समिती द्वारा किसी प्रकार के निणार्यक निर्णय नही ले पाये है ,जिसके कारण दैनिक वेतन भोगी हतास होकर आत्मदाह करने के लिये मजबुर हो रहे है, और करते भी जा रहे है! इसके लिये कौन जिम्मेदार होगा? प्रदेश महामंत्री ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी, माननीय वन मंत्री जी, माननीय विधी मंत्री, एवं जनघोषणापत्र को स्वरूप देने वाले माननीय टी. एस. बाबा जी से निवेदन करता हुं, कि दैनिक वेतन भोगियों के भविष्य को गंभिरता से लेते हुये नियमितीकरण का निर्णय लें, दैनिक वेतन भोगियों को नियमितीकरण करने हेतु पूर्व में गाईडलाईन जारी किया था 2008 में, सचिव छ. ग. शासन,सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र दिनांक 05/03/2008 के निर्देश के नियमों को सिथिल करते हुये, वर्ष 2008 से अबतक कार्य करने वाले दैनिक वेतन भोगियों को नियमितीकरण करें,
सरकार संविदा व अनियमित कर्मचारियों के कारण दैनिक वेतन भोगी के लिये नियमितीकरण का निर्णय नही ले पा रहा है,
और दैनिक वेतन भोगी पिसते जा रहे है, दैनिक वेतन भोगी को नियमितीकरण करने हेतु सुप्रीम कोर्ट का भी गाईड लाईन है, आपने किसानों से लेकर हर वर्ग को धिरे धिरे लाभ पहुंचाने का प्रयास किया है, मैं सरकार से मांग करता हुं कि दैनिक वेतन भोगियों के लिये नया गाईडलाईन जारी कर एक सर्कुलर बनाया जायें !जिस दैनिक वेतन भोगी कि सेवा अवधी 10साल पूर्ण हो गया है, उन्हे नियमितीकरण किया जायें, जैसा कि शिक्षा कर्मियों के लिये सरकार नें जारी किया था कि नियमितीकरण के लिये 08वर्ष सेवा पूर्ण होना जरूरी है, अब तो आपने शिक्षा कर्मियों का सेवा अवधि 02वर्ष कर दिया है, फिर हम दैनिक वेतन भोगियों के सांथ अन्याय क्यों हम दैनिक वेतन भोगियों को भी नियमितीकरण किया जावें, एकमुस्त नही कर सकते है तो, पार्ट पार्ट में नियमितीकरण किया जावें, 2008 से अब तक कार्यरत जिनकी सेवा अवधी 10वर्ष हो चुके है उन्हें नियमितीकरण करें, जो 10साल से कम अवधि के है उसे स्थाईकर्मी बनाया जायें ताकी 10वर्ष पूर्ण होते हि उन्हे नियमितीकरण किया जा सकें, आज वन विभागों में एवं अन्य विभागों में अपनी अहम भूमिका निभा रहे है दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी, चाहे वाहन चालक हो,दैनिक श्रमिक हो, कम्प्युटर आपरेटर हो, तेन्दुपत्ता गोदाम सुरक्षा श्रमिक हो, परिचालक हों, या वनों कि रक्षा करने वाले, फायरवाचर हों, सबकी मेहनत से, वन विभाग कि एवं अन्य विभागों कि सान है! इन दैनिक वेतन भोगियों को नियमितीकरण से वंचित रखना मेरे ख्याल से उचित नही है, माननीय मुख्यमंत्री जी से पुन:निवेदन करता हुं कि नया रचनात्मक कार्य करते हुयें दैनिक वेतन भोगियों के नियमितीकरण करने हेतु नई दिशा निर्देश जारी करें, सांथ हि सांथ ,मैं पुरे छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र के विधायकों से निवेदन करता हुं कि दैनिक वेतन भोगियों के नियमितीकरण के लिये साहसिक निर्णय लें और माननीय मुख्यमंत्री के पास अपनी मत रखें, ताकि नियमितीकरण करें,
जनघोषणा पत्र के मान और सम्मान को बंचाये रखें! वन विभाग के 5,000दैनिक वेतन भोगी एवं अन्य समस्त विभाग के 10,000दैनिक वेतन भोगी माननीय मुख्यमंत्री जी से अपेक्षा लगाये बैंठें है!

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