सफलता की कहानी : गोबर बना पशुपालकों और महिलाओं की अतिरिक्त आमदनी का जरिया ।
रायपुर, 20 अगस्त 2020 — गोबर कभी आमदनी का जरिया बनेगा इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी, लेकिन सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना ने यह सच कर दिखाया है। योजना से पशुपालकों, किसानों और महिलाओं के लिए अतिरिक्त आमदनी के रास्ते खुलने लगे हैं। इसका लाभ उठाते हुए जनजाति बहुल जशपुर जिले के मनोरा विकासखंड के ग्राम पंचायत रेमने के गेड़ई गौठान की गांधी स्वसहायता समूह की महिलाएं गोबर से जैविक खाद का निर्माण कर आत्मनिर्भर बन रही हैं। गोधन न्याय योजना के षुभांरभ दिन 20 जुलाई 2020 से ही उनके गौठान में गोबर विक्रय हेतु पषुपालको की भीड़ उमड़ रही हैं। समूह की महिलाओं ने बताया कि उन्होंने पषुपालको से अब तक 32.86 क्ंिवटल गोबर की खरीदी की है। जिसका भुगतान जिला प्रषासन के द्वारा किया जा रहा है। इससे न सिर्फ गौठान समिति को लाभ हो रहा है, बल्कि गांव के समस्त पषुपालकों की भी आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है।
समूह की महिलाओं ने बताया कि पहले गोबर से किसी भी तरह की आमदनी नही ंहो पाती थी, पशुपालक गोबर को अपनी बाड़ी में ही फेक दिया करते थे। गोधन न्याय योजना के लागू होने से पशुपालक गोबर को गौठान में बेचकर अपनी आय बढ़ाने लगे हैं। गौठान में आने वाले गोबर से समूह की महिलाएं जैविक खाद बनाकर उसे अधिक मूल्य पर विक्रय करेंगे। इससे महिलाओं को आमदनी के साथ किसानों को प्राकृतिक खाद प्राप्त होगा और फसल की अच्छी पैदावार होगी।
समूह की महिलाएं काफी खुश हैं कि शुरूआत से ही पशुपालक बिना किसी प्रचार-प्रसार के गोबर विक्रय करने के लिए आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि समूह में 12 महिलाएं है। कृषि विभाग द्वारा उन्हें जैविक खाद निर्माण के संबंध में प्रषिक्षण भी दिया गया है। प्रषिक्षण के दौरान उन्हें गोबर, पेड़ पौधों की पत्तियों, छाल, व अन्य जैविक अवषेष का एकत्रीकरण व प्रबंधन, जैविक खाद के लिए आवष्यक केंचुएं की प्रजाति और सावधानियों के बारे में बताया गया है। साथ ही जैविक खाद निर्माण के बाद वर्मी कम्पोस्ट की पैकेजिंग, भण्डारण एवं विपणन के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई है। समूह की सदस्य श्रीमती दिव्यावती बताती हैं कि पहले घर के काम में ही पूरा समय व्यतीत हो जाता था। सरकार ने उन्हें प्रषिक्षित कर उनका कौषल बढ़ाया है, जिसका लाभ उन्हें मिलने लगा है। उन्होंने गोबर से जैविक खाद बनाना प्रारंभ कर दिया गया है। लगभग 40-50 क्विंटल जैविक खाद के बनने की संभावना है। जिसे वे 8 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय करेंगी। जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। समूह की महिलाओं और पशुपालकों स्वावलंबना से जुड़ी इस योजना के लिए प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया है।