फ्रांसीसी अखबार का दावा, राफेल सौदे के बाद अनिल अंबानी को मिली 1100 करोड़ रुपये की कर छूट…..

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                 Taja Khabar 

फ्रांस के अखबार ले मोंड की ताजा रिपोर्ट ने राफेल विवाद को नया मोड़ दे दिया है। अखबार ने दावा किया है कि 2015 में 36 राफेल विमान सौदे की घोषणा के बाद रिलायंस कम्यूनिकेशन की फ्रांस स्थित कंपनी रिलायंस फ्लैग को 14 करोड़ यूरो (लगभग 1100 करोड़ रुपये) से ज्यादा की कर छूट मिली। ले मोंड ने खुलासा किया है कि फ्रांस में केबल नेटवर्क और टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर का काम करने वाली रिलायंस फ्लैग अटलांटिक फ्रांस को अप्रैल 2015 तक 15 करोड़ यूरो चुकाने थे लेकिन फ्रांस कर प्राधिकरण ने अक्टूबर 2015 में 73 लाख यूरो में ही मामला निपटा दिया। इससे अनिल अंबानी को बड़ी राहत मिली।
गौरतलब है कि कांग्रेस राफेल सौदे में अनिल अंबानी की फर्म रिलायंस डिफेंस को फायदा पहुंचाने को लेकर केंद्र सरकार को घेरती रही है। इस खुलासे ने उसे एक और मौका दे दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सूरजेवाला ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह छूट ‘मोदी कृपा’ की वजह से मिली, जो अंबानी के लिए ‘बिचौलिये’ की तरह काम किया। जाहिर है एक ही चौकीदार चोर है। सूरजेवाला ने आगे कहा, ‘मोदी की कृपा जिस पर हो जाए, उसका कुछ भी हो सकता है। मोदी है तो मुमकिन है।’

उधर, रक्षा मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि एक कंपनी को कर छूट और भारत सरकार द्वारा राफेल जेट खरीद में संबंध स्थापित स्थापित करने वाली रिपोर्ट को देखा है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में हुए राफेल सौदे और कर छूट से दूर तक कोई संबंध नहीं है। कर छूट और राफेल मामले को जोड़ना सरासर गलत और दुष्प्रचार है।

रिलांयस कम्यूनिकेशन के प्रवक्ता ने इस रिपोर्ट पर सफाई दी। उन्होंने कहा है कि फ्रांस कर अधिकारियों द्वारा कर की मांग पूरी तरह गैर-कानूनी थी और कर सैटलमेंट से कंपनी को कोई फायदा नहीं हुआ। फ्रांस की कर सैटलमेंट प्रक्रिया के बाद आपसी सहमति से 56 करोड़ रुपए का कर भुगतान किया गया।

रिलायंस को मिली कर छूट में कोई राजनीतिक दखल नहीं: फ्रांस

फ्रांस ने शनिवार को कहा कि वहां के कर प्राधिकरणों तथा रिलायंस की अनुषंगी के बीच कर छूट को लेकर वैश्विक सहमति बनी थी और इसमें किसी भी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं किया गया है। फ्रांस ने यह स्पष्टीकरण उन खबरों के पृष्ठभूमि में दिया है जिनमें अनिल अंबानी की फ्रांसीसी कंपनी को भारी-भरकम कर छूट मिलने की बातें की गयी हैं।

फ्रांस के दूतावास ने एक बयान में कहा, ‘फ्रांस के कर प्राधिकरणों तथा दूरसंचार कंपनी रिलायंस फ्लैग के बीच 2008 से 2018 तक के कर विवाद मामले में वैश्विक सहमति बनी थी। विवाद का समाधान कर प्रशासन की आम प्रक्रिया के तहत विधायी एवं नियामकीय रूपरेखा का पूरी तरह पालन करते हुए निकाला गया था।

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