छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थिति को लेकर भाजपा का प्रचार झूठा — कांग्रेस

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केंद्र की मोदी सरकार ने बिगाड़ी है देश की अर्थव्यवस्था

नौ नगद चाहिये न तेरह उधार : अब हारेगी भाजपा सरकार

5 साल में 30,28,945 करोड़ का लिया कर्ज : 57 प्रतिशत बढ़ा कर्ज का भार

मोदी ने कर्ज लेकर लुटाया पैसा और देश की अर्थव्यवस्था का किया बंटाधार

रायपर — छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थिति को लेकर भाजपा द्वारा हायतौबा मचाने पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थित को लेकर भाजपा का झूठा प्रचार। केंद्र की मोदी सरकार ने बिगाड़ी है देश की अर्थव्यवस्था। मार्च 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार आने के पहले देश पर कुल 53 लाख 11 हजार करोड़ रूपये का कर्ज था। 5 साल के मोदी सरकार के कार्यकाल में देश पर कर्ज बढ़कर हो गया है। 83 लाख 40 हजार करोड़ रूपये। मोदी सरकार ने मात्र 4 साल 9 महीने में देश पर कुल 57 प्रतिशत कर्ज बढ़ा दिया, महंगाई बढ़ाया, बेरोजगारी बढ़ाया, आत्महत्या करते हजारों-लाखों किसानों को कोई सहारा दिये बिना भाग्य भरोसे छोड़ दिया। देश का विकास भी नहीं किया।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि केंद्र के ठीक विपरीत छत्तीसगढ़ की स्थिति है। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार किसी भी प्रकार के आर्थिक संकट में नहीं है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पूरी परिपक्वता, समझदारी एवं जिम्मेदारी के अनुसार अपने दायित्वों का निर्वाह कर रही है। कांग्रेस सरकार अन्नदाता किसानों और राज्य की जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी के लिये प्रतिबद्ध रही है। इस कारण कर्ज के बोझ से दबे आत्महत्या करते किसानों को कर्ज से राहत देने के लिये, कृषि प्रधान राज्य के किसानों की स्थिति में सुधार की लिये स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों की अनुसार धान की 2500 रू. प्रति क्विंटल देने के लिये छत्तीसगढ़ सरकार को कर्ज भी लेना पड़ा। लेकिन यह कर्ज कृषि एवं जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू करने के लिये लिए गये और सरकार को पता है कि वह किस तरह से इस कर्ज को चुकायेगी।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब राज्य पर कोई ऋण नहीं था। 2019 में जब कांग्रेस को सत्ता वापस मिली तो तब प्रदेश पर लगभग 57000 करोड़ का कर्ज था। छत्तीसगढ़ के लोगों को कर्ज तले दबाकर, इस कर्ज में लिये पैसे को राज्य की भाजपा सरकार स्काई वाक, मोबाइल बांटने जैसी योजनाओ पर अनाप-शनाप पैसे खर्च करती रही और कमीशनखोरी में जुटी रही। ऋण लेने की शुरुआत भाजपा सरकार ने की, वह भी ऐसे निर्माण कार्यों के लिए जिसमें कमीशनखोरी हो सके। कांग्रेस की सरकार किसानों को कर्जमुक्त करने और उनका धान खरीदने के लिए ऋण ले रही हैं। भाजपा और कांग्रेस के चरित्र में यही फर्क है।

छत्तीसगढ़ राज्य की वास्तविक आर्थिक स्थिति

. राज्य में किसी भी प्रकार का आर्थिक संकट नहीं है। सभी भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है।
. माह अप्रैल 2018 की तुलना में माह अप्रैल 2019 में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा भुगतान शासकीय खजाने से किया गया है।
. सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहायता एवं अनुदान, निर्माण कार्यो तथा वेतन भत्ते हेतु पर्याप्त राशि उपलब्ध है एवं उनका भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है।
. राज्य में विकास कार्यो के क्रियान्वयन के लिये राज्य की राजस्व प्राप्तियों के साथ-साथ ऋण के माध्यम से राशि की व्यवस्था सामान्य प्रक्रिया है।
. संविधान के अनुच्छेद 293(3) में स्वयं भारत सरकार द्वारा राज्यों को विकास कार्यो हेतु ऋण लेने की वार्षिक सीमा प्रतिवर्ष जारी की जाती है।
. छत्तीसगढ़ द्वारा प्रतिवर्ष भारत सरकार द्वारा निर्धारित सीमा का नियम से पालन किया जा रहा है।
. वर्ष 2018-19 के लिये भारत सरकार द्वारा राज्य को 12979 करोड़ का ऋण लेने की अनुमति दी गई थी जिसके विरूद्ध 12,900 करोड़ का ऋण वित्त वर्ष के दौरान लिया गया था।
. वर्ष 2019-20 के दौरान बजट में 10,926 करोड़ का ऋण लेने का प्रावधान किया गया है।
. माह अप्रैल 2019 में ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी है।
. माह अप्रैल 2019 में पिछले वर्ष अप्रैल की तुलना में जीएसटी एवं वैट से प्राप्त राजस्व में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
. मई, 2019 में भी ऋण लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
. वर्ष 2018-19 तथा 2019-20 में निर्माण कार्यो के भुगतान पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। सभी निर्माण कार्यो का भुगतान नियमानुसार एवं निरंतर किया जा रहा है।
. दिसंबर 2018 की स्थिति में अप्रारंभ निर्माण कार्यो के लागत की उपयुक्तता एवं जन उपयोगिता की दृष्टि से समीक्षा उपरांत प्रारंभ करने की अनुमति देने का निर्णय किया गया था।
. सड़क, भवन, सिंचाई एवं अन्य निर्माण कार्यो को मिलाकर लगभग 700 कार्यो को प्रारंभ करने की अनुमति दी गई है।
. आचार संहिता समाप्त होने के उपरांत शेष अप्रारंभ कार्यो पर शीघ्र निर्णय लिया जायेगा।
. राज्य शासन द्वारा भर्ती पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है अपितु भर्ती के पूर्व वित्त विभाग की अनुमति लेने का निर्णय को एक वर्ष के लिये बढ़ाया गया है। यह निर्देश वर्ष 2014 (वित्त निर्देश क्रमांक 27/2014) से प्रचलित है और वर्ष 2015, 2016, 2017 एवं 2018 में एक-एक वर्ष के लिये बढ़ाया गया था।
. वर्तमान में शिक्षा विभाग के लगभग 15,000 शिक्षकों की भर्ती की अनुमति दी गई है एवं आवश्यकतानुसार भर्ती की अनुमति सतत् रूप से दी जाती है। पूर्व वर्षो में दी गई भर्ती की अनुमतियों को रोकने का निर्देश भी नहीं है।
. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट 2018 अनुसार राज्य का कुल ऋण दायित्व जीडीपी का 17.4 प्रतिशत है, जो अन्य राज्यों के औसत 24.3 प्रतिशत से कम है।
. इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा लिये गये ऋण पर ब्याज भुगतान का दायित्व कुल राजस्व प्राप्तियों का 4.6 प्रतिशत है, जो कि अन्य राज्यों के औसत 11.6 प्रतिशत से काफी कम है।

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