बैलाडीला को लेकर बरसे जोगी’ मैं मर जाऊँगा लेकिन बैलाडीला बिकने नही दूंगा …

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अजित जोगी ने  सख्त लहजे में कहा कि बैलाडीला की एक फावड़ा या कुदाल मिट्टी लेने नहीं दूंगा ….

आदिवासियों के आंदोलन का समर्थन करते हुए जोगी ने कहा कि कवासी लखमा इस आंदोलन का नेतृत्व करें और अपनी सरकार को मनाएं…

भूपेश बघेल तैयार नही तो लखमा को मंत्रिमंडल से जनहित में इस्तीफ़ा देने को कहा…

छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के सुप्रीमो अजीत जोगी शनिवार सुबह किरंदूल-बचेली पहुँचें,राज्य-सरकार और केंद्र-सरकार द्वारा संयुक्त रूप से बैलाडिला स्थित NMDC की कोयला खदान क्रमांक 13 का ठेका अड़ानी कम्पनी को देने के जनविरोधी निर्णय के विरुद्ध आंदोलन कर रहे स्थानीय आदिवासी समुदाय को अपना सहर्ष समर्थन देने की घोषणा की,


जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के माँग करते हुए कहा कि “मुख्यमंत्री जी, अगर आपकी सरकार वास्तव में आदिवासियों की हितैषी है तो इस निर्णय को निरस्त करें। इसके लिए आपको दिल्ली से पूछने की ज़रूरत नहीं हैं।”
आंदोलन को लेकर मंत्री कवासी लखमा के समर्पण की प्रशंसा करते हुए, जोगी ने कहा कि उनको भी अड़ानी की लीस रद्द करने के लिए लड़ना चाहिए, भले ही उनको मंत्री पद से इस्तीफ़ा ही क्यों न देना पड़े। पद तो आते-जाते रहते हैं लेकिन बस्तर को बचाना ज़रूरी है। जोगी ने कहा कि “ये बात मुझसे कहीं बेहतर कवासी जी जानते-समझते हैं।”


उदबोधन के दौरान भावुक होते हुए अजीत जोगी ने आगे कहा कि “मेरे पाँव नहीं चलते फिर भी मैं 400 किलोमीटर का लम्बा सफ़र रायपुर से तय करके आपके बीच अपनी बहन सुश्री सोनी सोरी, अपनी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के ज़िला अध्यक्ष बबलू सिद्दीक़ी और संयुक्त संघर्ष मोर्चे के अध्यक्ष भास्कर जी के बुलावे पर यहाँ आप सब के बीच पहुँचा हूँ। सरकार में आने के पहले भूपेश बघेल जी ने कहा था कि हम खदान अड़ानी को किसी भी सूरत में नहीं देने देंगे लेकिन सरकार में आने के बाद, पाँच महीने में उसी अड़ानी को उन्होंने पाँच-पाँच खड़ाने दे डाली! इसका मैं अपनी अंतिम साँस तक विरोध करता रहूँगा जब तक कि भूपेश सरकार इस जनविरोधी फ़ैसले को निरस्त नहीं कर देती।”
आखिर में अजीत जोगी ने वहाँ मौजूद लोगों की हौसला अफजाई करते हुए अपने चिर-परिचित अंदाज में पैरोडी के जरिए अपनी बात खत्म की,
उन्होंने स्थानीय लोगों से कहा कि,….
“न मुँह छुपा के जियो न सर झुका के जियो,
सितमगरों की नज़र से नज़र मिला के जियो,…!
और अब एक रात अगर कम जियो तो कम ही सही,
यही बहुत है कि अपनी मशाले जला के जिओ….!

 

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