नर्सिंग की आदिवासी छात्राओं की समस्या का मुख्यमंत्री बघेल ने लिया संज्ञान

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पिछले दो साल से छात्रवृत्ति नही मिलने से परेशान थी छात्राएं….

बस्तर और सरगुजा क्षेत्र विकास प्राधिकरणों से आदिवासी छात्राओं के जी.एन.एम. नर्सिंग प्रशिक्षण के लिए कुल 51.20 लाख रूपए हुए स्वीकृत ….

रायपुर — मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के बस्तर और सरगुजा की अनुसूचित जनजाति वर्ग की नर्सिंग कर रही छात्राओं को पिछले दो साल से छात्रवृत्ति नही मिलने की समस्या को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्काल आवश्यक पहल करते हुए बस्तर और सरगुजा प्राधिकरणों से इन छात्राओं की छात्रवृत्ति के लिए कुल 51 लाख 20 हजार रूपए की राशि जारी कर दी गई है।
बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के सदस्य सचिव और बस्तर कमिश्नर ने 22 छात्राओं के द्वितीय और तृतीय वर्ष के जी.एन.एम. प्रशिक्षण के लिए कुल 35 लाख 20 हजार रूपए स्वीकृत करते हुए राशि संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं बस्तर संभाग को आबंटित कर दी है इसी तरह सरगुजा क्षेत्र विकास प्राधिकरण के सदस्य सचिव और कमिश्नर सरगुजा द्वारा 10 आदिवासी छात्राओं के निजी प्रशिक्षण केन्द्रों में द्वितीय और तृतीय वर्ष के जी.एन.एम. प्रशिक्षण के लिए कुल 16 लाख रूपए स्वीकृत करते हुए राशि संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं सरगुजा संभाग को राशि का आबंटन कर दिया गया है।
गौरतलब है कि प्रदेश में वर्ष 2016 में यूरोपियन कमीशन की ईसीएसपीपी कार्यक्रम के तहत इन आदिवासी छात्राओं को निजी नर्सिंग काॅलेजों में प्रवेश दिलाया गया था, लेकिन आर्थिक अनियमितता के चलते इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया इसके चलते तत्कालीन सरकार द्वारा छात्राओं को छात्रवृत्ति भी देना बंद कर दिया गया, जबकि यह राशि यूरोपियन कमीशन से पूर्व में ही राज्य सरकार को दी जा चुकी थी। छात्रवृत्ति बंद हो जाने से इन आदिवासी छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इनके परिवारों को भी इस प्रशिक्षण को आगे जारी रखने के लिए जमीन-जायजाद को गिरवी रखकर कर्ज भी लेना पड़ा।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इन नर्सिंग छात्राओं की समस्याओं को गंभीरता से लिया जिसके परिणाम स्वरूप छात्राओं के प्रशिक्षण के लिए बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरणों से आवश्यक राशि जारी हो सकी।

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