लाभ में चलने वाले विद्युत विभाग को बदहाल स्थिति में पहुंचाने का श्रेय भाजपा को – कांग्रेस

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सरप्लस बिजली वाले राज्य में भी पिछले वर्षो में करोड़ों की बिजली खरीदने का रिकार्ड

रायपुर —  छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने भाजपा पर आरोप लगाते हुये कहा कि पिछले 15 वर्षो में भाजपा शासनकाल में विद्युत विभाग को बदहाली की हालत में लाने का पूरा श्रेय भाजपा सरकार को जाता है। आज वो धरना प्रदर्शन करके 2018 के विधानसभा में मिली करारी हार और 15 सीटों तक सिमट जाने का मातम मना रहे है। भाजपा का धरना प्रदर्शन अपनी कमजोरी को छिपाने का तरीका है और कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने कहा कि सन् 2008 में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल 47 करोड़ 63 लाख 60 हजार रू. के लाभ में था, जिसे भाजपा की गलत नीतियों के कारण 5 कंपनियों में विभक्त कर लगातार घाटे में लाया गया। ट्रेडिंग जैसी कंपनी जो 0.7 प्रतिशत लाभ में काम करने वाली कंपनी भी पिछले वर्षो में घाटे में चल रही थी, वितरण कंपनी का घाटा 2000 करोड़ से नीचे नहीं रहा। सस्ता कोयला, जमीन, पानी, श्रम आदि की उपलब्धता के बावजूद विद्युत कंपनी घाटे में चल रही थी। सन् 2003 में कांग्रेस सरकार के समय छत्तीसगढ़ प्रदेश सरप्लस बिजली वाला प्रदेश कहलाता था, परंतु भाजपा की गलत नीतियों और कुप्रबंधन के कारण 2012-17 के बीच महंगी बिजली खरीदने का खेल शुरू किया गया। जिसमें वर्ष 2010-11 में 197 करोड़, 2011-12 में 168 करोड़, 2012-13 में 245 करोड़, 2013-14 में 917 करोड़, 2014-15 में 532 करोड़ रू. यानी पांच सालों में कुल 2059 करोड़ रू. की बिजली सीएसपीडीसीएल ने खरीदी थी। विशेष बात यह है कि इन सालों में खरीदी गयी बिजली की दरें सामान्य खरीदी से ज्यादा थी। जिसका सीधा नुकसान उपभोक्ताओं पर पड़ा। महंगी बिजली प्रदेश में बिजली संकट को दूर करने के नाम पर खरीदी गयी थी, जिसमें सीएसपीडीसीएल ने 3 रू. से अधिक कीमत की बिजली प्राईवेट विद्युत कंपनियों से खरीदी थी। ओपन एक्सेस में भी भारी घोटाला किया गया था, जिसकी जांच रिपोर्ट दबा दी गयी। मीटर शिफ्टिंग घोटाले की जांच की रिपोर्ट आम जनता तक नहीं आयी। जिसमें करोड़ो का घोटाला हुआ था। मड़़वा ताप विद्युत परियोजना जो भाजपा के शासनकाल का भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा सबूत है, जिसमें लगभग तीन हजार करोड़ रू. का निर्माण काल में ही घाटा हुआ एवं उससे उत्पन्न्न बिजली सबसे महंगी है। विशेष बात यह है कि 500-500 मेगावाट के दो ईकाइयों में से दोनों इकाईयों ने कभी भी अपनी पूरी क्षमता अर्थात 500-500 मेगावाट का उत्पादन नहीं किया।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए. इकबाल आगे बताते हुये कहा कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आयी, तब से विद्युत विभाग ने सकारात्मक पहल करते हुये पिछले 6 माह में बिजली की लाईन जो 20082 किमी थी जिसे बढ़ा कर 22045 किमी यानी 1963 किमी में वृद्धि की गयी, पंपों का ऊर्जीकरण 9919 किये गये, 33/11 केवी उपकेन्द्र 1099 से बढ़ाकर 1242 यानी 143 उपकेन्द्र बनाये गये, इसी प्रकार निम्न दाब के ट्रांसफार्मर की संख्या जो पहले 150280 थी उसमें वृद्धि कर 167949 यानी 17649 ट्रांसफार्मर पूरे प्रदेश भर नये लगाये गये।
रिकार्ड के अनुसार जनवरी 2018 से मई 2018 भाजपा शासनकाल में 121046 घंटे ब्रेक डाउन और शटडाउन के द्वारा बिजली बंद रही, जबकि कांग्रेस के शासनकाल में जनवरी से मई 2019 तक विपरीत परिस्थितियों तथा आंधी तूफान के बावजूद 98813 घंटे मात्र ही बिजली बंद रही। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पावर कंपनी के घाटे में होने के बावजूद जनता को राहत देने के लिये अपनी घोषणा पत्र के पालन में 1 अप्रैल 2019 से बिजली बिल हाफ करके लाखों उपभोक्ताओं को इसका आर्थिक लाभ पहुंचाया।

 

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