संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने स्थापत्य कला से संबंधित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया शुभारंभ …
रायपुर — संस्कृति एवं पुरातत्व मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने आज राजधानी रायपुर के सिविल लाइन स्थित महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय में आयोजित स्थापत्य कला से संबंधित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया। यह संगोष्ठी ‘मंदिर स्थापत्य एवं कला का विकास – 5वीं से 11वीं सदी ईस्वी तक’ विषय पर आधारित है। उन्होंने कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर वाराणसी से डॉ. सीताराम दुबे, पुरातत्व विद श्री ए.के.शर्मा, नीदरलैण्ड से डॉ. श्रीमती नताशा बोस्मा, संचालक श्री चन्द्रकांत उईके सहित कला संस्कृति से जुड़े वरिष्ठजन तथा पुरातत्व विद बड़ी संख्या में उपस्थित थे। यह संगोष्ठी संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित की गई है।
संस्कृति मंत्री श्री साहू ने संगोष्ठी में देश भर से आए अध्येताओं का स्वागत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की धरा कला, संस्कृति तथा पुरातत्व की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। इस क्षेत्र में हो रहे नवीन अनुसंधानों तथा विद्वान अध्येताओं के विचार-विमर्श से कला की संरक्षण और संवर्धन को महत्वपूर्ण आयाम मिलेगा। उन्होंने संगोष्ठी के आयोजन को सांस्कृतिक धरोहरों से परिचित होने और इसके प्रचार-प्रसार के लिए भी महत्वपूर्ण बताया।
संगोष्ठी में डॉ. सीताराम दुबे ने वर्तमान परिदृश्य में अपने प्राचीन स्मारकों को जानने और समझ विकसित करने के लिए संगोष्ठी के आयोजन को बहुत उपयोगी बताया। नीदरलैण्ड की डॉ. नताशा बोस्मा ने छत्तीसगढ़ में प्रारंभिक शैव धर्म के प्रभाव पर अपने किए गए शोध कार्यों के बारे में जानकारी दी तथा शोध ग्रंथ की प्रति संस्कृति मंत्री श्री साहू को भेंट भी की। संगोष्ठी में तीन अकादमिक सत्र हुए जिसमें विषय से संबंधित 15 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर प्रो. एल.एस. निगम, प्रो. रमेन्द्रनाथ मिश्र, प्रो. दिनेश नंदनी परिहार, प्रो. आर.एन. विश्वकर्मा, श्री जी.एल. रायकवार, प्रो. आर.पी. पाण्डेय तथा मनोज कुर्मी सहित विभिन्न राज्यों से अमंत्रित अध्येता तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल के अधिकारी और विभिन्न महाविद्यालयों के शोधार्थी उपस्थित थे। संचालक श्री चन्द्रकांत उइके ने स्वागत भाषण दिया और उप संचालक श्री राहुल सिंह ने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी तथा डॉ. पी.सी. पारख ने आभार प्रदर्शन किया।
संस्कृति मंत्री श्री साहू ने संगोष्ठी में देश भर से आए अध्येताओं का स्वागत करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की धरा कला, संस्कृति तथा पुरातत्व की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। इस क्षेत्र में हो रहे नवीन अनुसंधानों तथा विद्वान अध्येताओं के विचार-विमर्श से कला की संरक्षण और संवर्धन को महत्वपूर्ण आयाम मिलेगा। उन्होंने संगोष्ठी के आयोजन को सांस्कृतिक धरोहरों से परिचित होने और इसके प्रचार-प्रसार के लिए भी महत्वपूर्ण बताया।
संगोष्ठी में डॉ. सीताराम दुबे ने वर्तमान परिदृश्य में अपने प्राचीन स्मारकों को जानने और समझ विकसित करने के लिए संगोष्ठी के आयोजन को बहुत उपयोगी बताया। नीदरलैण्ड की डॉ. नताशा बोस्मा ने छत्तीसगढ़ में प्रारंभिक शैव धर्म के प्रभाव पर अपने किए गए शोध कार्यों के बारे में जानकारी दी तथा शोध ग्रंथ की प्रति संस्कृति मंत्री श्री साहू को भेंट भी की। संगोष्ठी में तीन अकादमिक सत्र हुए जिसमें विषय से संबंधित 15 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर प्रो. एल.एस. निगम, प्रो. रमेन्द्रनाथ मिश्र, प्रो. दिनेश नंदनी परिहार, प्रो. आर.एन. विश्वकर्मा, श्री जी.एल. रायकवार, प्रो. आर.पी. पाण्डेय तथा मनोज कुर्मी सहित विभिन्न राज्यों से अमंत्रित अध्येता तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रायपुर मंडल के अधिकारी और विभिन्न महाविद्यालयों के शोधार्थी उपस्थित थे। संचालक श्री चन्द्रकांत उइके ने स्वागत भाषण दिया और उप संचालक श्री राहुल सिंह ने कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी तथा डॉ. पी.सी. पारख ने आभार प्रदर्शन किया।