पिता ले आया लाचार बेटे को स्टेचर से व्हील चेयर तक …. “ एक बार फिर संजीवनी साबित हुई आयुर्वेद की दवाएं और सूरज की जिंदगी में लौटी रोशनी ’

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रायपुर — महंगे अस्पतालों के खर्चों से थक हारकर लोग अब भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्वति की ओर धीरे-धीरे लौट रहे हैं । जटिल बिमारियों का भी इलाज कराकर मरीज स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं ।
राजधानी के शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के पंचकर्म विभाग में चिकित्सकों ने एक ऐसे मरीज का इलाज किया है जो पूरी तरह चलने, फिरने, और बोलने में असक्षम था ।

परिजनों ने बताया सूरज मानिकपुरी(24), बीए सेकेंड इयर में पढाई के दौरान दोस्तों के साथ पिकनिक टूर पर गया था जब नहाते समय उसका पैर फिसल गया और उसकी गर्दन की हड्डी टूट गयी.कोरबा के गहिनीया कंजीनाला निवासी सूरज की इस हादसे से लकवा गस्त हो गया । परिजनों ने तत्काल सूरज को कोरबा व बिलासपुर के अस्पताल में उपचार कराया । महंगे अस्पतालों में ऑपरेशन व इलाज लगातार दो साल जारी रहा । इलाज कराने में जमीन व माँ का ज़ेवर भी बेचने पड़े और इसके बाद भी परिजन कर्ज में दबते गए ।
दो साल बाद डॉक्टर्स हार मान गए लेकिन पिता ने उम्मीद नहीं हारी । मूलतः कोरबा जिले के बालको नगर निवासी सूरज स्टेचर में ही दो साल तक पडा रहा। वह बिस्तर में करवट भी नहीं ले सकता था । खुद के पैरों को हिलाने की नसों में ताकत नहीं थी।

पिता के उम्मीद से व्हीलचेयर में चलता सूरज:
आखिर पिता सूरज को आठ महीने पहले शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल ले आया जहाँ आठ महीने के उपचार के बाद सूरज की सेहत में बहुत लाभ हुआ है|स्ट्रेचर से उठकरअब वह व्हीलरचेयर पर बैठने लगा है और घूम सकता है।
आर्थिक तंगी से जुझते हुए पिता महादेव दास (59) की यह आत्मविश्वास ही थी जो वह बेटे को दोबारा जीने के लिए तैयार कर रहा है।सूरज अब बातचीत भी करने लगा है । व्हीलचेयर में चलता है और दीवार के सहारे खडा होने का प्रयास भी करने लगा है। अस्पताल में नियमित योगाभ्यास, पंचकर्म और फिजियोथैरिपी से मरीज की सेहत में सुधार तेजी से होने लगा है। यानी आयुर्वेद की दवाएं संजीवनी साबित हुई और सूरज की जिंदगी में एक बार फिर से रोशनी लौटा दी है।

मरीज के स्वास्थ्य में अब काफी सुधार:
शासकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में पंचकर्म विभाग के एचओडी डॉ. रंजीप कुमार दास ने बताया अस्पताल में लगभग आठ महीने से सूरज चरण मानिकपुरी का निशुल्क इलाज चल रहा है। इलाज से मरीज के स्वास्थ्य में अब काफी सुधार आया है ।आयुर्वेद की आठ शाखाओं में से पंचकर्म एक है जिससे विभिन्न जटिल रोगों का उपचार करने के लिए किए प्रयास स्वस्थ जीवन देने में कारगर सिद्ध हो रहे हैं। पंचकर्म में स्नेहना, स्वेदना, बमना, विरेचना और वस्ती ऐसे पांच मुख्य कर्म है, जिनसे शरीर की अलग-अलग व्याधियों का समूल नाश किया जाता है। पंचकर्म विधि सहिंता आयुर्वेद की जडी बूटी से निर्मित दवाओं का प्रयोग उपचार विधि में किया जाता है । आयुर्वेदिक दवाओं से निर्मित तेल से और पाउडर के लेप से शरीर कि विभिन्न तरीकों से मालिश किया जाता है ।

 

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