जालीदार फैंसिंग का निर्माण कर महिलाएं बनी आत्मनिर्भर

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सफलता की कहानी
रायपुर — बस्तर जिले के बकावण्ड विकासखण्ड के ग्राम चितालूर की महिलाओं ने अपनी लगन और मेहनत से आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम की है। चार महीने खेती बाड़ी कर साल के बाकी दिनों मंे मजदूरी की तालाश करने वाली मां लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की महिलाएं पिछले छह महीनों से जालीदार तार फैसिंग का निर्माण कर रही है। अब ये महिलाएं अपने काम में इतनी दक्ष हो गई हैं कि हर महीने नौ सौ 1200 मीटर तक फैसिंग जाली का निर्माण कर लेती हैं। पिछले छह माह में इनके द्वारा नजदीकी ग्राम पंचायतों और किसानों को चार लाख रूपए के फैंसिंग जाली की आपूर्ति की जा चुकी है।
मां लक्ष्मी स्व-सहायता समूह चितालूर की अध्यक्ष श्रीमती चन्द्रिका ठाकुर ने बताया कि 24 मई 2018 को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांव की दस महिलाओं के साथ स्व-सहायता समूह का गठन किया गया था। किसानों द्वारा खेत और बाड़ी की फैसिंग के लिए फैसिंग तार की मांग को देखते हुए समूह ने जालीदार फैसिंग तार निर्माण का निर्णय लिया । सितम्बर 2018 में उन्हें गांव में ही आजीविका मिशन के अधिकारियों ने फैसिंग तार निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया । इसके लिए ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 3 लाख 30 हजार रूपए का ऋण और मशीन दिया गया है। श्रीमती चन्द्रिका ठाकुर ने बताया कि शुरूआत में अभ्यस्त नहीं होने के कारण फैसिंग तार निर्माण की गति धीमी थी, लेकिन अब समूह की सभी महिलाएं इस काम में दक्ष हो गई हैं और हर महीने नौ से बारह सौ मीटर फैसिंग तार का निर्माण कर लेती है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत चितालूर को एक लाख अस्सी हजार और ग्राम पंचायत कोसमी को दो लाख रूपए का फैसिंग तार बेच चुकी है। किसानों द्वारा भी अपने खेत और बाड़ी के लिए फैसिंग तार ले रहे हैं।
स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि नजदीकी कस्बा हाटकचोरा से वे 6 हजार रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कच्चा माल लेती है और जालीदार फैसिंग तार बनाकर उसे 7 हजार रूपए प्रति क्विंटल की दर से बेचती हैं। इससे समूह की प्रत्येक महिला को महीने में पांच से छह हजार रूपए की आमदानी हो जाती है। उन्हांेने बताया कि समूह की सभी महिलाएं गरीब हैं। पहले मजदूरी करती थीं, अब वे खुद का व्यवसाय कर आत्मनिर्भर बन रही हैं।

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