सिनेमा समाज के दर्पण होथे, अउ निर्माता अपन फिल्म के माध्यम ले ऐ दर्पण के निर्माण करथे: मोहित साहू

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छत्तीसगढ़ी फिल्म चंदामामा जिसे हमने पूरी तरह अपने छत्तीसगढ़ वासियों के लिए बनाया

रायपुर / जब फिल्म जय माॅ संतोषी हिन्दी फिल्म आई थी तब लोगों में अचानक सोलह शुक्रवार व्रत रखने की परम्परा अचानक से बढ़ गई थी, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि फिल्म समाज का दर्पण होता है और फिल्म का कथानक ना केवल समाज बल्कि व्यक्ति के जीवन पर भी प्रभाव डालता है। उक्त बातें एन.फिल्मस प्रोडक्शन के निर्माता मोहित साहू ने कही। उन्होंने कहा कि हमने अपने प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित छत्तीसगढ़ी फिल्म चंदामामा जिसे हमने पूरी तरह अपने छत्तीसगढ़ वासियों के लिए बनाया है, उसी परम्परानुकूल है, जिसमें यह माना जाता है कि फिल्म समाज का दर्पण है, तो फिल्म चंदामामा भी समाज के उसी दर्पण कि तरह है, जिसमें वर्षाें से भगवान श्रीराम चन्द्र को भांजे के रूप में पूरी श्रद्धा के साथ मानने की पावन परम्परा चली आ रही है। उन्होंने कहा कि क्या यह सच नहीं कि आज के युवा अपनी परम्पराओं से अनभिज्ञ होते जा रहे हैं, तब हम फिल्मकार एक निर्माता का क्या यह कत्र्तव्य नहीं कि अपने धूमिल होते संस्कृति और परम्परा को बनाए रखने का प्रयास करें, फिल्म चंदामामा हमारा ऐसा ही पुनीत प्रयास है, हमारे इस प्रयास को छत्तीसगढ़ की जनता स्वीकारेंगी और सराहेगी हमें ऐसा विश्वास है तथा सभी से निवेदन है कि आखिर हमारे इस प्रयास में संस्कार को किस तरह समामाजिक, पारिवारिक और आस्था स्वरूप में पिराया है इसे जानने, एक बार अपने सगे, संबंधियों, परिवार, रिश्तेदारों, दोस्त, सहोदरों के साथ यह फिल्म अवश्य देखें। मोहित साहू ने कहा कि हमारा ध्येय सफलता और धनार्जन के लिए लोगों को फिल्म देखने के लिए प्रेरित करना नहीं बल्कि हमारा उद्देष्य अपनी छत्तीसगढ़िया संस्कृति और परम्परा को जन-जन तक पहुंचाना, जागरूक करना और भगवान श्रीराम चन्द्र के पगचिन्हित इस पावन धरा को नमन कर इस पर गर्व करना है, इसके लिए बतौर फिल्मकार के रूप में हमने अपने छत्तीसगढ़ी फिल्म चंदामामा में यह प्रयास किया है। फिल्म देखकर आप मानेंगे कि फिल्म चंदामामा वर्तमान में फूहड़ता से दूर मनोरंजन के साथ समाज के लिए एक परफेक्ट आईना है, निश्चित ही इस फिल्म को देखकर आप पारंपरिकता की गरिमामयी समझ को महसूस करेंगे क्योंकि फिल्म चंदामामा सीजी फिल्म इंडस्ट्री में किया गया एक बेहतरीन प्रयास है। जिसमें फिल्म के कलाकार, निर्माता, निर्देशक और पूरी टीम की कड़ी मेहनत शामिल है। आशा है, आप फिल्म चंदामामा एक बार सपरिवार देखकर हमारे इस प्रयास की सराहना करेंगे और हमें प्रोत्साहित कर अपनी संस्कृति और परम्परा को अक्षुण्य बनाए रखने हमारे इस पवित्र प्रयास में हमकदम होंगे।

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