इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने फतह किया कामयाबी का नया शिखर देश के सर्वश्रेष्ठ 10 कृषि विश्वविद्यालयों शामिल

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आई.सी.ए.आर. द्वारा वर्ष 2018-19 हेतु रैंकिंग सूची जारी

रायपुर, 18 जुलाई 2018 — इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने कामयाबियों का सिलसिला जारी रखते हुए सफलता का एक नया शिखर फतह किया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के कृषि शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2018-19 हेतु जारी कृषि विश्वविद्यालयों एवं कृषि शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग सूची में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर को 10वां स्थान प्राप्त हुआ है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा यह रैंकिंग कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार के क्षेत्र में विश्वविद्यालय द्वारा किये गये कार्याें के मूल्यांकन के आधार पर जारी की जाती है। उल्लेखनीय है कि इस रैंकिंग सूची में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय वर्ष 2016-17 में 17वें और वर्ष 2017-18 में 12वें स्थान पर था। रैंकिंग के मामले में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने देश के कई नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों को पीछे छोड़ यह मुकाम हासिल किया है।
भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् नई दिल्ली के कृषि शिक्षा डिविजन द्वारा वर्ष 2018-19 हेतु देश के कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिंग सूची हाल ही में जारी की गई है। ज्ञातव्य हो कि वर्तमान में देश भर में 72 कृषि विश्वविद्यालय संचालित किये जा रहे हैं। 20 जनवरी 1987 को स्थापित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने अल्पकाल में ही देश के अनेकों पुराने एवं स्थापित कृषि विश्वविद्यालयों की तुलना में सूची में अच्छा रैंक प्राप्त किया है। पिछले कुछ वर्षो में कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों हेतु विश्वविद्यालय को यह रैंक प्राप्त हुआ है। वर्ष 2003 में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के अंतर्गत केवल चार कृषि महाविद्यालय संचालित थे जिनमें कुल 300 सीट थी। आज इसके अंतर्गत 40 शासकीय एवं निजी महाविद्यालय संचालित हैं जिनमें 2200 से अधिक सीटें उपलब्ध है। नये सत्र से महासमुंद, गरियाबंद, कुरूद, कोरबा, जशपुर, छुई खदान, साजा एवं मर्रा (पाटन) में नए कृषि महाविद्यालय प्रारंभ किये जा रहे हैं। वर्ष 2003 में स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. की लगभग 100 सीट्स ही उपलब्ध थी जिसे बढ़ाकर लगभग 591 कर दिया गया है। इसी प्रकार शैक्षणिक सत्र् 2018-19 में कुल 421 सीटों की वृद्धि हुई है।
विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर एवं पीएच.डी. के छात्रों को देश के अग्रणी संस्थानों में शोध की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये 58 राष्ट्रीय शोध संस्थानों से एम.ओ.यू. किया गया है। इन संस्थानों में शोध करने वाले स्नातकोत्तर छात्रों को 5 हजार रू. मासिक एवं पीएच.डी. के छात्रों को 10 हजार रू. मासिक छात्रवृत्ति दी जाती है। इस प्रकार की सुविधा एवं छात्रवृत्ति देने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य है। इस वर्ष राज्य के 160 छात्रों ने नेशनल इलीजीबीलीटी टेस्ट ‘‘नेट’’ की परीक्षा उत्तीर्ण की है। कृषि शिक्षा में गुणात्मक सुधार के कारण विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय पहचान बनी है एवं इस कारण इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में 20 राज्यों के लगभग 400 छात्र अध्ययन कर रहे हंै।
कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में भी इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की गई हैं। विगत 15 वर्षो मंें विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न फसलों की लगभग 122 किस्में विकसित की गई हैं। पिछले वर्ष से विश्वविद्यालय ने बीज, खाद, कीटनाशक बेचने वाले एग्रीइन्पुट डीलर्स को प्रशिक्षण देने हेतु एक वर्षीय डिप्लोमा कार्यक्रम प्रारंभ किया है। इसके तहत अगले दो वर्षों में 5000 एग्रीइन्पुट डीलर्स को प्रशिक्षण दिया जायेगा। फसलों में लगने वाले कीड़े बीमारियों के पहचान् एवं उसके नियंत्रण आॅनलाइन जानने के लिए क्राप डाॅक्टर, वेजेटेबल डाॅक्टर, दलहन एवं तिलहन डाक्टर मोबाईल एप भी जारी किये गये हैं। यह एप इंटरनेट कनेक्शन के बगैर भी कार्य करते हंै। विश्वविद्यालय में कृषि मंत्रालय द्वारा 95 अनुसंधान परियोजनायें संचालित हैं जिसमें से 11 को विगत वर्षो में देश की सर्वश्रेष्ठ परियोजना का पुरस्कार दिया गया है। भारत सरकार के इनफारमेशन टेक्नालाजी एवं इलेक्ट्रानिक्स मंत्रालय द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ ई-गर्वनेन्स माॅडल का पुरस्कार प्रदान किया गया है। इसके अलावा भी विश्वविद्यालय को कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के साथ ही विश्वविद्यालय ने कृषि विस्तार के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है। विश्वविद्यालय के अन्तर्गत 25 कृषि विज्ञान केन्द्र संचालित हैं जो नवीनतम कृषि अनुसंधानों को किसानों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। इन कृषि विज्ञान केन्द्रों के तकनीकी मार्गदर्शन में हजारों किसान उन्नत कृषि कर रहे हैं एवं अपनी आय बढ़ाने में सफल हुए हैं। इस वर्ष कृषि विज्ञान केन्द्र कवर्धा को मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र के रूप में सम्मानित किया गया है। पूर्व में बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर और कोरिया कृषि विज्ञान केन्द्रों को देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र के रूप में सम्मानित किया जा चुका है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एस.के. पाटील ने इस उपलब्धि के लिए विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों, प्राध्यापकों एवं समस्त कर्मचारियों को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की है कि विश्वविद्यालय आने वाले वर्षाें में देश के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय के रूप में जाना पहचाना जाएगा ।

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