मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान

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शिशु दुग्ध अनुकल्प,पोषण बोतल और शिशु खाद्य (उत्पादन,प्रदाय और वितरण विनियम) अधिनियम, 2003 देता  है शिशुओं को स्तनपान का मौलिक अधिकार

रायपुर —  माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है | यह शिशु की पोषक, शारीरिक और मानसिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है| स्तनपान की विशेषता है कि यह हर समय और हर परिस्थिति में उपलब्ध रहता है और इससे संक्रमण का खतरा नहीं होता है | माँ का पहला, पीला, गाढ़ा दूध (कोलेस्‍टरम) पोषण से भरपूर होता है और शिशु में प्रतिरोधक शक्ति बढ़ता है | इसी लिए इसको शिशु का पहला टीका भी कहा जाता है| इसमें आयरन, प्रोटीन, विटामिन और कैल्शियम भी खूब होता है जो कुपोषण से बचाता है| भारत में जन्म के शुरुआती 6 महीने तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना अनिवार्य है। शिशु दुग्ध अनुकल्प, पोषणबोतलऔरशिशुखाद्य (उत्पादन, प्रदाय और वितरण विनियम) अधिनियम, 2003,- शिशु को स्तनपान का मौलिक अधिकार देता है| इस अधिनियम के अनुसार मां के दूध के विकल्प के तौर पर किसी भी डब्बाबंद दूध, शिशु आहार या दूध की बोतलों का उत्पादन, आपूर्ति, वितरण या प्रचार नहीं कर सकता। अगर इसे बढ़ावा देते या दो साल के छोटे बच्चे को ऐसा आहार देते हुए कोई स्वास्थ्यकर्मी पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। स्वास्थ सचिव का कहना है कि सुश्री निहारिका बारीक़ सिंह प्रदेश में स्तनपान को हर प्रकार से बढ़ावा दिया जा रहा है| विश्व स्तनपान सप्ताह में भी ईएम्एस अधिनियम, 2003 के बारे में समुदाय को जानकारी दी जा रही है ताकि इसके प्रावधानों के बारे में जागरूकता बढे |

अधिनियम के तहत इन स्थितियों में ही शिशु को डिब्बे का दूध पिलाया जा सकता  है:
१)      माँ की मृत्यु हो गयी हो
२)      माँ को एचईवी / एड्स हो
३)      किसी कारणवश स्तनपान नहीं करवा सकती हो
४)      शिशु का परित्याग किया गया हो या उसे गोद लिया गया हो

एक्ट की विशेषताएं

2 साल से कम आयु के बच्चों को तैयार किये गए डिब्बाबंद अन्नपदार्थ का विज्ञापन या प्रोत्साहन देने पर पाबन्दी है |
किसी भी प्रसार माध्यम से माँ के दूध का पर्याय समझाकर डिब्बाबंद  पाउडर का प्रचार वर्जित है |
प्रसवपूर्व देखभाल और शिशु आहार के सम्बन्ध में शैक्षणिक सामग्री विज्ञापन हेतु स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किये गए हैं |
माँ और स्वास्थय सेवक की भेंट,  वस्तु या अन्न पदार्थ के मुफ्त नमूने देने को वर्जित किया गया है |
शैक्षणिक साहित्य और बाल आहार के डिब्बे को सैंपल या डोनेशन के रूप में देने पर पाबंदी है |
बाल आहार के डिब्बों पर बच्चों या माँ के चित्रों का प्रयोग नहीं करना चाहिए |
स्वास्थय संस्था को किसी भी प्रकार का डोनेशन देने के लिए इन कंपनियों पर पाबंदी है |
इस प्रकार की  सामग्री की बिक्री के लिए कर्मचारियों को कोई भी प्रोत्साहन रुपी   रकम पर पाबन्दी लगायी गयी है |
सभी बोतलों पर अंग्रेजी तथा स्थानीय भाषा में लिखा होना चाहिए कि “ स्तनपान सर्वोत्तम है |“
लेबल्स पर किसी भी महिला, शिशु व ऐसे की भी वाक्य का प्रयोग नहीं करना जो कि इस प्रकार के उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देते हों |
पोस्टर्स के द्वारा विज्ञापन पर मनाही |

एक्ट का उल्लंघन

प्रावधान का उल्लंघन करने पर न्यूनतम 6 माह से लेकर अधिकतम 2 साल तक की जेल व न्यूनतम 2000 रुपये से लेकर अधिकतम 5000 रुपये तक का जुर्माना |

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