अब की बार रायपुर में किसकी सरकार …

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सुनील सोनी की प्रचंड जीत ने भाजपा में बढ़ाये महापौर पद के उम्मीदवार….

 

रायपुर — छत्तीसगढ़ की राजधानी की नगर निगम पर फिर से कब्जा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी इस बार हर तरह से दमदार उम्मीदवार उतारेगी। रायपुर पश्चिम के विधायक रहे पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने जिस तरह से रायपुर शहर के विकास की इबारत लिखी है, उसे देखते हुए भाजपा के महापौर प्रत्याशी के तौर पर उनकी दावेदारी पर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है। श्री मूणत के साथ ही हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके प्रदेश भाजपा कार्यालय प्रभारी सुभाष राव का नाम काफी गम्भीरता से सामने आया है। अगर राजेश मूणत महापौर का चुनाव लड़ने इच्छुक हुए तो उनकी दावेदारी स्वाभाविक रूप से दमदार मानी जायेगी। लेकिन पार्टी की संस्कृति के हिसाब से देखें तो लगता है कि किसी एक नाम पर सीधे सीधे ठप्पा लगने की कोई गुंजाइश नहीं है। सारे विकल्प तलाशे जाएंगे और जिस नाम पर आम राय बन जायेगी, उसे मैदान में उतार दिया जायेगा। तो सीधी सी बात है कि अगर पूर्व मंत्री राजेश मूणत महापौर का चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हुए अथवा उनके नाम पर आम सहमति नहीं बनी तो भाजपा में महापौर पद के उम्मीदवार के रूप में कौन कौन से विकल्प हैं?
भाजपा से आखिरी महापौर रहे सुनील सोनी अब मौजूदा कांग्रेसी महापौर प्रमोद दुबे को ऐतिहासिक शिकस्त देकर रायपुर संसद बन चुके हैं। लेकिन सुनील सोनी के महापौर कार्यकाल में रायपुर शहर विकास की गाथा लिखने वाली भाजपा को लगातार दो बार कांग्रेस पछाड़ चुकी है। कांग्रेस से रायपुर नगर निगम छीनना भाजपा की फिलहाल सबसे बड़ी तमन्ना है। महापौर पद के चुनाव में भाजपा की पिछली दो पराजयों के बारे में आम राय यही रही कि दोनों दफा उसके उम्मीदवार कांग्रेस के मैदानी चेहरों के मुकाबले कमजोर थे। चुनाव में जीत हार के कई सारे कारण होते हैं। इसलिए यह कहना ठीक नहीं की भाजपा ने दो बार राजधानी की शहरी सत्ता कांग्रेस को तश्तरी में पेश कर दी। आखिर भारी मतों से महापौर बने प्रमोद दुबे को भाजपा के पूर्व महापौर सुनील सोनी ने लोकसभा चुनाव में कहीं का नहीं छोड़ा। दुबे जी अपने घर में भी पिछड़ गए तो क्या लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कमजोर प्रत्याशी उतारा था? ऐसा कतई नहीं। अब मुद्दा यह है कि लोकसभा चुनाव में रायपुर में मिले एकतरफा जन समर्थन से भाजपा को भरोसा हो गया है कि इस बार रायपुर नगर निगम की सत्ता मिल ही जायेगी। जब संभावनाएं उज्ज्वल हों तो हर किसी की उम्मीदें जवान होंगी ही। रायपुर महापौर के अनारक्षित पद के लिए भाजपा में राजेश मूणत के बाद सबसे दमदार नाम हाउसिंग बोर्ड के सर्वाधिक समय तक अध्यक्ष रहकर आवास क्रांति के क्षेत्र में मिसाल कायम करने वाले सुभाष राव का उभर रहा है। रायपुर शहर में लंबे समय तक पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय सुभाष राव भाजपा के थिंक टैंक के रूप में पहचाने जाते हैं। वे बतौर भाजपा कार्यालय प्रभारी पार्टी के बड़े नेताओं से लेकर आम कार्यकर्ताओं तक समान रूप से जुड़े हैं। आम जनता और कार्यकर्ता के स्तर पर पकड़ भी टिकट का बड़ा आधार हुआ करती है। ख़ास बात यह कि सुभाष राव का भाजपा में कोई विरोधी नहीं है। सहज, साफ सुथरी सकारात्मक छवि के राव के नाम पर आम सहमति बनने के आसार इसलिए भी बताए जा रहे हैं कि चुनावी मैदान में नया चेहरा होने के साथ ही उनकी सभी वर्गों के बीच स्वीकार्यता उनकी सबसे बड़ी विशेषता है।

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