साल 2017-2018 के बजट पर महालेखाकार ने पेश की रिपोर्ट

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रायपुर – विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान 2017-2018 के वित्तीय ऑडिट रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में महालेखाकार ने जो रिपोर्ट साझा की है, वह पूर्ववर्ती भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कार्यकाल की है। जिसमें कैग ने एक बड़ी गड़बड़ी की आशंका जताई है। कैग ने पिछली सरकार के वित्तीय मैनेजमेंट पर सवाल उठाते हुए यह कहा कि सरकार के बजट बनाने का तरीका सही नहीं है और ना ही सही तौर पर राज्य के वित्तीय मसलों को सरकार ने संभाला है। CAG ने इस सरकार पर पुअर फाइनेंसियल मैनेजमेंट की टिप्पणी भी की है। वही महालेखाकार ने सरकार द्वारा अपने ही बजट के एक बड़े अमाउंट को खर्च नहीं कर पाने पर विशेष टिप्पणी की।

महालेखाकार डी. आर.पाटिलने बताया कि साल 2017-18 के दौरान बजट का प्रावधान 88,590 करोड़ के मुकाबले 18,886.71 करोड की कुल बचत (21.32%) हुई है। वित्तीय वर्ष के अंत में कुल 18,886.71 करोड़ में से 13,838.17 करोड रुपए समर्पित किया गया। इस राशि का इस्तमाल कोई भी विकासकार्य में नहीं किया गया। वही सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को लेकर एक बड़ा खुलासा भी किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2018 की स्थिति में विभिन्न विभागों द्वारा आहरित अनुदान देयकों के विरुद्ध राशि 2,413.40 करोड़ रुपए के 317 उपयोगिता प्रमाण पत्र अब तक नहीं मिले। वही 31 मार्च 2018 के अंत तक व्यक्तिगत जमा खाते में कुल राशि 1,757.00 उपलब्ध राशि 1,459.13 भूमि अधिग्रहण से संबंधित थी। जो कि उक्त वर्ष के दौरान लाभार्थियों को नहीं दिया गया।

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