विकास, विश्वास और सुरक्षा हमारी प्रमुख नीति — भूपेश बघेल

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बस्तर का विकास’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री का सम्बोधन

 

रायपुर — मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की पहचान पहले नक्सली घटनाओं के कारण होती थी, लेकिन पिछले एक साल में परिस्थितियां बदली है। इसके पीछे विकास, विश्वास और सुरक्षा हमारी प्रमुख नीति है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। हमने विभिन्न वर्गों से बात की है। पोलमपल्ली, भोपालपटनम जैसे नक्सली क्षेत्रों के पीड़ितों से बात कर आदिवासियों का विश्वास जीता है। जिसके फलस्वरूप पिछले एक साल से नक्सली वारदातों में कमी आयी है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस आशय के विचार आज शाम जगदलपुर के कुम्हरावण्ड स्थित कृषि महाविद्यालय के आडिटोरियम में एक निजी समाचार चैनल द्वारा ’बस्तर का विकास’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में व्यक्त किए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले हमने लोहण्डीगुड़ा के किसानों की जमीन वापस की। इसके बाद शिक्षा पर ध्यान दिया। जगरगुण्डा में वर्षों से बंद स्कूल को फिर से शुरू किया। उन्होंने कहा पोटली सड़क बनाना आसान नहीं था। स्थानीय लोगों के विश्वास जीतने के बाद ही यह संभव हो पाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम 22 प्रकार के लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीद रहे हैं। तेंदूपत्ता 4000 मानक बोरा और धान पच्चीस सौ रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीद रहे हैं। हमने जो वादा किया है उसे हर हाल में पूरा किया जाएगा। धान खरीदी की अंतर राशि का भुगतान हम अपने वादे के अनुरूप पच्चीस सौ रूपए के हिसाब से करेंगे। उन्होंने कहा कि बाड़ी योजना के तहत हमने सवा लाख किसानों को सब्जी के बीज वितरित किए। उसी का परिणाम है कि दरभा में इस साल बड़े पैमाने में करेले का उत्पादन हुआ है और यहां का करेला बाहर भेजना पड़ा।

श्री बघेल ने कहा कि वे स्वयं किसान है, इसलिए किसानों की समस्याओं को जानते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को सुविधाएं देकर और सिंचाई की व्यवस्था कर खेती को लाभदायक बनाया जाएगा। इससे लोग खेती की ओर आकर्षित होंगे। नरवा, घुरवा, गरूवा और बाड़ी से जैविक खाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। जैविक खेती होने से कृषि लागत में कमी आएगी और बीमारियां कम होंगी।

कुछ लोगों द्वारा बस्तर से पलायन कर दूसरे राज्यों में बस जाने के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें अपनी जमीन नहीं छोड़नी चाहिए। मुख्यमंत्री ने ऐसे सभी लोगों से पुनः वापस आने की अपील की। उन्होंने कहा कि वे अपनी जमीन ना छोड़ें। इससे उन्हें खुद को भी नुकसान होगा। उनका जाति प्रमाण पत्र दूसरे राज्य में नहीं बनेगा। यदि वे वापस आते हैं, तो उन्हें वनाधिकार मान्यता पत्र दिया जाएगा और मकान बनाने के लिए मदद दी जाएगी।

बस्तर के औद्योगीकरण के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि हम यहां उद्योग लगाना चाहते हैं, लेकिन ऐसे उद्योग नहीं लगाना चाहते, जिसके कारण लोगों को विस्थापित होना पड़े। हम कृषि और वनोंपजों पर आधारित उद्योग लगाना चाहते हैं। किसानों के उत्पादों का वैल्यू एडिशन करना चाहते हैं। बड़े उद्योगों में इन्वेस्टमेंट तो बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन रोजगार कम लोगों को मिलता है। इसके विपरीत लघु उद्योगों में लागत कम आती है और ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। इसलिए हम ऐसे उद्योगों को बस्तर में प्रोत्साहित करेंगे, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिले। उन्होंने बस्तर के लघु वनोपजों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए लोगों से सुझाव भी मांगे। इस अवसर पर विधायक श्री रेखचंद जैन, श्री राजमन बेंजाम, महापौर श्रीमती सफीरा साहू, कलेक्टर डॉ. अय्याज तम्बोली, पुलिस अधीक्षक श्री दीपक झा, श्री राजीव शर्मा सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

 

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