नौकरी बनी अफ़सर सेवा, 11 महीने से नहीं मिली सैलरी ।
जनपद पंचायत गंगेव में चपरासी, स्वीपर, कम्प्यूटर आपरेट को 11 महीने से नहीं मिली सैलरी सीईओ ने दिया बजट का हवाला नौकरी समाजसेवा नहीं अफ़सर सेवा बनी
रीवा — कोरोना वायरस महासंकट लॉकडाउन से देश में कई जगह काम बंद होने की वजह से मजदूरों और कर्मचारियों को कई तरह की मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। सैलरी में कटौती और नौकरी में छंटनी किसी भी वित्तीय या आर्थिक मंदी के समय में सामान्य बात है। लेकिन इस महामारी ने शुरुआती दिनों में ही नौकरी खोने, सैलरी में कटौती और देरी को लेकर कर्मचारियों के मन में डर बढ़ा दिया था। बता दें कि, रीवा जिले के जनपद पंचायत गंगेव का हाल ही में गहन पड़ताल करने के बाद एक ऐसा भी मामला सामने आया है जहां कार्य कर रहे कर्मचारियों को पिछले ग्यारह महीने से पैसों की तस्वीर देखने को अब तक नहीं मिली।
चपरासी का हाल बेहाल, सीईओ-सचिव मालामाल
जिले की जनपद पंचायत गंगेव की ओर अगर एक नजर देखा जाय तो सीईओ संजीव तिवारी के साथ पंचायतों के सरपंच-सचिव की मिलीभगत से किए गए गोलमाल व भ्रष्टाचार के उजागर होने की खबरें प्रतिदिन प्रकाश में रहती हैं। इसके बावजूद भी जनपद सीईओ अपनी आदत से बाज़ नहीं आ रहे। जनपद में दशकों से कार्य कर रहे चपरासी, स्वीपर, कम्प्यूटर आपरेट, पिछले ग्यारह महीनों से एक-एक रुपये देखने को तरस रहे हैं। तो वहीं सीईओ साहव व अन्य कर्मचारी अपनी मस्त मौला जिंदगी में ऑफिस की कुर्सी तोड़ रहे।
कोरोना में कमर टूट गई नहीं उठ रहा परिवार का बोझ
जनपद में चपरासी के पद पर शिवराज, रमेश यादव स्वीपर राम जी साकेत एवं कम्प्यूटर आपरेट के पद पर कपिल सूरज सोनी ये चार कर्मचारी दशकों से पदस्थ हैं। जिनके द्वारा बताया गया कि कोरोना में परिवार का खर्च उठाते-उठाते हम लोगों की कमर टूटती जा रही है। स्थानीय साहूकारों से क़र्ज़ लेकर काम किसी तरह चला रहे हैं लेकिन 11 महीने बीत गए अभी तक सैलरी नही दी गई। साथ ही जनपद में उपस्थित अन्य कर्मचारियों यह भी बताया कि सीईओ से फोन में संपर्क कभी-कभी हो पाता है अगर किसी विशेष बात को लेकर जनपद के कर्मचारी अवगत कराना चाहे तो असम्भव है। सैलरी को लेकर सीईओ संजीव तिवारी से बात करते हैं तो वो बजट का हवाला दे देते हैं। अब सौभाविक सी बात है कि हमारी मेहनत मजदूरी समाजसेवा नहीं अफसरों की सेवा में लुटती जा रही है। हम निचले हिस्से के कर्मचारी क्या करें किस तरह परिवार का बोझ उठाएं कहा अपनी बात रखें कोई सुनने वाला नहीं।