डॉ. रमन का सवाल : विधेयकों का विरोध कर बघेल और कांग्रेस नेता किसानों के साथ किसी नए छलावे की पृष्ठभूमि तो तैयार नहीं कर रहे हैं?
नए कृषि कानूनों का विरोध कांग्रेस की वैचारिक दरिद्रता और किसान विरोधी राजनीतिक चरित्र का परिचायक : भाजपा
कांग्रेस ख़ुद इसका आश्वासन देकर और वादा कर देश के किसानों को 2013 और 2019 में भरमा रही थी और अब किसानों को बरगला रही है
कांग्रेस किसानों को उकसा कर भयावह कोरोना काल में भी अराजकता का माहौल पैदा कर क़ानून-व्यवस्था को चुनौती देने पर उतारू
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कृषि सुधार कानूनों को किसानों के सुनहरे भविष्य का दस्तावेज़
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि सुधार बिल को लेकर कांग्रेस के विरोध को उसकी वैचारिक दरिद्रता का परिचायक बताते हुए कहा है कि कांग्रेस का आचरण यक़ीनन किसान विरोधी है। डॉ. सिंह ने कहा कि किसानों के अच्छे भविष्य की कोई भी क्रांतिकारी पहल कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं होना इस बात की तस्दीक करने को पर्याप्त है कि कांग्रेस का समूचा राजनीतिक चरित्र किसान विरोधी है और वह किसानों की हितैषी होने का सिर्फ़ ढोंग भर करती है। डॉ. सिंह ने सवाल किया कि विधेयकों का विरोध करके प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और तमाम कांग्रेस नेता आने वाले दिनों में किसानों के साथ किसी नए छलावे की पृष्ठभूमि तो तैयार नहीं कर रहे हैं?
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने जो काम करने का आश्वासन सन 2013 में दिया और 2019 के अपने चुनाव में जिसका वादा किया था, जिसकी पुष्टि करता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के संसद में दिया बयान पूरे देश में वायरल है।वह काम आज केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने किया तो फिर कांग्रेस को तक़लीफ़ क्यों हो रही है? ज़ाहिर है, कांग्रेस देश के किसानों को तब भरमा रही थी और अब किसानों को बरगला रही है, उकसा रही है। डॉ. सिंह ने कहा कि आज कांग्रेस ठीक उसी तर्ज पर किसानों को उकसा कर देश में इस भयावह कोरोना काल में भी अराजकता का माहौल पैदा करने पर आमादा है, जैसी अराजकता कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सीएए-एनआरसी मुद्दे पर अपने एक भाषण में लोगों से घरों से निकलकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ आर-पार की लड़ाई लड़ने की बात कहकर फैलाने की कोशिश की थी। डॉ. सिंह ने कहा कि झूठ और भ्रम की राजनीति करके किसानों को बरगलाकर कांग्रेस एक बार फिर देश में क़ानून-व्यवस्था को चुनौती देने पर उतारू है, लेकिन वह अपनी इस बदनीयती में क़तई क़ामयाब नहीं हो पाएगी।
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि कृषि संबंधी ये अध्यादेश किसानों के समक्ष एक विकल्प हैं और उनका चयन करना या न करना किसानों के विवेकाधीन है। यदि किसानों को अभी जारी व्यवस्था सुविधाजनक व लाभप्रद लगे तो वे इसे जारी रख सकेंगे और यदि नहीं तो, केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि सुधार अध्यादेशों की व्यवस्था स्वीकार कर वे अपने लिए बेहतर संभावनाओं की तलाश कर सकेंगे। डॉ. सिंह ने कहा कि कांग्रेस लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य, मंडी व्यवस्था, एग्रीमेंट फार्मिंग को लेकर किसानों को भ्रमित कर रही है जबकि सच्चाई यह है कि कृषि बिल से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता रहा है और आगे भी मिलता रहेगा। इसी तरह मंडी व्यवस्था भी पूर्ववत जारी रहेगी। डॉ. सिंह ने कहा कि वस्तुत: ये कृषि विधेयक देश के किसानों को इस बात की आज़ादी देते हैं कि वे ‘वन नेशन-वन मार्केट’ के तहत बेहतर मूल्य मिलने पर अपनी फसल को कहीं भी और किसी को भी बेच सकने के लिए स्वतंत्र रहेंगे।
भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि अब किसान किसी पर निर्भर रहने के बजाय बड़ी खाद्य उत्पादन कंपनियों के साथ एक पार्टनर की तरह जुड़कर ज़्यादा मुनाफ़ा कमा सकेगा और इसके लिए कांग्रेस के अपप्रचार से किसानों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। क़रार से किसानों को निर्धारित दाम मिलने की गारंटी रहेगीऔर किसान को किसी भी क़रार में बांधा नहीं जा सकेगा। डॉ. सिंह ने कहा कि किसान कभी भी और किसी भी स्थिति में बिना पेनाल्टी के इस क़रार से बाहर निकलने को स्वतंत्र रहेगा। यह बिल साफ़-साफ़ शब्दों में बताता है कि किसानों की ज़मीन की बिक्री, लीज़ और गिरवी रखना पूरी तरह से निषिद्ध रहेगा क्योंकि क़रार सिर्फ़ फसलों का होगा, ज़मीन का नहीं। साथ ही मंडी के बाहर फसल बेचने पर मंडी टैक्स न लगने का सीधा लाभ किसानों को होगा ।इन विधेयकों से किसानों को टेक्नॉलॉजी व उपकरणों का लाभ भी मिलेगा। डॉ. सिंह ने कहा कि किसानों के हित, सुनहरे भविष्य और बेहतर आर्थिक सुरक्षा की गारंटी देने वाले इन विधेयकों का विरोध करके कांग्रेस ने साबित कर दिया है कि वह कभी किसानों का भला तो सोच ही नहीं सकती।