तत्काल बर्ख़ास्तगी का आदेश वापस लेकर आंदोलित कर्मचारियों से चर्चा कर समाधान की दिशा में आगे बढ़े सरकार — साय

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देश भर में कोरोना वारियर्स का सम्मान पर छतीसगढ़ सरकार कर रही शोषण: भाजपा

आदेश के विरोध में 13 हज़ार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के सेवा से पृथक होने की पेशकश ने प्रदेश में बड़ा संकट खड़ा किया

 

 

रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने आंदोलनरत संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों में कुछ कर्मचारियों को बर्ख़ास्त करने के प्रदेश सरकार के आदेश को नासमझी भरा अपरिपक्व फैसला बताते हुए कहा कि विस्फोटक स्तर पर पहुँचे कोरोना संक्रमण काल में प्रदेश सरकार का यह आदेश संवेदनहीनता और अन्यायपूर्ण कार्यप्रणाली का परिचायक है। श्री साय ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस आदेश के विरोध में आंदोलित 13 हज़ार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के सेवा से पृथक होने की पेशकश ने प्रदेश में जो संकट खड़ा किया है, उसका समाधान प्रदेश सरकार तत्काल कैसे करेगी?
देश भर में जहाँ कोरोना वारियर्स को सरकारे अलग अलग त्तरीक़े से प्रोत्साहित कर रही है उनका व परिवार का बीमा करवा रही है वही छतीसगढ़ सरकार ने उन्हें बार बार हतोत्साहित किया है उन्हें अतिरिक्त भत्ते और बीमा देना तो दूर राज्य सरकार उनका हक भी मार रही है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि एक तो प्रदेश सरकार कोरोना मामलों की टेस्टिंग और उपचार की व्यवस्था में ही बुरी तरह विफल सिद्ध हुई है, प्रदेश का रिकवरी रेट भी शर्मनाक स्तर पर पहुँच गया है, कोविड सेंटर्स बदइंतज़ामी के शिकार हो बदहाल होते जा रहे हैं, वहाँ भर्ती मरीज या तो अव्यवस्थाओं के चलते मौत के आगोश में जा रहे हैं या फिर वे संत्रस्त, हताश होकर आत्महत्या तक कर रहे हैं। यह स्थिति तब थी जब प्रदेश के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर नहीं गए थे। अब उनके हड़ताल पर जाने से टेस्टिंग और उपचार की पूरी व्यवस्था ही चरमरा गई, तब चर्चा करके कोई सकारात्मक पहल करने के बजाय प्रदेश सरकार ने कुछ कर्मचारियों को बर्ख़ास्त कर प्रदेश के कोरोना संक्रमितों को एक बड़े संकट में धकेल दिया है। श्री साय नेकहा कि अब प्रदेश सरकार बताए कि त्यागपत्र देने पर अड़े संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की तत्काल क्या वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री साय ने कहा कि कोरोना को लेकर एक तो प्रदेश सरकार यूँ ही लापरवाह रही है, ऊपर से मनमाने फैसलों और आदेशों से उसने प्रदेश के सभी वर्गों में जिस असंतोष को जन्म दिया है, उसके चलते प्रदेश में आए दिन आंदोलन करके लोग अपनी बात रखने बाध्य हो रहे हैं। प्रदेश सरकार स्थिति को बिगड़ने से पहले ही सार्थक संवाद से सम्हालने की प्रशासनिक सूझबूझ का परिचय देती तो प्रदेश आज कोरोना संक्रमण के इस भयाहव दौर में नहीं पहुँचता। श्री साय ने कहा कि कोरोना संक्रमितों और मृतकों के आँकड़े में अंतर के खुलासे ने तो प्रदेश सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए ही हैं, अब संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों हड़ताल से प्रदेश सरकार का अधिनायकवादी चरित्र सामने आया है। श्री साय ने मांग की कि प्रदेश सरकार तत्काल संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की बर्ख़ास्तगी का आदेश वापस लेकर आंदोलित कर्मचारियों से चर्चा कर समाधान की दिशा में आगे बढ़े।

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