पूर्व मुख्यमंत्री का कटाक्ष : आज कांग्रेस का नेतृत्व बौना और दुविधाग्रस्त है और विचारशील नेतृत्व आइसोलेट हो गया है ।
कृषि विधेयकों पर बघेल संविधान-विरोधी, किसान-विरोधी, मज़दूर-विरोधी और छल-कपटपूर्ण राजनीतिक चरित्र का परिचय दे रहे : भाजपा
कांग्रेस को इन विधेयकों का विरोध करने से पहले अपने घोषणा पत्र से मुकरने की घोषणा देश के सामने करनी चाहिए : डॉ. रमन
स्वामीनाथन कमेटी के मुताबिक प्रावधानों के बावज़ूद कांग्रेस झूठ की राजनीति कर किसानों को उकसाकर अराजकता फैलाने का कृत्य कर रही
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार के कृषि सुधार संबंधी विधेयकों और श्रम क़ानूनों में परिवर्तन के ख़िलाफ़ विधानसभा में प्रस्ताव लाने और इसे लेकर कोर्ट जाने की बात कहकर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर अपने संविधान-विरोधी, किसान-विरोधी, मज़दूर-विरोधी और छल-कपटपूर्ण राजनीतिक चरित्र का परिचय दिया है। डॉ. सिंह ने कहा कि ‘गमलों में खेती करके करोड़ों रुपए कमाने वाले’ कांग्रेस नेताओं के पेट में इसलिए भी मरोड़ उठ रहे हैं, क्योंकि अब इन विधेयकों में किए गए प्रावधानों से ऐसे ‘तथाकथित किसानों’ की काली कमाई का भांडा फूट जाएगा। डॉ. सिंह ने कहा कि वस्तुत: आज कांग्रेस का नेतृत्व बौना और दुविधाग्रस्त है और विचारशील नेतृत्व आइसोलेट हो गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने के बाद से केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ झूठ बोलकर न केवल प्रदेश में अराजकता का माहौल बनाने में, अपितु क़दम-क़दम पर केंद्र सरकार के फैसलों का विरोध करके संघीय ढाँचे की अवमानना करने का असंवैधानिक कृत्य करने में लगे मुख्यमंत्री बघेल आज केंद्र-राज्य के अधिकारों पर ज्ञान बाँटने से पहले संवैधानिक प्रावधानों का गंभीर अध्ययन करें। डॉ. सिंह ने कहा कि संविधान में वर्णित समवर्ती सूची के विषय क्रमांक 33 और 33 (ब) में लोकसभा और राज्यसभा को इस संबंध में क़ानून बनाने का प्रावधान है। जब संसद में ये विधेयक चर्चा के लिए प्रस्तुत किए गए थे, तब कांग्रेस के विधिवेत्ताओं ने भी इन विधेयकों की वैधता और केंद्र सरकार की अधिकारिता पर कोई सवाल नहीं उठाया तो छत्तीसगढ़ विधानसभा में इन विधेयकों के ख़िलाफ़ प्रस्ताव लाने की बात कहकर मुख्यमंत्री बघेल अपनी राजनीतिक समझ-बूझ पर ख़ुद ही सवाल खड़ा कर रहे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर अपनी झूठ और भ्रम की राजनीति करके राफेल विमान सौदे की तरह ही औंधे मुँह गिरेगी। भाजपानीत राजग की केंद्र सरकार ने किसानों के हित में जो क्रांतिकारी फैसले लिए हैं, उससे कांग्रेस को अपना वज़ूद ख़तरे में पड़ता नज़र आ रहा है और इसीलिए कांग्रेस समेत विपक्षी दलों में बिलबिलाहट मची हुई है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कृषि विधेयकों को लेकर कांग्रेस के नज़रिए पर हैरत जताते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि कांग्रेस को इन विधेयकों का विरोध करने से पहले अपने घोषणा पत्र से मुकरने की घोषणा देश के सामने करनी चाहिए, क्योंकि कांग्रेस ने 2019 के अपने चुनाव घोषणा पत्र में उन्हीं प्रावधानों को लागू करने की बात कही थी, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इन कृषि विधेयकों के माध्यम से लागू करने का संकल्प व्यक्त किया है। डॉ. सिंह ने कहा कि यह पहली बार होगा कि इन विधेयकों के प्रावधान के चलते किसान अपनी फसल का उचित मूल्य बुआई के समय ही प्राप्त कर सकेगा। स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक इन विधेयकों में प्रावधान करने के बावज़ूद कांग्रेस अब झूठ की राजनीति कर किसानों को उकसाने में लगी है, लेकिन अपनी इस बदनीयती में वह क़ामयाब नहीं होगी। डॉ. सिंह ने कहा कि उपज के भंडारण की छूट मिलने से कालाबाजारी, मुनाफाखोरी और जमाखोरी की आशंका व्यक्त करके मुख्यमंत्री बघेल ने फिर किसानों के आत्मसम्मान पर शर्मनाक प्रहार किया है। इस देश व प्रदेश का अन्नदाता किसान नहीं, कांग्रेस ही कालाबाजारी, मुनाफाखोरी और जमाखोरी को संरक्षण देने का काम करती रही है और बीज वितरण व यूरिया के मामले में प्रदेश सरकार हाल ही बेनक़ाब हो चुकी है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि आज किसानों के मुद्दे पर जब कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार का असली चेहरा सामने आ रहा है, तब मुख्यमंत्री को कोरोना की चिंता हो रही है। कोरोना काल में तमाम राजनीतिक नौटंकियाँ करते समय मुख्यमंत्री को कोरोना की फिक्र नहीं थी। न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कांग्रेस लाख कोशिश करके भी किसानों को बरगला नहीं सकेगी। किसानों के काम को व्यापार की श्रेणी में लाकर इसमें टैक्स लगाने की निर्मूल आशंका जताकर कांग्रेस अपनी राजनीतिक सोच पर पड़ चुके पाले का प्रदर्शन कर रही है और झूठ की राजनीति कर किसानों को उकसाकर कोरोना काल में अराजकता फैलाने का कृत्य कर रही है। डॉ. सिंह ने कहा कि कांग्रेस कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर भी भ्रम फैला रही है, जबकि इसमें किसान और व्यापारी के बीच सिर्फ़ फसल का करार होगा, खेत, अपनी फसल और ज़मीन का मालिक तो अंतत: किसान ही होगा। इस कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में भी किसानों के आर्थिक हितों को सुरक्षित रखा गया है और वह कॉन्ट्रैक्ट के बावज़ूद बाजार मूल्य के हिसाब से लाभ के प्रतिशत में भी हक़दार रहेगा। किसी तरह के विवाद की स्थिति में 30 दिनों के भीतर विवाद के निराकरण का भी स्पष्ट प्रावधान इन विधेयकों में है।