छत्तीसगढ़ में पहली बार अंडाणु फ्रीजिंग प्रक्रिया हुई सफलतापूर्वक सम्भव
राज्य में ऊसाइट फ्रीजिंग/ अंडाणु फ्रीजिंग प्रक्रिया उपलब्ध करवाने वाला पहला संस्थान बना-आयुष टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर
रायपुर — छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य क्षेत्र में कामयाबी का नया इतिहास रचते हुए, आयुष टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर ने एक बार फिर राज्य में किसी प्रक्रिया को पहली बार करने में सफलता प्राप्त की है. सेंटर द्वारा ऊसाईट फ्रीजिंग/अंडाणु फ्रीजिंग प्रक्रिया का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। यह कदम इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे मरीजों के जीवन में अभिभावक बनने की खुशियां लाने में मदद के इरादे से उठाया गया है. इसके अंतर्गत 10 से अधिक मरीजों के ऊसाईटफ्रीज़ किये गए हैं, ताकि वे परिवार को आगे बढ़ाने की योजना बनाते समय इस प्रक्रिया से लाभ ले सकें। अब वे मरीज जो चिकित्सा संबंधी इस तकनीक के संसाधन न होने के कारण माता-पिता बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए, राज्य से बाहर जाते थे, यहीं रहकर ख़ुशी खुशी इलाज को आगे बढ़ा सकते हैं.
ऊसाईट फ्रीजिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत महिलाओं के अच्छी क्वॉलिटी के अण्डों को वांछित तापमान पर फ्रीज़ किया जाता है, ताकि वे इनफर्टिलिटी के इलाज की प्रक्रिया के दौरान अपनी सहूलियत से इसका प्रयोग कर सकें और ख़राब क्वॉलिटी के अण्डों से होने वाले नुकसान से बच सकें।
राज्य में ऊसाईट फ्रीजिंग के क्षेत्र में अग्रणी बनने के साथ ही आयुष टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर ने राज्य में सर्वोत्तम एवं अत्यधुनिक इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट उपलब्ध करवाने के अपने दृढ़ निश्चय को एक बार फिर सही साबित कर दिखाया है. 2012 से आयुष सेंटर की सफलता की दर लगातार बनी हुई है और उनके सफल इलाज के परिणामस्वरूप जन्म लेने वाले बच्चों की दर में भी शानदार वृद्धि हुई है. एक ही छत के नीचे हफ्ते के सातों दिन 24 घंटे उपलब्ध रहने वाली अत्याधुनिक सुविधाओं और तकनीकों से लैस, आयुष टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर में विदेश से भी कई मरीज इलाज के लिए आते हैं.
कैंसर से लड़ाई लड़ रहीं और कीमोथैरेपी से गुजर रहीं 33 वर्षीय मोहिता मित्तल (मरीज के निवेदन पर पहचान छुपाने के लिए नाम परिवर्तित कर दिया गया है) कहती हैं-‘कीमोथैरेपी के बाद मुझे डर था कि अब मैं अपने खुद के बच्चे को जन्म नहीं दे पाऊँगी। मेरे पति मेरे सबसे बड़े संबल और सहयोगी के रूप में सामने आये और हमने टीम आयुष से सम्पर्क किया। जब हमने इस मुद्दे पर डॉ. मनोज चेलानी के साथ चर्चा की तो उन्होंने सलाह दी कि अब गुणवत्ता वाले अण्डों को फ्रीज़ किया जा सकता है और बाद में इलाज के दौरान उनका उपयोग किया जा सकता है. अब हमारे पास फ्रोज़न एग्स हैं और एक बार मेरे ठीक हो जाने के बाद हम उनका उपयोग कर सकेंगे।’
जबलपुर की रहने वाली 28 वर्षीय मॉडल सोनिया सिंह (नाम परिवर्तित) भी इस बात को स्वीकार करते हुए कहती हैं-‘अभी मैं अपने करियर को आकार देने में व्यस्त हूँ. अगले पांच वर्षों तक माँ बनने की मेरी योजना नहीं है. मैंने इंटरनेट पर पढ़कर यह जाना कि एक उम्र के बाद अण्डों की क्वॉलिटी कमतर होती जाती है. इसलिए मैंने एग फ्रीजिंग के विकल्प को चुना जो मुझे आगे अपने परिवार को पूरा करने में मदद करेगा। मैं आयुष टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की आभारी हूँ कि वे राज्य में महानगरों के स्तर की चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध करवा रहे हैं. दिल्ली, मुंबई जाने की बजाय रायपुर में रहकर इलाज करवाना अधिक किफायती और पहुँच में आसान है.’
इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए डॉ. मनोज चेलानी, आयुष टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के डायरेक्टर, ने कहा-‘सन 2012 से हम राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए निरंतर पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि लोग इस बात को जानें और समझें कि, रायपुर जैसे छोटे से राज्य से होते भी आयुष ने इनफर्टिलिटी तथा माँ-शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया है तथा इलाज उपलब्ध करवाने वाले अन्य संस्थानों के लिए भी आयुष ने नया उदाहरण प्रस्तुत किया है. मरीजों की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य करते हुए आयुष ने अपने सम्पूर्ण सुविधाओं से सज्जित सेंटर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इलाज के साथ ही उचित देखभाल प्रदान करने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी है.’