चुनाव आयोग पर फायर हुए योगी , ‘नहीं छोड़ सकता अपनी आस्था’

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उत्तरप्रदेश –  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी धर्म और जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे बल्कि यह काम विपक्ष ने किया है।
मेरठ में दिए गए अपने बयान पर चुनाव आयोग से मिले नोटिस के जवाब में उन्होंने कहा कि धर्म या जाति के आधार पर वोट मांगने के आरोप पूरी तरह से गलत हैं।

उन्होंने आचार संहिता को कोई उल्लंघन नहीं किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि वह आयोग के प्रति पूर्ण सम्मान रखते हैं और आदर्श आचार संहिता के पालन के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि उनके मेरठ में दिए भाषण पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह एक विपक्षी पार्टी की प्रमुख के बयान के संदर्भ में था। उन्होंने खुलेआम मुसलमानों से उनकी पार्टी के गठबंधन के पक्ष में वोट देने की अपील की थी। क्या धर्म के आधार पर मुस्लिमों से वोट मांगना धर्मनिरपेक्षता की श्रेणी में आएगा?
उन्होंने कहा कि देश का एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते उनकी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसी छद्म निरपेक्षता का लोगों के सामने पर्दाफाश किया जाए। उन्होंने अपने भाषण में इसी को उजागर किया था।

हरे वायरस शब्द का प्रयोग उस सोच, उस संकीर्ण स्तर की राजनीति के लिए किया गया है, जिसके तहत राजनीतिक लाभ के लिए चिरस्थापित मूल्यों को नजरअंदाज कर धर्म विशेष को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

योगी ने लिखा कि बजरंग बली में उनकी अटूट आस्था है और किसी को बुरा लगे या कोई इससे अज्ञानतावश असुरक्षित महसूस करता है तो वह इस डर से अपनी इस आस्था को छोड़ नहीं सकते हैं। बजरंग बली उनके आराध्य हैं और हर शुभ कार्य के अवसर पर उनका स्मरण करते हैं।

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