बेशक मैं डॉ रमन सिंह का विरोधी हूं लेकिन आज उनकी सरकार होती तो हालात भूपेश सरकार से बेहतर होती – देवेंद्र गुप्ता
रायपुर — डॉ.रमन सिंह जी का मैं विरोधी हूँ। उनकी बहुत सी नीतियों से भी असहमत रहा हूं। मेरे विरोध के कुछ व्यक्तिगत कारण भी है, बावजूद आज यह कहने में मुझे कोई संकोच नही है कि इस कोरोना संकट के दौर में अगर उनकी सरकार होती तो कोरोना से निबटने भुपेश बघेल जी से कही बेहतर रणनीति वे बनाते और एक अच्छा दृश्य अपने छत्तीसगढ़ राज्य का हमारे सामने होता।
यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आज मुख्यमंत्री भुपेश बघेल जी और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव जी में दूरियां जगजाहिर हो गई है। हालात ये है कि दोनों एक दूसरे का चेहरा देखना पसंद नही करते, बैठकों तक मे स्वस्थ मंत्री अनुपस्थित रहते है। जबकि इस आपदा के समय मे गिले-शिकवे भुलाकर एकजुटता के साथ जनता की सेवा वे करें ऐसी अपेक्षा सबकी है परंतु वे इन अपेक्षाओं में बिल्कुल भी खरे नही उतर रहे है। बल्कि दोनों के बीच तलवारे खिंचती ही दिखाई पड़ रही है। यह कहना अतिश्योक्ति नही है कि आज कोरोना को लेकर जो बदहाली का आलम दिख रहा है उसके गुनाहगार ये दोनों ही है।
वर्तमान सरकार की तुलना में मैं सत्ता की हैट्रिक लगा चुके डॉ रमन सिंह की सरकार को याद करू तो वहां भी उनकी और कद्दावर नेता वरिष्ठ मंत्री रहे बृजमोहन अग्रवाल के बीच की दूरियां किसी से छिपी नही थी। सत्ता के दौरान शह और मात का खेल उनके बीच भी चलता ही रहा था। उनकी सरकार के दौरान मैं भी 12 सालों तक सत्ता के करीब ही रहा, उन दोनों की जंग को करीब से देखा। बावजूद उनकी लड़ाई के बीच जनहित की कभी अनदेखी हुई हो ऐसा मैंने कभी नही देखा। रमन सरकार में जब-जब संकट आया संकटमोचक बृजमोहन अग्रवाल ही रहे या यू कहे रमन सिंह ने विश्वास के साथ उन्हें आगे किया जो चट्टान की तरह खड़े होकर विपक्ष का हमला झेलते रहे। रमन सिंह और बृजमोहन अग्रवाल में लाख दूरियां रही पर बातचीत कभी बंद नही हुई। न डॉक्टर साहब ने कभी बृजमोहन जी को अपमानित करने की कोशिश की न ही बृजमोहन जी ने डॉ साहब के मान को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया। उस दौरान राज्यहित का हर निर्णय दोनों मिल बैठकर लेते ही नज़र आये।अपने बीच मे जनता को कभी पिसने नही दिया। मैंने पाया कि उनकी लड़ाई नीतिगत,सिद्धांतों की ही रही है जो शायद आज तक जारी है।
मेरे यह सब लिखने का औचित्य सिंर्फ यही है कि मैं चाहता हूं कि मुख्यमंत्री भुपेश बघेल जी और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव जी, डॉ. रमन सिंह जी और बृजमोहन अग्रवाल जी के राजनैतिक जीवन से प्रेरणा ले और सत्ता चलाने का गुर सीखे। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि आप दोनों की व्यक्तिगत लड़ाई में छत्तीसगढ़ की जनता का बहुत अहित हो चुका है,अब और नही होना चाहिए। इस वजह से आज कोरोना से लड़ी जा रही जंग में अफसर तक निर्णय लेने में घबरा रहे है, किसकी सुने,किसकी न सुने, दोनों में कौन किस बात को अन्यथा ले ले इस बात की भी घबराहट दिखाई पड़ रही है। यही वजह है कि सरकार कोई निर्णय लेती है तो उसके क्रियान्वयन में ही सप्ताह भर लग जाते है,कई आदेश तो सुबह से शाम तक मे बदल जाते है। प्रदेश से लेकर जिले तक कमोबेश यही आलम है। मैं तो सरकार के दोनों दिग्गजों से आग्रह करूँगा कि आज से एक साथ होकर एक अच्छा संदेश प्रदेश को दे ताकि एक अनिश्चितता का माहौल बदल सके और आप दोनों के नेतृत्व में जल्द ही हम कोरोना को हरा सके।
(देवेंद्र गुप्ता)