राकेश टिकैत पहले कुछ छत्तीसगढ़ के किसानों के विषय मे भी चिंता कर ले : शिवरतन शर्मा
रायपुर — भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक शिवरतन शर्मा ने संचुक्त किसान मोर्चा द्वारा आहूत किसान महापंचायत को प्रदेश के किसानों को ग़ुमराह करने वाला बताते हुए किसान आंदोलन चला रहे राकेश टिकैत केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानूनों में ख़ामियाँ बताने के बजाय सिर्फ़ क़ानूनों को रद्द करने कीने की रटी-रटाई इबारत पढ़कर झूठ का रायता फैला रहे हैं। श्री शर्मा ने सवाल किया कि कांग्रेस और वामदलों के एजेंडे के प्रवक्ता बने बैठे टिकैत क़ानूनों के आपत्तिजनक प्रावधानों में सुधार के लिए केंद्र सरकार के आग्रह के बावज़ूद बातचीत से क्यों क़तरा रहे हैं? श्री शर्मा ने कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग पर हठीला रवैया छोड़कर टिकैत को किसानों के हित में ईमानदारी से काम करने की नसीहत दी है और उनसे सवाल पूछकर उनके ज़वाब देने को कहा है :
क्या राकेश टिकैत कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से यह पूछेंगे कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने दाना-दाना धान ख़रीदने का वादा किया था और राहुल गांधी ने धान ख़रीदी की लिमिट हटाना की बात कही थी तो आज प्रदेश के किसानों से प्रति एकड़ सिर्फ़ 15 क्विंटल धान ही क्यों ख़रीदा जा रहा है?
जिस एमएसपी क़ानून को आज वे क़ानूनी दर्जा देने की बात कर रहे हैं, उसी एमएसपी क़ानून का उल्लंघन छत्तीसगढ़ में हो रहा है तो क्या टिकैत प्रदेश सरकार और कांग्रेस के लोगों को कुछ कहेंगे या फिर उनकी कांग्रेस से मिलीभगत यूँ ही क़ायम रहेगी?
कांग्रेस के ढाई-पौने तीन साल के शासनकाल में छत्तीसगढ़ में 440 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, जिनमें से कुछ किसानों को कांग्रेस और उसकी सरकार ने पागल तक बता दिया! तो ख़ुद को किसानों का बड़ा हितैषी बताने वाले टिकैत किसानों को आत्महत्या के लिए मज़बूर करने और उन्हें पागल बताने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार को कुछ बोलने की ज़हमत उठाएंगे?
पिछली बार धान ख़रीदते समय प्रदेश सरकार ने लाठियाँ भांजकर किसानों के साथ जो बर्बरता की, किसानों को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक प्रताड़ना दी, उस पर राकेश टिकैत का क्या कहना है?
केंद्र सरकार ने धान की एमएसपी जो 390 रुपए बढ़ाई है, उसका लाभ छत्तीसगढ़ के किसानों को नहीं मिल रहा है। किसानों के स्वयंभू नेता टिकैत इस पर क्या कहना चाहेंगे?
छत्तीसगढ़ में किसानों को खाद सरकार से ख़रीदने की बाध्यता है। उनकी मर्ज़ी प्रभावित हो रही है। कृषि क़ानूनों में तो किसानों अपना निर्णय लेने की स्वतंत्रता है, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार किसानों को बाध्य करके दो बोरी सरकारी खाद ख़रीदने के लिए बाध्य कर रही है। इस पर राकेश टिकैत प्रदेश सरकार से कुछ कहेंगे?
छत्तीसगढ़ में किसान जो घोषित-अघोषित बिजली कटौती झेल रहे हैं, बिजली के लिए किसानों को जो संघर्ष करना पड़ रहा है, असके लिए क्या टिकैत प्रदेश सरकार को कुछ बोलेंगे?
धान ख़रीदी से बचने के लिए प्रदेश सरकार ने जो छल-कपट करते हुए बेतहाशा रकबा कटौती की है, उसके कारण किसानों ने आत्महत्या भी की थी। क्या इस विषय पर बात करके प्रदेश सरकार को इस अन्याय को रोकने के लिए कुछ कहेंगे?
नकली कीटनाशक जो यहाँ पर प्रोवाइड होते हैं, उसकी वज़ह से एक किसान की कई एकड़ फसल बर्बाद हो गई और उक्त किसान ने भी अंतत: आत्महत्या कर ली! इस विषय पर राकेश टिकैत क्या कुछ कहने का साहस दिखाएंगे?
किसानों के खेत से फसल ख़रीदने का वादा भी प्रदेश में कांग्रेस और राहुल गांधी ने किया था, और तब राहुल गांधी ने हर ज़गह 200 फूड प्रोसेसिंग युनिट लगाने तथा किसानों के बेटों को रोज़गार दिलाने का वादा भी किया था, लेकिन आज तक न तो कोई युनिट लगी, न खेतों से फसल ख़रीदी गई और न ही किसानों के बेटों को कोई रोज़गार मिला। इतने बड़े-बड़े वादे पूरा नहीं करने पर टिकैत कांग्रेस नेताओं और प्रदेश सरकार से कुछ कहने का दमखम दिखा पाएंगे?