संवैधानिक व्यवस्था का मजाक उड़ा रही है भूपेश सरकार — सुंदरानी

0

महाधिवक्ता मामले में भाजपा का तीखा हमला

रायपुर–  छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता कनक तिवारी के इस्तीफे के संबंध में सामने आए विवाद पर प्रतिपक्ष भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी ने भूपेश बघेल सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि न तो महाधिवक्ता ने इस्तीफा दिया और न ही राज भवन वह इस्तीफा पहुंचा और सरकार ने इस्तीफा मंजूर कर नए महाधिवक्ता की तैनाती भी तय कर दी। भूपेश बघेल सरकार संवैधानिक व्यवस्था की जिस तरह से धज्जियां उड़ा रही है, उससे ऐसा लगता है कि खाता न बही, भूपेश जो कहे वही सही।
भाजपा प्रवक्ता श्री सुंदरानी ने कहा है कि राज्य की कानून व्यवस्था से लेकर आर्थिक स्थिति तक को बिगाड़ कर रख देने वाले भूपेश बघेल ने अब संवैधानिक व्यवस्था का मजाक बनाकर रख दिया है। सरकार को महाधिवक्ता तय करने का अधिकार होता है लेकिन महाधिवक्ता की नियुक्ति और इस्तीफे को स्वीकार करने का अधिकार राज्यपाल को है। छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता कनक तिवारी का इस्तीफा नहीं हुआ है और सरकार ने नए महाधिवक्ता का चयन कर लिया। यह सीधे तौर पर संवैधानिक व्यवस्था पर सरकार का प्रहार है। यदि राजनीतिक राग द्वेष के कारण सरकार प्रतिपक्ष के नेताओं अथवा उनसे जुड़े लोगों को प्रताड़ित करेगी और सरकार की मंशा के मुताबिक मामले स्थापित नहीं हो सकेंगे तो इसकी गाज महाधिवक्ता पर गिराई जाए, यह किस नैतिकता के दायरे में आता है। उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता का कार्य शासन का पक्ष रखना है और महाधिवक्ता वही पक्ष रख सकते हैं जो वस्तुतः तथ्यों पर आधारित होगा। लेकिन छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के मुखिया को तथ्यों से कोई लेना देना नहीं रहता। वह तो बदलापुर की राजनीति कर रहे हैं और उनके मन मुताबिक विपक्ष का उत्पीड़न न होने पर महाधिवक्ता को बदलने का अनोखा प्रमाण उन्होंने पेश किया है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि जनता से झूठ बोलकर सत्ता में आने वाली कांग्रेस का संवैधानिक व्यवस्थाओं से कोई सरोकार नहीं है। यह सरकार विपक्ष का उत्पीड़न करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है और उसकी मंशा में रुकावट पैदा होने पर महाधिवक्ता जैसे संवैधानिक पद को भी हथियार बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है। अगर इस हथियार का गलत इस्तेमाल नहीं चल सका तो हथियार बदलने की कोशिश की गई है। भाजपा प्रवक्ता श्री सुंदरानी ने राज्यपाल से इस मामले में सीधे दखल देने का आग्रह करते हुए कहा है कि राज्य के अभिभावक की हैसियत से राज्यपाल को संवैधानिक व्यवस्थाओं का पालन करने के लिए राज्य सरकार को बाध्य करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *