चिकित्सा शिक्षा मंत्री टी.एस. सिंहदेव व्हाइट कोट सेरेमनी में हुए शामिल ।
एम.बी.बी.एस. प्रथम वर्ष के नव प्रवेशित छात्रों ने ली चिकित्सा आचार संहिता की शपथ
रायपुर. 13 जनवरी 2023. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव आज रायपुर में पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में व्हाइट कोट सेरेमनी में शामिल हुए। समारोह में चिकित्सा महाविद्यालय में एम.बी.बी.एस. प्रथम वर्ष के नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं ने चिकित्सा आचार संहिता की शपथ ली। आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक चंद्राकर, चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक डॉ. विष्णु दत्त, चिकित्सा महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. तृप्ति नागरिया एवं अम्बेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एस.बी.एस. नेताम भी व्हाइट कोट सेरेमनी में शामिल हुए। चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक डॉ. विष्णु दत्त ने विद्यार्थियों को चरक आचार संहिता की शपथ दिलाई। उनके द्वारा कहे गये शब्दों को 180 नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं ने अपना दाहिना हाथ उठाकर दोहराया। समारोह में विद्यार्थियों ने ‘हम तुम्हारे साथ हैं…’ और ‘वी आर द डॉक्टर, वी आर ऑलवेज देयर फॉर यू…’ की संगीतमय प्रस्तुति दी।
व्हाइट कोट सेरेमनी को संबोधित करते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि आज यहां मौजूद 180 नए विद्यार्थियों ने कड़ी मेहनत के बाद अपनी व्यक्तिगत काबिलियत के आधार पर चिकित्सा छात्र बनने का यह मुकाम हासिल किया है। आपने आज जो शपथ ली है, वह आपके आने वाले समय में सेवाकाल के दौरान मार्गदर्शी सिद्धांत के रूप में काम आएंगे। उन्होंने कहा कि डॉक्टर के रूप में अक्सर भगवान का स्वरूप देखा जाता है। यह सही भी है क्योंकि अनेक कठिन अवसरों में अगर कोई जीवन दे पाता है तो वे डॉक्टर्स ही हैं। यह इतनी बड़ी जवाबदेही है जहां पूरा समाज, पूरी मानवता आपकी ओर उसी नजरिए से, उसी उम्मीद से निहारेगी। आज बहुत बड़ी जिम्मेदारी ग्रहण करने के लिए आप लोग यहां एकत्रित हुए हैं।
श्री सिंहदेव ने कहा कि भविष्य में चिकित्सक बनकर जहां एक ओर आपको गहरा संतोष होगा, वहीं मानवता की बहुत बड़ी सेवा करने का अवसर भी मिलेगा। डॉक्टरों का काम समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के साथ पूरे समाज की सेवा करेंगे। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि रायपुर मेडिकल कॉलेज के 60वें वर्ष में हम लोग एक नए स्वरूप में शामिल हुए हैं। यह क्षण जीवनभर आपके लिये प्रेरणादायी हो। आप सभी को मानवता की सेवा के क्षेत्र में कदम रखने के लिए हृदय से शुभकामनाएं देता हूं और आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।
आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक चंद्राकर ने नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा जारी नवीन दिशा-निर्देशों के बारे में बताते हुए नए विद्यार्थियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि व्हाइट कोट डॉक्टरों की एक पहचान है। अब तक इस महाविद्यालय से करीब चार हजार से ज्यादा चिकित्सक निकलकर देश-विदेश में अपने संस्थान का नाम रौशन कर रहे हैं। मेडिकल की पढ़ाई काफी कठिन होती है। वर्ष 2019 से एनएमसी द्वारा क्लिनिकल एप्लीकेशन व प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इसलिए आप सभी से यह अपेक्षा है कि कक्षाओं में नियमित रूप से उपस्थित रहें। आपने आज जो शपथ ली है उसे हमेशा याद रखें। यह शपथ ही आपके मेडिकल प्रैक्टिस में परेशानियों में सही रास्ता दिखाएगी।
अधिष्ठाता डॉ. तृप्ति नागरिया ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि एम.बी.बी.एस. प्रथम वर्ष के 180 छात्र-छात्राओं को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में चिकित्सा आचार संहिता महर्षि चरक शपथ दिलाया जाना इस महाविद्यालय के लिये बड़े गौरव की बात है। पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय छत्तीसगढ़ का सबसे पुराना चिकित्सा महाविद्यालय है। उस समय यह 60 छात्रों से प्रारंभ हुआ था। इन 60 सालों में निरंतर प्रगति करते हुए आज 180 स्नातक छात्र, 145 स्नातकोत्तर छात्र और 10 चिकित्सक सुपर स्पेश्यलिटी में, इस तरह लगभग प्रति वर्ष 335 छात्रों का इस कॉलेज में एडमिशन होता है। एनएमसी के अनुसार विगत कुछ वर्षों में पाठ्यक्रम में काफी बदलाव हुए हैं। एक बेहतर छात्र एवं भविष्य में एक बेहतर चिकित्सक के रूप में आपको किस तरह तैयार किया जाए इसके लिए निरतंर प्रयास जारी हैं।
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अरविंद नेरल ने मेडिकल प्रोफेशन में निभाए जाने वाले नैतिक और एथिकल मूल्यों व आदर्शों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक चिकित्सक के अंदर सहानुभूति और पीड़ित मरीजों की सेवा करने जैसे नैतिक मूल्य होने चाहिए। चिकित्सक बनकर आप मरीज की जो सेवा करते हैं, वह सीधे ईश्वर की सेवा करने के समान है। किसी के जख़्म पर मरहम लगाकर आप सीधे ईश्वर की इबादत करते हैं। समारोह में डॉ. आर.के. सिंह, डॉ. निर्मल वर्मा, डॉ. विनित जैन, डॉ. सुमित त्रिपाठी, डॉ. स्मित श्रीवास्तव, डॉ. ज्योति जायसवाल, डॉ. पी.के. खोडियार, डॉ. उषा जोशी, डॉ. देवप्रिया लकड़ा, डॉ. पीयूष भार्गव और डॉ. देवप्रिय रथ एवं अन्य चिकित्सा शिक्षक भी मौजूद थे।