चंद्रयान 2 भारत के लिए क्या मायने रखती है

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श्रीहरिकोटा — भारत अंतरिक्ष में एक बार फिर इतिहास रचने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की चंद्रमा पर भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की उलटी गिनती रविवार सुबह शुरू हो गई।
चन्द्रयान 1 भारत का पहला मून मिशन था। इसे अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया था। चन्द्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा से ही लॉन्च किया गया था। उसने 8 नवंबर 2008 को चन्द्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था।
चन्द्रयान दुनिया का पहला ऐसा मिशन होगा, जो चन्द्रमा के साउथ पोलर रीजन में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इतना ही नहीं, यह भारत का पहला ऐसा मिशन है, जो पूरी तरीके से विकसित स्वदेशी तकनीक के साथ चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इस मिशन के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जो चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
चंद्रयान-2 को ले जाने वाले देश के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी भी सभी प्रकार की तैयारियों के साथ सोमवार को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर दूसरे लांच पैड से अंतरिक्ष में उड़ान भरने को लेकर तैयार है। चंद्रयान का प्रक्षेपण 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। इसके 6 सितंबर को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है। इस मिशन के लिए जीएसएलवी-एमके3 एम1 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल किया जाएगा। इसरो ने बताया कि मिशन के लिए रिहर्सल शुक्रवार को पूरा हो गई थी।
इस मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसकी जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। उल्लेखनीय है कि चंद्रमा पर भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 ने वहां पानी की मौजूदगी की पुष्टि की थी ।इस मिशन में चंद्रयान के साथ कुल 13 स्वदेशी पेलोड यान वैज्ञानिक उपकरण भेजे जा रहे हैं। इनमें तरह-तरह के कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार, प्रोब और सिस्मोमीटर शामिल हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक पैसिव पेलोड भी इस मिशन का हिस्सा है जिसका उद्देश्य पृथ्वी और चंद्रमा की दूरी सटीक दूरी पता लगाना है।
यह मिशन इस मायने में खास है कि चंद्रयान, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक दुनिया का कोई मिशन नहीं उतरा है।
चंद्रयान के 3 हिस्से हैं। ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में चक्कर लगाएगा। लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसे ‘विक्रम’ नाम दिया गया है। यह 2 मिनट प्रति सेकंड की गति से चंद्रमा की जमीन पर उतरेगा। ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर लैंडर से अलग होकर 50 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर तस्वीरें लेगा।

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