टीबी के संदेहास्प्रद मरीजों का अस्पतालों में होगा एचआईवी जांच

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रायपुर — छत्तीसगढ स्वास्थ्य विभाग प्रदेश को स्वस्थ बनाने के लिए टीबी के संदेहास्प्रद मरीजों की एचआईव्ही (HIV) जांच भी करवाएगा। जांच कराने से पूर्व मरीजों की सहमति भी ली जायेगी।
यह कदम प्रदेश में एचआईवी इन्फेक्शन को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है और इसके लिए गांव के स्वास्थ्य कर्मिर्यों की सेवा ली जाएगी।
रायपुर जिले के टीवी एवं कुष्ठ रोग के नोडल अधिकारी डॉ.एसएन पांडेय ने बताया कि अभियान के तहत रायपुर जिले में लगभग 22,000 संदिग्धन मरीजों की जांच स्वास्थ्य केंद्रों में नि:शुल्क की जायेगी। इससे एचआईवी के मरीजों की जल्दी से पता लगेगा। जांच में पाजेटिव पाए जाने पर मरीज को सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए भेजा जाएगा।
इससे समाज और परिवार में होने वाले संक्रमण का खतरा भी नहीं रहेगा। स्वास्थ्य विभाग की मंशा है कि एचआईवी के मरीज को जल्द से जल्द खोज कर हर संभव इलाज की सुविधाएं प्रदान की जाए। स्वास्थ्य विभाग सभी सरकारी अस्पतालों में नियमित जांच के लिए पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच भी करवाई जाती है। गर्भवती महिलाओं, मितानिन और एएनएम के माध्यम से अब सभी की सघनता से जांच कराई जाएगी। जिससे शिशु को गर्भ में एचआईवी का संक्रमण न हो सके और संक्रमित गर्भवती महिला का इलाज समय रहते कराया जाए ताकि जन्म लेने वाले शिशु पूरी तरह से स्वास्थ्य होता है। स्वास्थ्य विभाग एचआईवी एडस के मरीज को छह माह तक टीबी की दवा देगी। एडस के मरीज को भी नियमित दवा दी जायेगी ।
नोडल अधिकारी डॉ.एस एन पांडेय ने बताया, लोगों में जागरुकता आने से एचआईवी रोग के मरीजों की सख्या में कमी आई है। टीबी के मरीज प्रति एक लाख में 800 लोगों की बलगम जांच कराने से 100 मरीज टीबी पॉजेटिव श्रेणी के मिल जाते हैं। डॉ.पांडेय ने बताया, एचआईवी एडस फैलने के प्रमुख कारण होते हैं जैसे असुरक्षित यौन सम्बन्ध, संक्रमित रक्त और संक्रमित सुई का एक से अधिक लोगों में उपयोग ।
डॉ पांडेय ने बताया, एचआईवी के लक्षण आमतौर पर वायरस के शरीर में पहुंचने से एक से दो महीने में नजर आने लगते हैं। रायपुर के मेडिकल कॉलेज में एचआईवी वायरल लोड टेस्टिंग सेंटर शुरु किया गया है। नई तकनीक से एचआईवी संक्रमितों के शरीर में वायरस का स्तर जांचा जाएगा। वर्तमान में ली जा रही दवाईयों का कितना असर हो रहा इसकी भी पड़ताल होगी।

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