मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान: स्वास्थ्य कर्मी पहुंचे दूर-दराज़ गाँव में, मोटर साईकल पर हुए सवार, और घंटों चले पैदल

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बीजापुर, 14 फरवरी 2020 — घने जंगलों में बसे गाँव हो या नदियाँ पार करके पहुँचने वाली बसाहटें, बीजापुर के स्वास्थ्य कर्मी सब मुश्किलों को पार करते हुए लोगों तक पहुँच रहे हैं । घंटों मोटर-साईकल पर सवार होकर इन गावों तक पहुंचना या फिर मीलों पैदल चलकर लोगों तक पहुंचकर मलेरिया की जांच कर उनका उपचार करना पिछले एक महीने से स्वास्थ्य कर्मियों का काम रहा है ।
मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के अंतर्गत बीजापुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डॉ.बीआर पुजारी के नेतृत्व में स्वास्थ्य कर्मियों का दल गाँव-गाँव जाकर लोगों की न सिर्फ उनकी स्क्रीनिंग (जांच) कर उनका उपचार भी कर रहे हैं बल्कि समुदाय में मलेरिया से बचाव के बारे में जानकारियां भी दी जा रही हैं। स्वास्थ्य कर्मियों के इस दल में मितानिन,ए एन एम और ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक यानि रूरल हेल्थ ऑर्गेनाइजर (आरएचओ) भी शामिल हैं ।
इस अभियान को एक बहुत बढ़िया कार्यक्रम बताते हुए डॉ.पुजारी कहते हैं समुदाय का साथ तो खूब मिल रहा है लेकिन कई बार गाँव में लोग नहीं मिलते हैं । जैसे तेलंगाना के बॉर्डर से लगे गाँव के निवासी तेलंगाना काम के लिए जाते हैं। कई गावों में लोगों ने दोबारा आने को कहा या फिर कई कई घंटे इंतज़ार करना पड़ा।
“ज़्यादातर गाँव तक तो मोटर साईकल या ट्रेक्टर से पहुंचा जा सकता है लेकिन कई बार पैदल ही जाना पड़ता है। एक गाँव तक पहुँचने के लिए तो हम दो नदियाँ पार करके कठिन रास्ते पर 7 किलोमीटर तक पैदल चले थे। कुछ जगह तो तेलंगाना होते हुए जाना पडता है। जो गाँव बीजापुर से केवल 100 किलोमीटर की दूरी पर हैं, नक्सल गतिविधियों के कारण तेलंगाना होते हुए 280 किलोमीटर से भी ज्यादा रास्ता तय करना पड़ा,’’ डॉ पुजारी ने बताया। ऐसा ही एक गाँव मर्रामेटा है जहाँ डॉ.पुजारी के नेतृत्व में एक दल हाल ही में गया था।
इस अभियान के तहत बीजापुर का लक्ष्य 2.98 लाख लोगों तक पहुंचना है।अब तक 90 प्रतिशत लोगों तक स्वास्थ्य विभाग का दल पहुँच चुका है और आने वाले दिनों में यह प्रतिशत और बढेगा। स्वास्थ्य दल घर घर जाकर लोगों से बात कर उनसे जानकारी लेते हैं, उनकी जांच करते हैं और उनका उपचार भी। दवा भी अपने साथ लेकर जाते हैं और कई बार तो रात गाँव में ही गुजारते हैं। कई बार तो ऐसा भी हुआ है गाँव वालों ने कई घंटे तक रोक लिया और फिर पूछताछ करके जाने दिया।
इस दौरान स्वास्थ्य टीम को कई प्रकार के अनुभव भी हुए जैसे कई गाँव के स्कूलों में ऐसे बच्चे भी मिले जो देखने में बिलकुल स्वस्थ थे लेकिन टेस्ट करने पर उनमें मलेरिया के परजीवी मिले लेकिन लक्षण नहीं। “यह तो शोध का विषय हो सकता है,’’ डॉ पुजारी ने बताया।
कल डॉ.पुजारी सहित स्वास्थ्य कर्मियों का दल भैरमगढ़ ब्लाक के हल्लूर गाँव गए थे जहाँ 277 लोगों की जांच की गयी जिनमें से 92 लोग मलेरिया से संक्रमित पाए गए। हल्लूर गाँव में स्वास्थ्य मेला भी लगाया गया था।
एक माह तक चलने वाले मलेरिया मुक्त अभियान का शुभारम्भ 15 जनवरी को किया गया था। मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है और इसके बार बार होने से कुपोषण और एनीमिया होता है।आने वाले माह में इस प्रकार के और अभियान भी चलाये जायेंगें ।

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