कुष्ठ रोग उपचार एवं निदान अभियान ……..17 रोगियों की हुई पहचान

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रायपुर — 27 जून 2019 ….जिला प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत चलाए जाने वाले जन जागरण अभियान के दौरान 283 संदिग्ध रोगियों की पहचान की गई है कुष्ट चर्म रोग उपचार एवं निदान अभियान 2019 के तहत जिले के 6.54 लाख आबादी के बीच लाने स्वास्थ्य विभाग की टीम जागरूकता लाने में लगी हुई है । कुष्ठ रोग का उपचार होता है, और सरकारी जांच केंद्रों पर निशुल्क उपलब्ध है।
इस अभियान में 15 जून से 30 जून 2019 तक कुष्ठ रोग परामर्श के लिए जांच कर के मरीजों को निशुल्क दवाई दी गई है। जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा विकासखंड अंतर्गत तिल्दा, अभनपुर एवं धरसीवां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत लगभग 1500 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारी जिसमें महिला एवं पुरुषों ने घर-घर जाकर परीक्षण एवं पुष्टिकरण किया । राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के जिला स्तरीय नोडल अधिकारी डॉ एस एन पांडे ने बताया पखवाड़े तक चलने वाले अभियान में 26 जून तक 283 संदिग्ध मरीजों की पहचान किया गया जबकि अभियान के तहत 17 मरीज कुष्ठ रोग से ग्रसित होने की पहचान की गई है ।


डॉ पांडे ने बताया कि कुष्ठ रोग धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है । पूर्व में प्रत्येक 10 हजार में 2 से 3 मरीज रोग से पीड़ित पाए जाते थे स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान चलाने व स्वास्थ्य अमले की सक्रियता से कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता आई है । इसके पहचान के लिए शरीर में कोई भी दाग धब्बा हो इसमें खुजली नहीं हो कुष्ठ रोग के लक्षण हो सकते हैं , इसके अलावा कोई भी दाग धब्बा जन्मजात ना हो तो इस बीमारी के मरीज हो सकते हैं शरीर के किसी भी अंग में किसी जगह धब्बा शून्य पन होने पर रोगी संदेह के दायरे में हो सकता है।

पांडे ने बताया कि मरीज की पहचान होने पर उपचार के लिए एमडीटी की गोली खिलाई जाती है , डॉ के आर सोनवानी ने बताया कि कुष्ट रोग छुआछूत की बीमारी नहीं है यह संक्रामक रोग भी नहीं है ऐसे मरीज जिसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होने पर ही माइक्रोबैक्टेरियम लेप्रे से ग्रसित लोग कुष्ठ रोग के शिकार होते हैं ।
रोगी दो – तीन प्रकार के मरीज पाए जाते हैं, एक में तीन दाग होने पर छह माह की दवा दी जाती है, 3 से ज्यादा दाग होने पर एमडीटी की खुराक दी जाती है पहली खुराक में ही बीमारी की संक्रमण क्षमता समाप्त हो जाती है। समय के पहले ही दवा की खुराक लेने से शरीर में किसी प्रकार की विकृति नहीं आती , यह एक गंभीर बीमारी है जिसको साइलेंट डिसीज कहा जाता है इस रोग में रोगी को किसी भी तरह के दर्द नहीं होता है इसलिए लोग पहले से इस बीमारी के प्रति सचेत नही रहते हैं। लोग डॉक्टर के पास जब जाते हैं नर्व प्रभावित हुआ शुरू हो जाता है। जिसमें शरीर विकलांगता की श्रेणी में आ जाता है जागरूकता अभियान के तहत लोगों को समझाया जाता है कि यह रोग किसी भी तरह पूर्ण पूर्वजन्म के पापों कारण नहीं है

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