विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर विशेष : तम्बाकू है कैंसर का जन्मदाता – डॉ सिद्धार्थ तुरकर (ऑन्कोलॉजिस्ट )
नो टोबैको डे अपने आप ये बताता है की आप को तम्बाकू या उससे सम्बंधित पदार्थो से दूर रहना चाहिए...
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तंबाकू का उपभोग करने वालों में कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक - डॉ सिंघल जयपुर,30 मई2021- राजस्थान में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की गिरफत में 15 से 24 वर्ष का युवावर्ग आ रहा है। इन उत्पादों के सेवन से कैंसर सहित अन्य गंभीर गंभीर बीमारियों का सामना इनको करना पड़ता है। कोरोना संक्रमण का खतरा भी तंबाकू सेवन करने वालों में सामान्य की अपेक्षा अधिक रहता है। इसमें खाकर स्मोकिंग व चबाने वाले तंबाकू उपयोगकर्ता इसमें मुख्य है। तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के प्रति आमजन को हतोत्साहित करने के लिए और इसके प्रति जागरुकता के कार्यक्रम की निरंतरता बनी रहे इसके लिए प्रतिवर्ष 31 मई को विश्वभर में विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। राज्य में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाले रोगों से प्रतिवर्ष 77 हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है और देशभर में 13.5 लाख व विश्वभर में 80 लाख लोगों की जान इससे जाती है। जबकि प्रदेशभर में 300 से अधिक बच्चे और देशभर में 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरु करते है। वर्ष 2020 में वर्ल्ड नो टोबेको डे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा वर्ष 2021 में वर्ल्ड नो टोबेको डे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा ‘‘छोड़ने के लिए प्रतिबद्व ’’(Commit to Quit) की थीम रखी गई है। इस दौरान किसी भी तरह के तम्बाकू उत्पादों का उपयोग करने से हतोत्साहित करने के लिए कई तरह के जागरुकता कार्यक्रम करने पर जोर दिया जाता है। सवाई मान सिंह चिकित्सालय जयपुर के कान नाक गला विभाग के आचार्य डा. पवन सिंघल बतातें है कि ‘‘ भारत में तंबाकू उपभोग की और युवावर्ग तेज गति से आगे बढ़ रहा है। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज में जारी की गई रिपोर्ट अनुसार वर्ष 2019 में 15 से 24 वर्ष वाले युवा स्मोकर्स की संख्या करीब 2 करोड़ के पार हो गई है। इसमें सिगरेट पीने वालों में 89 प्रतिशत 25 साल तक की उम्र के युवा वर्ग शामिल है। जोकि हम सभी के लिए चिंता का विषय है। ’’ तंबाकू से जो कैंसर होता है उससे हाथ पैर का गलना, स्मरण शक्ति का कमजोर होना, मुंह व गले में छाले होना इत्यादि प्रभाव हो सकते है। रोज आ रहे युवा मरीज उन्होने बताया कि प्रतिदिन सवाईमानसिंह अस्पताल की ओपीडी में जो तंबाकू यूजर आ रहे है उनमें युवा वर्ग की संख्या अधिक है। ये सब सिगरेट, बीड़ी व गुटखा का सेवन करने वाले यूजर होते है। प्रतिदिन 10 पैकेट सिगरेट पीने वाले में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा अधिक डा.सिंघल ने बताया कि अमेरिका के येल स्कूल ऑफ मेडिसीन द्वारा की गई रिसर्च में सामने आया है कि स्ट्रोक और स्मोकिंग के बीच सीधा संबध है। जिसमें बताया गया कि यदि आप सालभर में दस डिब्बी सिगरेट पीते है तो ब्रेन स्ट्रोक का खतरा 27 प्रतिशत तक रहता है। इसके लिए 40 से 69 साल की उम्र के 4 लाख लोगों का जेनेटिक डाटा इक्टठा किया गया था। जिसमें ये सभी बाते निकलकर सामने आई। धुंआ रहित तंबाकू के सेवन से होने वाली मौत की संख्या तेजी से बढ़ी है। पिछले सात साल में मौत का आंकड़ा तीन गुना बढ़ा है। मौतों की संख्या तीन लाख पचास हजार हो गई है। धुंआ रहित तंबाकू के प्रयोग से होने वाली बीमारियों के 70 प्रतिशत रोगी भारत में है। कोरोना संक्रमण का खतरा इनमें अधिक तंबाकू, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट या कोई अन्य तंबाकूयुक्त सामग्री का उपभोग करने वालों में कोरोना संक्रमण का खतरा सामान्य से अधिक होता है। नए शोध से पता चला है कि अब कोविड हवा में भी फैलता है। इस स्थिति में जो लोग धूम्रपान करते है उनके द्वारा छोड़े गए धुंए से भी कोरोना संक्रमण का खतरा पैदा होता है। तंबाकू का उपभोग करने वाले जब इसका पीक इधर -उधर थूकतें है तो उससे भी कोरोना फैलने की आशंका रहती है। क्योंकि इस पीक में कोरोना के कीटाणु हो सकते है। जबकि भारत में सरकार के द्वारा सार्वजनिक स्थानें पर थूकने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।...
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