राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के लिए सीएमएचओ ने किया पम्पलेट का विमोचन.. आनलाइन पढाई के दौरान बच्चों को करें नेत्रदान के प्रति जागरुक ।

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रायपुर, 26 अगस्त 2020 —  कोविड-19 से बचाव के साथ ही 35वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा का सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए ऑनलाइन विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सीएमएचओ कार्यालय में शुभारंभ किया गया । ब्लॉक स्तर के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में नेत्रदान के प्रति जागरुकता लाने को नेत्र सहायक अधिकारियों को निर्देशित किया गया। नेत्रदान पखवाड़े में 25 अगस्त से 8 सितंबर तक सोशल मीडिया के जरिए भी प्रचार प्रसार करने को कहा गया ।
सीएमएचओ श्रीमती डॉ मीरा बघेल की अध्यक्षता में राज्य अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के संचालक डॉं. सुभाष मिश्रा एवं सचिव जिला अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. निधि ग्वालरे द्वारा वेबीनार के माध्यम से इस पखवाड़े का शुभारंभ किया गया । राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुभाष मिश्रा ने कहा कि जिले में नेत्र सहायक अधिकारियों को इलेक्ट्रॉनिक मिडिया के माध्यम से स्कूलों में ऑनलाईन पढाई हो रही है। उसी तरह राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के पम्पलेट में नेत्रदान संबधित जानकारी बच्चों को बतायी जाए। जैसे-नेत्रदान कौन कर सकता है?, नेत्रदान कब कर सकते है?, नेत्रदान का लाभ कैसे लें?,
जिला अंधत्व नियंत्रण समिति के नोडल अधिकारी डॉ. निधी ग्वालरे ने बताया, छोटे-बच्चे अक्सर कार्नियल नेत्रहीनता के शिकार होते है। कार्नियल नेत्रहीनता का उपचार केवल किसी व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद उसकी आंख के कॉर्निया को खराब कार्निया वाले मरीज की आंख में लगा देने से हो सकता है। जरुरतमंदों की आंख की रोशनी वापस लाई जा सकती है। जिससे अंधापन की समस्या दूर किया जा सकता है।
कार्नियल अन्धेपन की समस्याओं को दूर करने के लिए हॉस्पिटल कॉनियल रिट्रेबल प्रोग्राम के अंतर्गत ऐसे मरीज जिनका अस्पताल में मृत्यु होने पर परिजनों को नेत्र दान के लिए प्रेरित किया जाता है। ऐसे मृत शरीर जिनकी उम्र 5 वर्ष से अधिक और 60 वर्ष से कम की अवस्था में मृत्यु होने पर 4-6 घंटे के भीतर कॉनियल निकालने की प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। वहीं 24 घंटे के भीतर जरुरतमंद को ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है।
राष्ट्रीय अंधत्वव नियंत्रण के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, केवल ऐसे मृत शरीर से ही नेत्रदान लिया जा सकता हैं जिन्हें गंभीर बीमारी कैंसर, हेपेटाइटीस व एचआईवी एड्स जैसी रोग से ग्रसित नहीं होनी चाहिए। कार्नियल अन्धेपन के बचाव व अच्छी दृष्टि के लिए आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है। नेत्रदान सिर्फ मरणोपरांत ही किया जाता है। किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु होने पर परिवार शोकाकुल होता है ऐसी मुश्किल घड़ी में नेत्रदान करना जटिल होता है। ऐसे में समाज के लोग, समाज सेवी, अन्य प्रतिनिधि अहम भूमिका निभा सकते है।
बच्चों के लिए सावधानी आवश्यक
यदि आपका बच्चा इनमें से किसी भी लक्षण को प्रदर्शित करता है, तो नेत्र चिकित्सक के साथ नियमित रूप से आंखों का परीक्षण करना अनिवार्य है-
1. लगातार टीवी के बहुत करीब बैठना या किसी किताब को बहुत पास रखना
2. पढ़ते समय अपनी जगह खोना या पढ़ते समय अपनी आँखों का मार्गदर्शन करने के लिए एक उंगली का उपयोग करना
3. बेहतर देखने के लिए आँखों को तिरछा करना या सिर को झुकाना
4. बार-बार आँख रगड़ना
5. प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और या आँख में अत्यधिक पानी आना इसके लिए छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को विटामिन ए पिलाना अतिआवश्यक है। सभी बच्चों का पूर्ण टीकाकरण कराया जाना आवश्यक है। आंखों को चोट लगने से बचाया जाए और बच्चों को नुकीली वस्तु से न खेलने दें। आंख में संक्रमण होने पर इसका जल्द उपचार कराने के साथ नेत्र चिकित्सक की सलाह लें। यदि आंखों में कुछ पड़ जाए तो आंख को मलें नही केवल साफ पानी से धोएं, फायदा न होनें पर नेत्र चिकित्सक से जांच करवाएं।
इस मौके पर जिला टिकाकारण अधिकारी डॉ विकास तिवारी, खंड चिकित्सा अधिकारी अभनपुर डॉ अमिता झा, जिला डाटा मैनेजर निशामणी साहू, अखिलेश चंद्र ऋषि, संजय शर्मा नेत्र सहायक अधिकारी, पराग केहरि नेत्रदान काउंसलर, फारुख मोहम्मद कुरैशी उपस्थित रहें।

 

 

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