जल संचयन अभियान: बढ़ते जल संकट के बीच सुरक्षित भविष्य की गारंटी
30 जून को प्रसारित मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से जल संरक्षण के लिए जन आंदोलन शुरू करने की अपील की। पीएम ने इस बात को लेकर लोगों से कहा कि जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है। मोदी ने देशवासियों से अनुरोध किया कि देश में पानी संरक्षण के लिए पारंपरिक तौर-तरीके पर बल दिया जाए। प्रधानमंत्री ने यह अपील ऐसे समय में की है जब देश का 60 प्रतिशत से ज्यादा भू-भाग सूखे की चपेट में है। देश की घनी आबादी वाले क्षेत्र में लोगों को पानी की भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना ऐसे क्षेत्र हैं जहां पानी को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है। देश में आए व्यापक जल संकट के लिए मानसून की बेरूखी भी जिम्मेदार है।
कमजोर मानसून
मौसम विभाग की माने तो जून में इस साल देशभर में कुल मिलाकर 33 फीसद बारिश में कमी दर्ज की गई है। पिछले 100 सालों में यह सबसे खराब मानसून है। मौसम विभाग की मानें तो मध्य प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा में मानसून में 59 फीसद तक की कमी दर्ज की गई तो उत्तरपूर्व में बारिशमें 47 फीसद की कम रही। देश के 36 में से 30 उप-प्रभागों में सामान्य से कम बारिश हुई है। इस साल मानसून केरल में लगभग आठ दिन की देरी से आया।
क्या कहते है रिसर्च
नीति आयोग की मानें तो भारत ‘इतिहास का सबसे भयावह जल संकट’ से जूझ रहा है। हर साल करीब दो लाख लोग पेयजल की समस्या से मौत की चपेट में आ रहे हैं। नीति आयोग यह भी कहता है कि देश के 75 फीसदी मकानों में पानी की सप्लाई नहीं है। चेतावनी के तौर पर यह भी कहा जा रहा है कि देश में 2030 तक पानी की किल्लत और भी ज्यादा विकराल रूप धारण कर सकती है। विश्व बैंक कहता है कि पानी की कमी गरीबी को बढ़ाती है और उन शहरों में ज्यादा गरीबी है जहां भूजल 8 मीटर से नीचे है। CAG की रिपोर्ट यह कहता है कि भारत में अब तक जितने भी जल संचय के लिए प्लान बने हैं, उनके कार्यान्वयन में भारी कमी रही है।
जल शक्ति मंत्रालय का गठन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जल संसाधन और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालयों को मिलाकर ‘जल शक्ति’ मंत्रालय बनाया है। इस मंत्रालय का कार्यभार गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपा गया है। मंत्रालय का काम जल संबंधी मुद्दों से निपटना है। प्रभार ग्रहण करने के बाद शेखावत ने कहा था कि इस मंत्रालय में जल संबंधी सभी कार्य निहित होंगे।
जल संचयन क्या है?
जल संचयन को अंग्रेजी में water harvesting कहा जाता है। यह एक ऐसी प्रकिया है जिसमें पानी को जरूरत के हिसाब से बचा सकते है। जल संचयन का सबसे बड़ा स्रोत वर्षा है। वर्षा के पानी को एक निर्धारित स्थान पर जमा करके हम जल संचयन कर सकते है। वर्षा के पानी को नाली में बहने से रोक कर उसे भूमिगत टैंक में इकट्ठा किया जा सकता है। हम इस प्रक्रिया की बदौलत घरेलू काम के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी बचा सकते हैं। पानी की किल्लत के समय इसका उपयोग कर सकते हैं।
जल संचयन के फायदे
जल संचयन कर हम पानी की किल्लत को कम कर सकते हैं। जल संचयन कर हम अतिरिक्त खर्च से बच सकते है। बढ़ती पानी के किल्लतों के बीच जल संचयन से हम अहना भविष्य सुरक्षित रख सकते हैं। हम सरकार के ऊपर भी निर्भर रहने से बच सकते हैं। भारत जैसे विकासशील देश जहां जनसंख्या का बहुत दबाव है में अगर जल संचयन होता है तो देश की प्रगती में कम बाधाएं उत्पन्न होंगी। अगर देश का हर नागरिक जल संचयन को लेकर जागरूक होता है तो दिक्कतों के समय सरकार के ऊपर आर्थिक रूप से कम भार पड़ता है। यह जल संचयन स्वच्छता में भी एक अहम योगदान निभा सकता है