बजट पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की प्रतिक्रिया

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रायपुर —  मोदी सरकार ने द्वितीय कार्यकाल के प्रथम बजट में गरीबों, किसानों सर्वहारा छोटे व्यापारियों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के हितों की अनदेखी का आरोप लगाते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि बजट से छत्तीसगढ़ और खासकर बस्तर सरगुजा के लोगो को बड़ी निराशा हुयी है।
सरकारी कंपनियों को बेचने का निर्णय दुर्भाग्य पूर्ण है। बेरोजगार युवाओ के साथ फिर से छल, बेरोजगारी बजट के इन प्रावधानों से और बढे़गी। पेट्रोल-डीजल पर एक रूपये शेष और एक रूपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से ट्रांसपोर्ट और परिवहन मंहगा होगा और इसका असर आम उपभोग की वस्तुओं पर भी पड़ेगा। मंहगाई और बढ़ेगी।
राष्ट्रीयकृत बैंको का संविलियन कर कुल 8 बैंको में मर्ज करने के निर्णय से एक ओर जहां बैंकिंग सेक्टर में नौकरी में कटौती होगी। वहीं साजिश के तहत विदेशी बैंको को बुलाकर देश की अर्थव्यवस्था बाहरी ताकतो को सौपने की तैयारी है।
अमीर और गरीबो की बीच की खाई को और चौड़ी करने का काम मोदी सरकार कर रही है। बजट में किसनों और कर्मचारियों के लिये भी कुछ भी राहत नहीं है। सवा सौ करोड़ अबादी से रोज रोजगार छीनने वाली मोदी सरकार ने इस बजट में दिखावा मात्र किया।
बजट में एक ओर यहां छोटे और मध्यम आय वर्ग को कोई राहत नहीं दी गई वहीं कंपनियो को के लिये जो 25 प्रतिशत टैक्स के लिये जो लिमिट 250 करोड़ की थी, उसे बढ़ाकर 400 करोड़ और कंपनियों को एक्जम्शन और टैक्स रिबेट, गरीब और मध्यम वर्ग के लिये कुछ भी नहीं किया।
देश के मौजूदा आर्थिक ढ़ाचे को तोड़कर पूंजीवाद को मजबूत करने की साजिश के तहत रिटेल में एफडीआई, बीमा सेक्टर में विदेशी कंपनियों को बढ़ावा, मीडिया के क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश निंदनीय है। वास्तव में मेक इन इंडिया का नारा लगाने वाले अब दूसरी बार सत्ता  हथियाने के बाद देशी कंपनियों में ताले लगाने आमादा है। पूर्व में एफडीआई का विरोध करने वाले मोदी अब विदेशियों को लूट की खुली छुट दे रहे है। छोटे व्यापार और देशी कंपनियों को डुबाने की साजिश है।
108 करोड़ विनिवेश प्राप्ति का लक्ष्य केवल जुमला है। सच्चाई यह है कि 2014 से मोदी केवल दुनिया घुमते रहे, कोई विदेशी निवेश नहीं आया, मोदी सरकार नई कंपनी और कारखाने लगवाने में असफल रही और केवल स्थापित उद्योगो को बेचने का काम करती रही। मोदी सरकार अब देश के नवरत्न सरकारी कंपनियों को बेचने की तैयारी है, जो मोदी सरकार की आर्थिक निरक्क्षरता और पूंजीवादी सोच को प्रमाणित करता है।  छोटे हाउसिंग फाईनेंस भी अब आरबीआई के दायरे में आने से कॉम्पलिकेशन बढ़ेंगे। कुल मिलाकर बजट आम जनता के लिये घोर निराशाजनक है।

 

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