आत्महत्या रोकने ‘’नवजीवन कार्यक्रम’’ के जागरूकता अभियान में जुड़ते जा रहे हैं सखा-सखी”…. ‘’नवजीवन’’ दे रहा है घर-घर दस्तक
महासमुंद — जिले में तनाव को कम करने और आत्महत्याओं को रोकने के लिए लगभग 1040 सखा सखी बनाए जा चुके हैं । इन सखा सखियों को प्रशिक्षित करने के लिए अब तक 29 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसके अलावा अभी तक 510 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को जिला एवं ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण दिया गया है ।
यह पहल आत्महत्याओं को रोकने के लिए ज़िला कलेक्टर महासमुंद ने ‘नवजीवन’ कार्यक्रम की शुरुआत की है जिसे जन भागीदारी का ज़बरदस्त समर्थन मिल रहा है।
नवजीवन के जिला नोडल अधिकारी संदीप ताम्रकार ने बताया जिले में 02 दल बना कर लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें आंगनबाड़ी व स्वस्थ्यकर्ताओं के साथ मितानिन एवं शिक्षक भी जुड़ते जा रहे हैं। प्रशिक्षण प्राप्त नवजीवन कार्यकर्ता (प्रेरक सखा-सखी) तनाव प्रबंधन के गुण सीख रहे हैं जो आत्महत्या मृत्यु दर कम करने के लक्ष्य से गांव-गांव, घर-घर तक इस अभिनव पहल को पहुंचाना शुरू कर चुके हैं।
संदीप ताम्रकार ने बताया मानसिक स्वास्थ्य की परेशानियों को छुपाना नहीं चाहिए मानसिक रोगों का इलाज शासकीय अस्पतालों में फ्री (निःशुल्क)होता है । उन्होंने मनोरोगियों एवं आत्महत्या के संदिग्ध लोगों को परामर्श व इलाज के लिए शुक्रवार एवं शनिवार को जिला अस्पताल खरोरा के ओपीडी क्रमांक 06 में विशेषज्ञ चिकित्सक से सम्पर्क करने की सलाह दी।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट 2015 के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में 27.7 प्रति एक लाख आत्महात्या का आंकड़ा है जिसके कारण छत्तीसगढ़ चौथे स्थान पर है। ज्यादातर आत्महत्या 14 से 29 वर्ष आयु के लोग कर रहे हैं जिसमें देखा गया है कि 14 से 29 वर्ष के आयु के लोग पढ़ाई के प्रेशर (दबाव या तनाव ) के कारण या प्यार में नाकाम होने के कारण ,आपसी संवाद न करने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं ।